Budget Session 2023: सियासी खींचतान के बीच खराब हुआ बजट सत्र, बेहद कम रही प्रोडक्टिविटी

नई दिल्ली (अमित त्यागी): Budget Session 2023: संसद का बजट सत्र बीते गुरुवार को विपक्ष और भाजपा के एक-दूसरे पर आरोप लगाने के साथ तीखे मोड पर आकर खत्म हो गया क्योंकि पिछले चार हफ्तों में लोकसभा और राज्यसभा (Lok Sabha and Rajya Sabha) दोनों ही पार्टियों में तीखी नोकझोंक और आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखा गया, जिसकी वज़ह से संसदीय कामकाज बड़े पैमाने पर प्रभावित रहा। लोकसभा और राज्यसभा दोनों गुरुवार को अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दी गयी। खास बात ये रही कि इस सत्र में प्रोडक्टिविटी काफी दर्ज की गयी।

इस सत्र में अडानी मुद्दे पर भाजपा की अगुवाई वाली सरकार को घेरने के लिये विपक्षी दल एक साथ आये। बजट सत्र के दूसरे हिस्से में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने लगातार हिंडनबर्ग-अडानी (Hindenburg-Adani) के मामले की जेपीसी जांच (JPC Probe) की मांग उठाई। बीजेपी सदस्यों ने यूनाइटेड किंगडम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के दिये बयानों पर उनसे माफी मांगने की मांग की। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Chairman Jagdeep Dhankhar) ने अपने भाषण में लगातार इन रूकावटों का जिक्र किया और कहा कि, “संसद के कामकाज को रोककर राजनीति को हथियार बनाना हमारी राजनीति के लिये गंभीर नतीज़े देने वाली परम्परा को शुरू कर सकता है, जो कि बेहद खतरनाक हो सकती है।”

कई विपक्षी नेताओं ने बजट सत्र के दूसरे हिस्से को बेकार बताया। उन्होंने सरकार पर गड़बड़ी करने का आरोप लगाया। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Union Minister Piyush Goyal) ने पलटवार करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने मन बना लिया है कि वो संसद नहीं चलने देगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की एक अदालत की ओर से आपराधिक मानहानि के मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद लोकसभा से अयोग्य कर दिया गया, जिसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच बिगड़े रिश्ते और ज्यादा तल्ख हो गये।

विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ काले कपड़े का सहारा लिया। बिना चर्चा के केंद्रीय बजट और वित्त विधेयक को हंगामे के बीच विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाया गया। कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रजनी पाटिल (Rajya Sabha Member Rajni Patil) के निलंबन को मानसून सत्र के पहले हफ्ते तक बढ़ाने के फैसले से कांग्रेस की ओर से नाराजगी भरी प्रतिक्रिया सामने आयी, जिसमें कहा गया कि ये कदम नियमों के खिलाफ है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने राज्यसभा के सभापति को इस मुद्दे पर और व्यवस्था को लेकर उनके फैसले पर भी लिखा। खड़गे जो कि कांग्रेस प्रमुख हैं, ने कहा कि धनखड़ की ओर से पीयूष गोयल के खिलाफ उनके बिंदु को खारिज करने के बाद पीठासीन अधिकारी सत्तारूढ़ दल के प्रति अपनी वफादारी नहीं दिखा सकते। संसद के अंदर के तनाव का असर बाहर भी दिखायी दे रहा था, भाजपा और कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर लगातार निशाना साधते नज़र आये। जहां लोकसभा में लगभग 34 फीसदी की प्रोडक्टिविटी देखी गयी, वहीं राज्यसभा में ये महज़ 24.4 प्रतिशत थी।

केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) ने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने कुल छह विधेयक पारित किये गये। वित्त विधेयक, 2023; जम्मू और कश्मीर विनियोग विधेयक, 2023; जम्मू और कश्मीर विनियोग (संख्या 2) विधेयक, 2023; विनियोग (नंबर 2) बिल, 2023; विनियोग विधेयक, 2023 और प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2023 दोनों सदनों द्वारा पारित और लौटाए गये। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी 2023 को शुरू हुआ जबकि सत्र का पहला हिस्सा 13 फरवरी को खत्म हुआ, दूसरा भाग 13 मार्च को अवकाश के बाद शुरू हुआ। 2023-24 का केंद्रीय बजट 1 फरवरी 2023 को पेश किया गया था। इस बीच विपक्षी सदस्यों ने गुरुवार (6 अप्रैल 2023) को भी अपना विरोध जारी रखा।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha Speaker Om Birla) ने वेल में विरोध कर रहे और नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्यों का जिक्र करते हुए कहा कि उनका आचरण सदन और देश की लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि, “आप सुनियोजित तरीके से बाधा डालते हैं, चर्चा नहीं करना चाहते, ये ठीक नहीं है।”

बिरला ने सत्र के दौरान सदन में लगातार रूकावटों का जिक्र किया और कहा कि सदन में अनुचित आचरण और व्यवहार संसद और राष्ट्र के लिये फायदेमंद नहीं है। सदन के प्रति सदस्यों की जिम्मेदारियों का जिक्र करते हुए बिरला ने कहा कि सदन बहस और चर्चा के लिये एक मंच है और वो चाहते हैं कि सदन में हर मुद्दे पर चर्चा करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि कुछ सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाज़ी की और शोरशराबा करते हुए हंगामा किया इस तकर सदन की गरिमा को कम करना ठीक नहीं है।

बिड़ला ने कहा कि उन्होंने हमेशा सभी सदस्यों को सदन में अपने विचार रखने करने के लिये पर्याप्त समय और अवसर दिये है और कई मौकों पर सदन ने देर रात तक काम किया है। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान आठ सरकारी विधेयक पेश किये गये और छह पारित किये गये। अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा की विभाग संबंधी स्थायी समितियों ने 62 रिपोर्टें पेश कीं।

लोकसभा में बजट सत्र के पहले हिस्से की प्रोडक्टिविटी 83.80 फीसदी रही, जबकि दूसरे हिस्से की प्रोडक्टिविटी 5.29 प्रतिशत रही। बिरला ने कहा कि, “कुल मिलाकर 17वीं लोकसभा के ग्यारहवें सत्र के दौरान सदन की प्रोडक्टिविटी 34.85 प्रतिशत थी।” सामने आया है कि कांग्रेस, डीएमके और टीएमसी समेत विपक्षी दलों ने अध्यक्ष की ओर से बुलाई गयी ‘शिष्टाचार चाय बैठक’ में हिस्सा नहीं लिया। उन्होंने कहा कि, “संसद लोकतंत्र का प्रहरा है और आम जनता हमारी मालिक हैं। हमारा प्राथमिक दायित्व उनकी सेवा करना है। संसद का पवित्र परिसर लोगों के समग्र कल्याण के लिये चर्चा, विचार-विमर्श, बहस और निर्णय के लिये है।” .

उन्होनें आगे कहा कि- “संसद में बड़े पैमाने बनी रही विडंबनापूर्ण अव्यवस्था नई परिपाटी बन रही है। ये नया मानदंड लोकतंत्र के लिये काफी खतरनाक है। संसद में बहस, संवाद, विचार-विमर्श और चर्चा की परम्परा ने व्यवधान और गड़बड़ी को जन्म दिया है। संसद के कामकाज को रोककर राजनीति को हथियार बनाना हमारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं के लिये काफी गंभीर नतीज़ों को जन्म देता है। इससे आम जनता के बीच हम उपहास का पात्र बनते है। जनता का एक बड़ा वर्ग हमें तिरस्कार भरी नज़रों से देखता है। हमें अपने प्रतिबिंब को प्रतिबिंबित करने की जरूरत है। लोगों की आकांक्षाओं का ट्रैक रिकॉर्ड हमारी ज़वाबदेही तय करता है। देश भावी पीढ़ी हमें नारे लगाने से पैदा हुए डेसिबल से नहीं, बल्कि हमारे राष्ट्र के विकास पथ को मजबूत करने की दिशा में हमारे योगदानों से आंकेगी”

उन्होंने कहा कि बजट सत्र के पहले हिस्से की प्रोडक्टिविटी 56.3 प्रतिशत थी, जबकि दूसरे हिस्से में ये घटकर 6.4 फीसदी रह गयी। कुल मिलाकर सदन की उत्पादकता सिर्फ 24.4 फीसदी थी। दूसरी ओर धनखड़ ने कहा कि नारेबाज़ी और हंगामे ने 103 घंटे और तीस मिनट का संसदीय कार्य का समय बर्बाद किया। सदन के निराशाजनक प्रदर्शन पर विचार करें और कोई रास्ता निकालें।”

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