Bhai dooj 2019: भैय्या दूज 2019- भाई बहन के पवित्र बंधन को समर्पित

भाई दूज इस तरह से मनायें, भाई को दीर्घायु और यशस्वी बनाये
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज एवं यम द्वितीया के त्यौहार के तौर मनाया जाता है। भाई दूज का यह त्यौहार विशेष रूप से भाई और बहन के बीच रिश्तों की डोर को मजबूत करता है। राखी के बाद ये दूसरा त्यौहार है, जो भाई और बहन के स्नेह का प्रतीक है। पौराणिक महत्व द्वारा इसका स्वरूप और भी अधिक प्रमाणिक होता है। मृत्यु के देवता यम के लिए उनकी बहन यमुना द्वारा प्रकट किए गए प्रेम भाव और सम्मान का प्रतीक यह भाई दूज आज तक हमारे हृदय में बसा हुआ है। जिसे पूजकर सभी बहनें अपने भाईयों के दीर्घायु और सुखद जीवन की कामना करती हैं तथा अपने स्नेह को उनके समक्ष प्रस्तुत कर पातीं है। महाराष्ट्र में इस त्यौहार को भाऊ -बीज और पश्चिम बंगाल में इसे भाई फोंटा के रूप में मनाया जाता है| इस दिन को यम द्वितीयया यामादविथियाभी कहा जाता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके यमुना में स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक की यातनायें नहीं भोगता अर्थात उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है|

भाई दूज 2019का मंगलमय मुर्हूत
29अक्टूबर
भाई दूज तिथि मंगलवार, 29 अक्टूबर 2019
भाई दूज तिलक मुहूर्त – 13:11 से 15:23 बजे तक (29 अक्टूबर 2019)
द्वितीय तिथि प्रारंभ – शाम 6 बजकर 13 मिनट से (29 अक्टूबर 2019)
द्वितीय तिथि समाप्त – दोपहर 3 बजकर 47 मिनट तक (30 अक्टूबर 2019)
भाई दूज की कथा

मृत्यु के अधिपति यमराज की बहन यमुना अपने भाई से बहुत स्नेह करती थी। वह सदैव उनसे अपने घर आने का निवेदन करती थी लेकिन अपने कामों में व्यस्त होने के चलते यमराज अपनी बहन के घर नही जा पाते थे। लेकिन एक बार कार्तिक शुक्ल के दिन यमुना ने एक बार फिर यमराज को घर आने के लिए आमंत्रित कर उन्हें वचनबद्ध कर लिया। अपने बहन की बात मान कर वह उनके घर जाने के लिए तैयार हो गये और यमुना के घर जाने से पहले उन्होंने नर्क में आने वाले सभी जीवों को मुक्त कर दिया। इसके बाद वह अपनी बहन के घर पहुँचे, उस दिन उनकी बहन यमुना अपने भाई को चंदन का टीका लगाकर उनकी आरती उतारी और इसके साथ ही नाना प्रकार के पकवान और व्यंजन बनाकर अपने भाई को खिलाया और उनकी खूब आवाभगत की। यमराज अपनी बहन के इस प्रेमभक्ति को देखकर काफी प्रसन्न हुए और अपनी बहन से कोई वरदान मांगने को कहा। तब उनकी यमुना ने कहा, आप हर वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का आदर सत्कार करे, उसे कभी भी यम की त्रास ना रहे। उनकी इस बात को यमराज ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। तभी से प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता रहा है।
एक दूसरी कथा के अनुसार  राक्षस राजा नारकसुर का वध करने के बाद भगवान कृष्ण बहन सुभद्रा के पास गए, सुभद्रा ने मिठाई, माला, आरती और तिलक के साथ स्नेही रूप से भगवान कृष्ण का स्वागत किया। तभी से इस दिन की याद में भाई दूज मनाया जाता रहा है।
भाई दूज का मंत्र
गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े”।
भाई दूज का त्यौहार मनाने की विधि
  • सबसे पहले अगर बहने शादीशुदा है तो उन्हें अपनी भाई को भाई दूज के दिन भोजन के लिए आमंत्रित करना चाहिए। भाई दूज के दिन सबसे पहले बहनों को सुबह जल्दी उठना चाहिए।

  • उसके बाद स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश की आराधना करनी चाहिए।

  • भगवान गणेश की आराधना करने के बाद अपने भाई का रोली और चावलों से तिलक करना चाहिए।

  • तिलक करने के बाद अपने भाई को मिठाई खिलानी चाहिए। इसके बाद अपने भाई को प्रेम पूर्वक भोजन कराना चाहिए।

  • भोजन करने के बाद भाईयों को अपनी बहनों को उपहार देना चाहिए और उनका आर्शीवाद लेना चाहिए।

विशेषः-
  •  भाई को अपने बहन के साथ यमुना नदी में नहाना चाहिए यदि ऐसा संभव न हो सके तो बहन के घर जाकर ही नहा लेना चाहिए। 
  • संध्या के समय घर के बाहर दक्षिण दिशा में यमराज को जलता दीया अर्पित करे। यदि उस समय आसमान में कोई चील उड़ता दिखाई दे तो माना जाता है कि भाई की लंबी उम्र के लिए बहन की दुआ कबूल हो गई है।

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