Basant Panchami Pujan 2021: जानिये मां सरस्वती के पूजन की सम्पूर्ण विधि, मुहूर्त और मंत्र

न्यूज डेस्क (यर्थाथ गोस्वामी): प्रत्येक वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन ज्ञान, संगीत और कला की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती के पूजन का सनातन विधान है। मां की असीम अनुकंपा से साधकों को बुद्धि, विवेक और ज्ञान का प्रसाद सहज उपलब्ध हो जाता है। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा (Lord Brahma) के मुख से हुई थी। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान दिलाने के लिए ज्यादातर हिंदुओं में इसी दिन को चुनते है। बसन्त पंचमी का त्यौहार माता सरस्वती की वंदना करने के साथ ग्रीष्म ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है।

इस दिन से प्रकृति में अद्भुत रम्यता देखी जाती है। पक्षी और प्रकृति उल्लास में भरकर किलोल करते है। माना जाता है कि बसन्त पंचमी को कामदेव स्थावर और जंगम हर वस्तु में प्रेम का संचार कर देते है। इस कारण कई स्थानों पर इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि प्रकृति अपने सौन्दर्य का हर रंग बिखेर देती है। बिहार और बंगाल में इस त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। माँ सरस्वती को आदि दुर्गा का सौम्य रूप भी माना जाता है। इस दिन के साथ ही अबूझ मुहूर्त (Abujh muhurta) भी जुड़ा, जिसमें किसी भी मंगलकारी काम को किया जा सकता है।

वसंत पंचमी 2021 का शुभ मुहूर्त

  • पंचमी तिथि का प्रारम्भ: 16 फरवरी बह्ममुहूर्त में 03:36
  • माँ सरस्वती पूजन का मंगल मुहूर्त 16 फरवरी प्रात:काल 05:46 से मध्याह्न 12:35 तक (कुल पूजन समयावधि 05 घंटे 37 मिनट)
  • पंचमी तिथि की समाप्ति: 17 फरवरी उषाकाल में 05:46

वसंत पंचमी पूजन विधि

  • प्रात:काल शैय्या त्याग कर स्नानादि नित्यक्रिया से निवृत होकर सरस्वती पूजन का मानस संकल्प ले।
  • या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा। इस मंत्र का जाप करते हुए मां सरस्वती की छवि या प्रतिमा को पीतांबरी अर्पित करें।
  • अक्षत, रोली, चंदन, केसर, पीले पुष्प और पीली मिठाई माँ वाग्देवी को अर्पित करें।
  • वाद्य यंत्रों और किताबों को साक्षात् माँ का मूर्त स्वरूप मानते हुए षोडशोपचार पूजन में इन्हें भी सम्मिलित करें।
  • मां की वंदना करते हुए उनकी आरती उतारे और किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमायाचना मांगे।

करें इन मंत्रों का जाप

  • एमम्बितमें नदीतमे देवीतमे सरस्वति! अप्रशस्ता इव स्मसि प्रशस्तिमम्ब नस्कृधि!.
  • सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
  • ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी। मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।।
  • ओम ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
  • ओम ऐं सरस्वत्यै ऐं नमः। 
  • सरस्वत्यै नमो नित्यं भद्रकाल्यै नमो नम:। वेद वेदान्त वेदांग विद्यास्थानेभ्य एव च।। सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने। विद्यारूपे विशालाक्षी विद्यां देहि नमोस्तुते।।
  • वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणी विनायकौ॥

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