Air India Disinvestment: टाटा संस द्वारा एयर इंडिया की बोली जीतने की खब़र का केंद्र सरकार ने किया खंडन

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): Air India Disinvestment: वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार (1 अक्टूबर 2021) को कहा कि सरकार ने कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया को बेचने के लिये टाटा संस की जीत की बोली लगाने वाली ख़बर गलत है। इससे पहले ब्लूमबर्ग ने बताया कि मंत्रियों के एक पैनल ने भारतीय एयरलाइन ऑपरेटर स्पाइसजेट लिमिटेड के प्रमोटर अजय सिंह के प्रस्ताव से पहले सॉल्ट टू सॉफ्टवेयर समूह (Salt Two Software Group) ने टाटा संस की सिफारिश करने वाले अधिकारियों के एक प्रस्ताव को मंजूर कर लिया।

मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, “एयर इंडिया विनिवेश मामले में भारत सरकार द्वारा वित्तीय बोलियों (Financial Bids) को मंजूरी देने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत हैं।” “मीडिया को सरकार के फैसले के बारे में जल्द ही सूचित किया जायेगा जब ये बोली लगाने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी।”

एयर इंडिया और टाटा संस ने इस मामले पर बयान देने से इनकार कर दिया। इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्रालय ने कहा था कि उसे इंडियन एयरलाइन के लिये बोलियां मिली हैं, लेकिन बोली लगाने वालों के नाम का खुलासा नहीं किया गया। गौरतलब है कि एयर इंडिया के विनिवेश प्रक्रिया (Disinvestment Process) उस समय हो रही है, जब एयरलाइन इंडस्ट्री (Airline Industry) कोरोनोवायरस महामारी को रोकने के मकसद से लगे प्रतिबंधों के कारण मंदी से उबरने की कोशिश कर रही है।

इस कवायद को मोदी की सरकार के लिये राहत के तौर पर देखा जा रहा है, जो घाटे में चल रही एयरलाइन में अपना पूरा हित (स्टेक) बेचने पर जोर दे रही है। एयर इंडिया की बोली जीतने वाले को 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और घरेलू हवाई अड्डों पर पार्किंग स्लॉट (Parking Slot) के साथ-साथ लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे समेत विदेशों में कई हवाई अड्डों पर 900 स्लॉट भी हासिल होगें।

इसी क्रम में कम लागत वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस का 100% और AISATS का 50 फीसदी स्टेक भी विनेविशीकृत होगा। AISATS प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवायें मुहैया कराती है।

इस मामले पर अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार एयर इंडिया चलाने के कारण हर दिन लगभग 200 मिलियन रुपये का नुकसान हो रहा था। जिससे अब तक 700 अरब रुपये (9.53 अरब डॉलर) से ज़्यादा का नुकसान हुआ है। लगभग तीन साल पहले एयर इंडिया के बड़े हिस्से को विनिवेशीकरण करने की नीलामी प्रक्रिया में उतारा गया था लेकिन किसी बोली नहीं लगायी। जिसके कारण सरकार को शर्तों में ढील देनी पड़ी। इसने महामारी के दौरान कई भी कई बार बोली लगाने की प्रक्रिया की सीमा को कई बार बढ़ाया गया।

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