Flood in Yamuna River: बारिश के चलते फिर खतरे के निशान के ऊपर पहुँचा यमुना का जलस्तर

नई दिल्ली (निकुंजा वत्स): Flood in Yamuna River: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के बीच यमुना नदी का जल स्तर खतरनाक सीमा से नीचे गिरने के 12 घंटे से भी कम वक्त बाद आज (19 जुलाई 2023) सुबह फिर से खतरे के निशान को पार कर गया। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के मुताबिक आज सुबह 8 बजे जलस्तर 205.48 मीटर और एक घंटे बाद 205.60 मीटर तक पहुंच गया। शाम छह बजे तक इसके बढ़कर 205.72 मीटर होने की संभावना है।

हथिनीकुंड बैराज (Hathinikund Barrage) पर प्रवाह दर में बीते मंगलवार (18 जुलाई 2023) दोपहर को मामूली सा इज़ाफा देखा गया, जो कि 50,000 से 60,000 क्यूसेक के बीच था। आज सुबह सात बजे तक ये घटकर करीब 39 हजार क्यूसेक रह गया। बता दे कि एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकंड के बराबर होता है।

इस बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 22 जुलाई तक उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश (Uttarakhand and Himachal Pradesh) में अलग-अलग इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश और बुधवार को दिल्ली में मध्यम दर्जें की बारिश होने की चेतावनी जारी की है।

आठ दिनों तक खतरनाक सीमा से ऊपर बहने के बाद बीते मंगलवार रात आठ बजे तक नदी का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर से नीचे आ गया। आज सुबह 5 बजे घटकर ये 205.22 मीटर पर आ गया, जिसके बाद ये फिर बढ़ना शुरू हो गया।

जल स्तर में इज़ाफे से राजधानी के बाढ़ग्रस्त निचले और डूब के इलाकों में प्रभावित परिवारों का पुनर्वास धीमा हो सकता है और उन्हें राहत शिविरों में लंबे समय तक रहना पड़ सकता है। इसका असर पानी की सप्लाई पर भी पड़ सकता है, जो कि वजीराबाद (Wazirabad) में एक पंप हाउस में पानी भर जाने की वज़ह से चार से पांच दिनों तक प्रभावित रहने के बाद आज ही सामान्य हो पायी।

पंप हाउस वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला (Chandrawal and Okhla) वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों को कच्चे पानी की सप्लाई करता है, जो कि शहर की सप्लाई का लगभग 25 फीसदी है। ओखला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ने बीते (14 जुलाई 2023) शुक्रवार को चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ने रविवार (16 जुलाई 2023) को और वजीराबाद (18 जुलाई 2023) ने मंगलवार को काम करना शुरू कर दिया।

मंगलवार शाम को दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board-DJB) के एक अधिकारी ने कहा कि, “पल्ला में नदी के बाढ़ क्षेत्र में कुछ ट्यूबवेलों में पानी भर जाने की वज़ह से प्रति दिन केवल 10-12 मिलियन गैलन पानी (एमजीडी) की कमी है।”

डीजेबी पल्ला बाढ़ के मैदानों में लगाये गये ट्यूबवेलों से लगभग 30 एमजीडी पानी निकालता है। गुरुवार (13 जुलाई 2023) को यमुना नदी 208.66 मीटर के अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद नदी धीरे-धीरे कम हो रही थी। सोमवार (17 जुलाई 2023) को जल स्तर में मामूली सा इज़ाफा देखा गया, इससे पहले कि यो फिर से गिरना शुरू हो जाये।

दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से जलभराव और बाढ़ की समस्या से जूझ रहे हैं। शुरुआत में 8 और 9 जुलाई को भारी बारिश के चलते भारी जलभराव हुआ, इसी के साथ दिल्ली में सिर्फ दो दिनों में ही अपने मासिक बारिश कोटा का 125 फीसदी पानी हासिल हुआ।

इसके बाद हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा (Haryana) समेत ऊपरी जलग्रहण इलाकों में भारी बारिश के कारण यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया।

गुरुवार को नदी 208.66 मीटर तक पहुंच गयी, जिसने सितंबर 1978 में बनाये गये 207.49 मीटर के पिछले रिकॉर्ड को बड़े भारी अंतर से पीछे छोड़ दिया। इसने तटबंधों को तोड़ दिया और शहर में पिछले चार दशकों के मुकाबले ये ज्यादा गहराई तक घुस गयी।

बीते शुक्रवार को एक अहम पड़ाव आया जब यमुना का उफान और उसके नतीज़न नालों से बदबूदार पानी का बहाव सुप्रीम कोर्ट, राजघाट और आईटीओ (Rajghat and ITO) के व्यस्त चौराहे जैसे अहम इलाकों में फैल गया।

शुक्रवार को हुई परेशानी से पहले नदी का पानी पहले ही लाल किले (Red Fort) की पिछली प्राचीर तक पहुंच गया था और कश्मीरी गेट (Kashmiri Gate) पर शहर के अहम बस टर्मिनलों में से एक में पानी भर गया। आंशिक रूप से बाढ़ रिंग रोड पर कश्मीरी गेट की ओर आ गयी और ये हालात लगातार तीन दिनों तक बंद बने रहे।

बाढ़ के नतीज़े काफी विनाशकारी रहे हैं, 27,000 से ज्यादा लोगों को उनके घरों से निकाला गया है। इस दौरान बहुत से लोगों की संपत्ति, कारोबार और कमाई से जुड़ा करोड़ों का नुकसान हुआ है।

विशेषज्ञ दिल्ली में इस भारी बाढ़ की वज़ह बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण, कम वक्त के भीतर होने वाली ज्यादा बारिश और नदी के तल में गाद के इकट्ठा होने को मानते हैं।

सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की ओर से शहरी बाढ़ और उसके मैनेजमेंट पर एक अध्ययन में सामने आया कि पूर्वी दिल्ली को बाढ़ क्षेत्र के अंतर्गत और बाढ़ के प्रति काफी संवेदनशील माना गया है।

इसके बावजूद पिछले कुछ सालों में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील इलाकों में तेज रफ्तार से अतिक्रमण और विकास हुआ है।

दिल्ली वन विभाग और शहर की प्राथमिक भूमि-स्वामित्व एजेंसी, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA- Delhi Development Authority) के बीच आदान-प्रदान किये गये आधिकारिक खतों से पता चलता है कि साल 2009 के बाद से यमुना बाढ़ के मैदानों में 2,480 हेक्टेयर भूमि पर अवैध कब़्जा किया गया है, जिसकी वज़ह से डूब के इलाकों में जनसांख्यिकी दबाव काफी बढ़ा है।

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