दिवालियेपन के कगार पर पहुँची Vodafone और Idea, जिओ को मिली प्रिडेटर प्राइसिंग छूट टेलीकॉम सेक्टर के लिये खतरनाक

वोडाफोन आइडिया की बर्बादी के उल्टे दिन शुरू। हालात यहाँ तक खराब है कि कुमार मंगलम बिड़ला जो वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (Vodafone Idea Limited) में पार्टनर है, उन्होनें हाथ खड़े कर दिये है। उन्होंने ऑफर किया है कि वो कंपनी पर अपना नियंत्रण छोड़ने को भी तैयार हैं। साथ ही सरकार से कहा है कि कंपनी का वजूद बचाने के लिए वो किसी भी सरकारी या घरेलू फाइनेंशियल कंपनी को अपनी हिस्सेदारी देने को राजी हैं।

वोडाफोन-आइडिया पिछले 10 महीनों से 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का प्रयास कर रही है लेकिन अब तक उसकी कोशिशें नाकाम ही रही हैं। सरकार की ओर से कोई राहत नहीं मिलने से कंपनी की वित्तीय स्थिति (Financial Situation) तेजी से खराब हुई है।

कंपनी में कुमार मंगलम बिड़ला (Kumar Mangalam Birla) की 27% और ब्रिटेन की कंपनी वोडाफोन पीएलसी की 44% हिस्सेदारी है। कंपनी की खस्ता हालत देख दोनों प्रमोटर्स ने कंपनी में ताजा निवेश नहीं करने का फैसला किया है, वोडाफोन पिछले साल ही कंपनी में अपने पूरे निवेश को बट्टे खाते में डाल चुकी है। वोडाफोन पीएलसी के सीईओ निक रीड (Vodafone Plc CEO Nick Reed) पहले ही कह चुके हैं कि भारत सरकार अगर स्पेक्ट्रम मांग को सुगम नहीं बनायेगी तो वोडाफोन आइडिया परिसमापन में चली जाएगी।

यानि वोडाफोन आइडिया का बन्द होना लगभग तय है, अब इसका असर क्या होगा ये समझना हम सब केलिये जरूरी है। सबसे बड़ा असर बैंकों पर आयेगा। वोडाफोन का इंडिया पर करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। बैंकिंग सेक्टर में भारतीय बैंको ने तकरीबन एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज  दिया हुआ है। इसमें 43 हजार करोड़ रुपये सिर्फ एसबीआई का है। यानि अगर आइडिया वोडाफोन दिवालिया होती है तो भारतीय बैंको को बहुत बड़ा नुकसान होगा उनके फंसे कर्जे (एनपीए) की स्थिति और बिगड़ेगी।

दूसरा सबसे बड़ा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ना तय है, जो इस कंपनी की सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। ट्राई के डाटा के मुताबिक वोडाफोन आइडिया के पास लगभग 30 करोड़ ग्राहक हैं। ये देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कम्पनी है ये सारे ग्राहक एयरटेल ओर जियो (Airtel And JIO) में बंट जायेगें।

तीसरा असर इसके कर्मचारियों पर पड़ेगा वोडाफोन-आइडिया कंपनी बंद होती है तो उसके करीब 13,520 कर्मचारियों की नौकरी जायेगी।

सरकार जो 5G स्पेक्ट्रम की बिक्री (5G spectrum sales) करने जा रही है उसे भी सही कीमत नहीं मिलेगी। बैंक अब टेलीकॉम को और ज्यादा कर्ज देने से डर जायेगें। वोडाफोन आइडिया के दिवालिया होने से विश्व में भारत की साख को बहुत बड़ा धक्का पहुंचेगा क्योंकि जब वोडाफोन भारत आयी थी तब इसे सबसे बड़ा विदेशी निवेश बताया गया था। ऐसे में कौन विदेशी निवेशक भारत मे अपना पैसा लगाने को अब तैयार होगा। केन्द्र सरकार ने कम्पनी जिओ को प्रिडेटर प्राइसिंग की छूट (Jio Predator Pricing Discount) देकर इस पूरे टेलीकॉम सेक्टर की कब्र खोद दी है।

साभार – गिरीश मालवीय

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