Russia Ukraine War: रूसी तेल डिपो को यूक्रेनी सुरक्षा बलों ने बनाया निशाना, पांच देशों पर मंडराया ऊर्जा संकट

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) का आज 63वां दिन है। भारी नुकसान के बीच यूक्रेन ने हाल ही में रूस के ब्रांस्क शहर (Bryansk City) पर हमला बोल दिया। यूक्रेनी सैनिकों ने शहर में स्थित तेल डिपो को तबाह करते हुए मिसाइलें दागीं। आग की लपटों और धुएं के गुब्बार को देखकर ही आग की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। धमाके के बाद जो लपटें उठीं वो किसी ज्वालामुखी से कम नहीं लग रही थीं।

मामले पर रूस के ऊर्जा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि ब्रांस्क में एक डीजल ईंधन डिपो को तबाह कर दिया। फिलहाल अधिकारी घटना के नतीज़ों की जांच कर रहे हैं। रूसी बिजली मंत्रालय ने कहा है कि देश के पश्चिमी हिस्से में तेल डिपो में भीषण आग से ईंधन की कोई कमी नहीं होगी।

मंत्रालय के मुताबिक, उपभोक्ताओं को ईंधन की आपूर्ति बाधित नहीं हुई है और इस इलाके में 15 दिनों के लिये पर्याप्त डीजल ईंधन उपलब्ध है। तेल डिपो का मालिकाना हक़ ट्रांसनेफ्ट द्रुज़बा (Transneft Druzhba) के पास है, जो रूसी सरकार की संचालित ट्रांसनेफ्ट की सहायक कंपनी है, ये कंपनी यूरोप में कच्चे तेल को ले जाने वाली द्रुज़बा (मैत्री) पाइपलाइन को ऑपरेट करती है।

भले ही रूस तेल डिपो में आग से हुए नुकसान को कम करके आंक रहा हो, लेकिन नाटो इससे सहमत नहीं है। नाटो विशेषज्ञ थॉमस सी थेनर (NATO Expert Thomas C.Thener) ने ट्वीट कर लिखा कि, “अगर द्रुज़बा तेल पाइपलाइन पंप में आग लग जाती है तो यूरोप में रूस की एकमात्र तेल पाइपलाइन तबाह हो जाती है। मतलब जर्मनी, ऑस्ट्रिया और हंगरी (Austria and Hungary) को अब रूसी तेल नहीं मिलेगा।”

आपको बता दें कि द्रुजबा पाइपलाइन 5500 किमी तक फैली है। ये कई यूरोपीय संघ के देशों के माध्यम से साइबेरिया, यूराल और कैस्पियन सागर (Ural and Caspian Sea) में कच्चा तेल भेजती है। पाइपलाइन बेलारूस (Belarus) में मोज़ियर (Mosier) से चलती है, जहां ये उत्तरी और दक्षिणी शाखा में विभाजित होती है।

उत्तरी शाखा बेलारूस और पोलैंड (Poland) से होते हुए जर्मनी तक जाती है। जबकि दक्षिणी शाखा यूक्रेन से होकर गुजरती है। बाद में इससे स्लोवाकिया, चेक गणराज्य और हंगरी (Czech Republic and Hungary) के कई इलाकों में ये तेल की सप्लाई करती है। इस पाइपलाइन से रोजाना 1.2-1.4 मिलियन बैरल तेल भेजा जाता है।

रूस के कच्चे तेल का लगभग 70% से 85% इम्पोर्ट बाल्टिक सागर और काला सागर (Baltic Sea and Black Sea) पर पश्चिमी बंदरगाहों के जरिये होता है। यूरोप (Europe) में ज़्यादातर इम्पोर्ट तेल टैंकरों और बंदरगाहों के जरिये किया जाता है। इस बीच पोलिश और बाल्गेरियाई अधिकारियों ने बीते मंगलवार (26 अप्रैल 2022) को कहा कि रूसी रूबल (Ruble) में भुगतान करने से इनकार करने की वज़ह से मास्को उनके देशों में प्राकृतिक गैस ड्रिस्टीब्यूशन में कटौती कर रहा है।

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