Tokyo Olympic 2020: जर्मनी को रौंदकर भारतीय पुरूष हॉकी टीम ने जीता कांस्य पदक, ये रहे मैच के अहम पल

स्पोर्ट्स डेस्क (नरसिम्हन नायर): Tokyo Olympic: मनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जर्मनी के खिलाफ कांस्य ओलंपिक पदक जीतकर हॉकी में पड़े ओलंपिक मेडल के 41 पुराने इंतजार को खत्म कर दिया। आज (5 अगस्त 2021) भारतीय टीम ने जर्मनी को 5-4 से रौंदकर ओई हॉकी स्टेडियम में शानदार खेल का मुज़ाहिरा किया। ये अद्भुत क्षण कई भारतीय प्रशंसकों के लिये काफी भावुक करने वाला था। ये शानदार पल भारतीय हॉकी से स्वर्णिम पन्नों में दर्ज हो गया।

श्रीजेश ने अंतिम क्षणों में पेनल्टी बचाई और मैदान पर तमाम भारतीय प्रशंसकों की भावनाओं को पर्याप्त सम्मान दिया। ये पेनाल्टी जर्मन टीम के लिये गोल हो सकती थी, जिसके बीच श्रीजेश दीवार बनकर खड़े हो गये। पहले क्वार्टर के पहले मिनट में जर्मनी की ओर से एक शुरुआती गोल हुआ। ये गोल हर्ज़ब्रुक की ओर रिवर्स हिट थी और इसे तैमूर ओरुज़ (Taimur Oruz) ने मारा था। भारतीय गोलकीपर श्रीजेश (Indian goalkeeper Sreejesh) ने पहला बचाव किया, लेकिन फिर वो रिबाउंड पर जा गिरे।

पहले हाफ की समाप्ति के लिये हूटर सुनने के बाद तक यहीं चल रहा था। जब जर्मन पेनाल्टी को गोल में बदलने की कोशिश कर रहे थे, श्रीजेश बचाव करते हुए चट्टान की तरह खड़े हो गये। फर्स्ट हाफ 1-1 से बराबरी पर रहा। दूसरे क्वार्टर में भारतीय टीम ने शानदार वापसी की। यहां पर टीम को मिडफ़ील्डरों (Midfielders) ने काफी समझदारी से खेल खेला और सिमरनजीत ने तेज रिवर्स फ्लिक शॉट लगाकर गोल किया।

बराबरी के बाद भारतीय रक्षा पंक्ति (Indian Defence Line) कमजोर हो गयी क्योंकि जर्मनी ने दो मिनट के अंतराल में दो बार गोल स्कोर किया। जो कि जर्मनी का जवाबी हमला था। रुहरर गेंद को गोल पोस्ट के अंदर भेजने का एक तरीका ढूंढा जिसके बाद वेलेन ने गोल कर जर्मनी को बढ़त दिलायी। जर्मनी के खिलाफ अगला गोल सुरेंद्र कुमार की स्टिक से निकला। फर्क ने तीसरा स्कोर किया।

लक्ष्य का पीछा करते हुए भारतीय टीम ने वो सब किया जो वे कर सकते हैं। हरमनप्रीत की ड्रैग फ्लिक (Drag Flick) का किया जिसे जर्मन गोलकीपर ने डिफेंड कर लिया, लेकिन हार्दिक सिंह ने रिबाउंड पर गोल कर दिया। भारतीय टीम ने पेनल्टी को गोल में बदला दिया। पेनल्टी कार्नर से गोल करने के बाद हरमनप्रीत सिंह गोल को सुनिश्चित कर दिया। इस बीच मंदीप सिंह घेरे के अंदर फंस गये और जर्मनी ने रेफरल मांगा। विंडफेडर ने कहा था कि कोई कॉन्टेक्ट नहीं था, लेकिन रिप्ले कुछ और ही दिखा रहा था।

इसी क्रम में भारत टीम ने लगभग छह मिनट में तीन गोल कर 3-1 की कमी को 4-3 की बढ़त में तब्दील कर दिया। इस बेहतर बढ़त को सुनिश्चित करने के साथगुरजंत सिंह दाहिनी ओर चिल्लाते हुए देखा गया और ड्रिबल करते हुए सिमरनजीत गेंद पर पूरी तरह नियंत्रण रखा और गेंद को जर्मन रक्षा पंक्ति को फॉरवर्ड फ्लिक की मदद से भेदा। तीसरे क्वार्टर के आखिर में भारतीय टीम ने 5-3 से बढ़त बनाये रखी। जर्मन टीम ने भारतीय खिलाड़ियों को काफी दौड़ाया-भागाया पर गोल बचा लिया, लेकिन भारत ने अंत तक अपनी मजबूत पकड़ बनाये रखी।

चौथे क्वार्टर की शुरुआत में जर्मनी को पेनल्टी मिली और उसने उसे गोल में कन्वर्ट किया। लुकास विंडफेडर ने गोल के केंद्र में सीधे मारा गेंद श्रीजेश की टांगों से आगे निकली गयी और गोल का अंतर घटकर एक रह गया। आखिर में मैच पूरी तरह भारत की पकड़ में आ गया। कांस्य जीत भारतीय खिलाड़ियों में लोगों का दिल जीत लिया।

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