COVID झेल चुके लोगों में अब सामने आ रही है ब्रेन फॉग की समस्या, जानें इसके बारे में

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): कोरोना महामारी (COVID-19) ने दुनिया भर में लोगों की ज़िन्दगी को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी घातक लहर में कई लोग इस वायरस से संक्रमित हो गये. जबकि हम में से बहुत से लोग ठीक हो गए हैं, बहुत से लोग COVID-19 के बाद के लक्षणों की रिपोर्ट कर रहे हैं, जिसे ‘लॉन्ग COVID’ भी कहा जाता है। COVID के बाद के हुए लक्षणों में से एक बीमारी है ब्रेन फॉग जिसके कारण लोगों को स्पष्ट रूप से सोचने समझने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के बीमारी से उबरने के बाद भी शरीर पर बना रहता है और ये ब्रेन फॉग (Brain Fog) का कारण बनता है। सीधे शब्दों में कहे तो इसे मस्तिष्क के धुंधलापन के तौर पर भी जाना जाता है। ये तब होता है जब कोरोना संक्रमण की अवधि के दौरान रोगियों में रक्त के थक्के बनते हैं। ब्रेन फॉग कोविड-19 बीमारी के इलाज के दौरान रोगियों के मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कम आपूर्ति (low supply of oxygen to the brain) के कारण भी हो सकता है। कोविड-19 जहां शरीर के अंगों को प्रभावित करता है, वहीं ये बीमारी रोगी के मस्तिष्क पर भी अपना सीधा असर डालती है।

ब्रेन फॉग से पीड़ित मरीज़ में अक्सर थकान (Tiredness), शरीर में दर्द, सिरदर्द और नींद न आने की शिकायत देखी गयी है। हालांकि ये साफ नहीं है कि कोविड-19 से ठीक होने के बाद एक व्यक्ति ब्रेन फॉग से कैसे पीड़ित हो जाता है।

ब्रेन फॉग के दौरान व्यक्ति अवसाद (Depression) से पीड़ित हो सकता है और उसे ध्यान केंद्रित करने में काफी कठिनाई हो सकती है। कुछ को भूख न लगने की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। ब्रेन फॉग से पीड़ित मरीजों को भी इसे दूर करने के लिये उचित डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिये। ब्रेन फॉग लॉन्ग COVID में जहां मरीज अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, समझ की कमी और स्पष्ट सोच से भी पीड़ित हो सकते हैं, वहीं कभी-कभी कोई व्यक्ति सोचते समय हकला भी सकता है। इन मामलों में मरीज को डॉक्टर के पास तुरन्त सलाह के लिये जाना चाहिये।

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