ज़वाबी कार्रवाई करते हुए विदेश मंत्रालय ने जतायी चिंता, कहा UK में बढ़ रहा है नस्लवाद

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): किसान आंदोलन की धमक यूनाइटेड किंगडम (UK) की संसद में देखी गयी। कई ब्रिटिश सांसदों ने तीनों कृषि कानूनों के मसौदे पर चिंता ज़ाहिर की। इस मामले पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति दर्ज करवायी गयी। भारत ने कहा कि ये मुद्दे पर भारत का आंतरिक मामला ऐसे में ब्रिटिश सांसदों को इस पर प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए था। इसी कड़ी में भारत की ओर से ज़वाबी कार्रवाई करते हुए विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद ने सदन में रंगभेद और नस्लभेद के मामले को हवा दी।

हाल ही में ब्रिटिश शाही परिवार के खिलाफ डचेस ऑफ ससेक्स मेगन मार्कल (Duchess of Sussex Megan Markle) ने नस्लवाद के आरोप लगाये। जिसकी पृष्ठभूमि में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय मूल अध्यक्षा रश्मि सामंत को इसी तरह की समस्याओं से दो-चार होना पड़ा। जिसका मामला आज (15 मार्च 2021) विदेशमंत्री ने भारतीय संसद में उठाया। गौरतलब है कि ओडिशा के भाजपा सांसद अश्विनी वैष्णव ने इस मुद्दे पर सरकार से प्रतिक्रिया मांगी। रश्मि सामंत ने रंगभेदी और नस्लभेदी टिप्पणियों से आहत होकर छात्र संघ के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था।

भाजपा सांसद ने सदन को बताया कि, एक फैकल्टी मेंबर ने खुलतौर पर रश्मि सामंत के माता-पिता पर हिंदू धार्मिक विश्वासों का पालन करने पर उनका खुलेआम मखौल उड़ाया था। भारतीय संसद में इस तरह ब्रिटेन में नस्लवाद का मामला पहली बार उठाया गया है। ये पहली बार है जब भारतीय संसद ने ब्रिटेन में हो रहे नस्लवाद जैसे मुद्दे को उठाया हैं। भारतीय विदेश मामलों के मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, इस मामले को ब्रिटेन के सामने उठाया जायेगा।

सदन में प्रतिक्रिया देते हुए जयशंकर ने कहा, मैं इस तरह के अहम मुद्दे को लाने के लिए माननीय सदस्य की सराहना करता हूं। मैं और केन्द्र सरकार सदन की भावना का ख्याल रखते है। हम महात्मा गांधी की ज़मीन पर पले-बढ़े नागरिक है। हम कभी भी जातिवाद के ज्वलंत मुद्दों से आंखे नहीं फेर सकते। खासतौर से ऐसे मुल्क में जहां बड़ी तादाद में भारतीय प्रवासी रहते हो।

जयशंकर प्रसाद ने आगे कहा कि, यूके हमारे बेहतरीन मित्र राष्ट्रों में से एक है। हम अच्छे से समझ सकते है कि मौजूदा मामले से उसकी स्थापित प्रतिष्ठा पर गहरा आघात पहुँचेगा। मैं ये दोहराना चाहूँगा कि यूके के साथ हमारे मजबूत संबंध कायम रहेगें। जरूरत पड़ने पर दोनों मुल्क एक दूसरे की रहबरी कर सकते है। मोदी सरकार इस मामले पर करीबी नज़रे बनाये हुए है। जरूरत पड़ने पर उचित मंचों से नस्लवाद और असहिष्णुता का मुद्दा हर बार उठाया जायेगा। रंगभेद, नस्लभेद और असहिष्णुता (Apartheid, Racism and Intolerance) के खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी।

दिलचस्प बात ये है कि इस साल की शुरुआत में यूके हाउस ऑफ कॉमन्स के वेस्टमिंस्टर हॉल में भारत के कृषि कानूनों पर चर्चा की गयी थी। ब्रिटेन के सांसदों ने इस मामले पर चल रहे विरोध प्रदर्शनों का ब्रिटिश संसद सदन में काफी जोर-शोर से उठाया था। जिसके बाद भारत ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब कर सख़्त नाराज़गी दर्ज करवायी थी।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More