Mamata Banerjee और राज्यपाल के बीच बढ़ सकती है तल्खियां

न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों की डगर सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के लिए आसान होती नहीं दिख रही है। पश्चिम बंगाल की तख़्त पर भगवा फैलाने के लिए भाजपा की बेताबी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। भाजपा ने पश्चिम बंगाल फतह करने के मुद्दे को अपनी अस्मिता से जोड़ लिया है। भाजपा ने इसके लिए दिलीप घोष और कैलाश विजवर्गीय (Dilip Ghosh and Kailash Vijayvargiya) जैसे सिपहसालारों को मैदान उतार रखा है। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल का दौर कर अपने इरादे भी जगजाहिर कर दिये है। जिसके बाद से उम्मीद लगायी जा रही है कि चुनावी मौसम पश्चिम बंगाल के लिए खून-खराबे भरा रहेगा। इसकी एक झलक तब मिली, जब गुस्साई भीड़ ने पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष का घेराव कर लिया।

पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख दिलीप घोष भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ अलीपुरद्वार जिले में पहुँचे थे। गुस्साई भीड़ ने उनके काफिले पर पत्थर बरसाये और साथ ही कई गाड़ियों में तोड़-फोड़ और आगजनी की खब़रे सामने आयी। हालांकि इस दौरान भीड़ में से उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। इस प्रकरण का आरोप भाजपा ने टीएमसी पर लगाया। जिसके बाद से दोनों के बीच ज़ुबानी हमला तेज हो गया। मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्यपाल ने राजनीतिक हिंसा (Political violence) की आलोचना की ओर संविधान सम्मत कार्रवाई करने की भी बात कही। जिसके बाद से प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की संभावनायें काफी बढ़ गयी है।

राज्यपाल जगदीप धनखड़ के मुताबिक- सूबे में राजनीतिक हिंसा के दौर चरम पर है। विपक्ष की आवाज़ को कुचला जा रहा है। राज्य के अधिकारियों का बर्ताव पॉलिटिकल एक्टीविस्ट (Political activist) वाला हो गया है। ये स्वस्थ लोकतन्त्र के लिए ठीक नहीं है। विपक्षी नेताओं को सुरक्षा मुहैया करवाने में भी सियासी दांव-पेंच खेला जा रहा है। साथ ही उनकी सुरक्षा भी वापस ले ली जा रही है। मौजूदा हालातों को देखते हुए मैं काफी चिंतित हूं। जनता का विश्वास खोता जा रहा है कि, राज्य में निष्पक्ष चुनाव हो सकते है। राष्ट्रपति शासन के बारे मुझे कुछ नहीं कहना है। हां संविधान ने जो मुझे शक्तियां दी है, उसका इस्तेमाल करते हुए जनता के हित में फैसले ले सकता हूँ।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 के तहत) का फैसला ले लिया तो इससे दोनों के बीच सीधे तौर पर तल्खियां बढ़ेगी। कहीं ना कहीं ममता इसकी आड़ में विक्टिम कार्ड भी खेल सकती है। ममता बैनर्जी के कार्यकाल में कई भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की निर्मम हत्यायें हुई है, जिसका सीधा आरोप तृणमूल कांग्रेस पर लगता रहा है। आमतौर पर लोग इसे सूबे की राजनीति में भाजपा के बढ़ते कद के प्रति टीएमसी की बौखलाहट के तौर पर देख रहे है। फिलहाल राज्यपाल के बयान पर टीएमसी और ममता बैनर्जी की ओर से किसी भी तरह की कोई औपचारिक प्रतिक्रिया (Formal response) सामने नहीं आया है।

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