सतह से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन Missile का हुआ सफल परीक्षण

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): आज (8 सितम्बर 2022) ओडिशा (Odisha) तट से सतह से हवा में मार करने वाली क्विक रिएक्शन मिसाइल (QRSAM- Quick Reaction Surface-to-Air Missile) सिस्टम की छह उड़ानों की कामयाब टेस्टिंग की गयी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO– Defence Research and Development Organisation) के मुताबिक भारतीय सेना ने इस उड़ानों को टेस्टिंग के तौर पर उड़ाया साथ ही सतह से हवा में मार करने वाले आक्रामक पहलुओं के सभी मापदंड़ों पर इसका मूल्याकंन भी किया।

इस दौरान इन उड़ानों को हाई स्पीड एरियल टारगेट और कई तरह के खतरों के बनावटी हालातों में इसे परखा गया। जिनमें लॉन्ग रेंज मीडियम ऐल्टीट्यूड, शॉर्ट रेंज हाई ऐल्टीट्यूड, मेन्यूवर टारगेट, लॉ रडार सिग्नेचर, क्रॉसिंग टारगेट और सॉल्वो लॉन्च जैसों मानकों पर मिसाइल को कामयाब पाया गया। साथ ही मिसाइल अपनी पूरी क्षमता के साथ दिन-रात और किसी भी तरह के मौसमी हालातों में कारगर दिखी।

इन परीक्षणों के दौरान सभी मिशन बखूबी अंज़ाम दिये गये। मिसाइल के स्टेट ऑफ दि आर्ट गाइडेंस सिस्टम, वॉरहेड चैन और कन्ट्रोल एल्गोरिदम ने मिलकर क्यूआरएसएएम वेपन सिस्टम की पिन-पॉइंट एक्यूरेसी का प्रदर्शन किया। इंटीग्रेटिड टेस्टिंग रेंज (ITR-Integrated Testing Range) में तैनात टेलीमेट्री, रडार और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम (EOTS- Electro-Optical Tracking System) जैसे कई रेंज इक्विपमेंट ने मिसाइल सिस्टम के प्रदर्शन के जुड़े शानदार डेटा का इकट्ठा कर उसे कैप्चर किया। इसी डेटा के एनालिसिस से मिसाइल का मारक क्षमता का आकलन किया गया।

डीआरडीओ और भारतीय सेना (Indian Army) के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस लॉन्च में हिस्सा लिया। इन परीक्षणों का फाइनल  डिप्लॉयमेंट कॉन्फिगरेशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित था। इसमें रेडियो फ्रिकवेंसी टारगेटर, मोबाइल लॉन्च इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम, पूरी तरह से ऑटोमेटिक कमांड और कन्ट्रोल सिस्टम, मॉनिटरिंग और मल्टीपल फंक्शन रडारसभी स्वदेशी रूप से विकसित उप-प्रणालियों को इसमें शामिल किया गया था।

क्यूआरएसएएम हथियार प्रणाली की खास बात ये है कि ये खोज और ट्रैक क्षमता के साथ थोड़े समय के अंतराल पर तुरन्त फायर कर सकती है। पहले फायर के साथ ही ये दूसरे टारगेट को खोजकर उसे लॉक कर मार गिराने के लिये तैयार हो जाती है, इसमें कुछ ही सैकण्ड़ का समय लगता है। इस कारगर ताकत को पहले ही मोबिलिटी टेस्टिंग के दौरान परख लिया गया था।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More