Bulldozer Action by UP Govt.: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा कानून तरीके से चलाये जाये बुलडोजर, अगले हफ्ते फिर होगी सुनवाई

नई दिल्ली (विश्वरूप प्रियदर्शी): Bulldozer Action by UP Govt.: सुप्रीम कोर्ट ने आज (16 जून 2022) उत्तर प्रदेश सरकार, प्रयागराज और कानपुर (Prayagraj and Kanpur) में अधिकारियों को दंगा-आरोपियों के अवैध घरों गिराने के लिये बुलडोजर की कार्रवाई पर तीन दिनों में जवाब दाखिल करने के लिये कहा। शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार से गैरकानूनी कब्जों को हटाते समय कानून की उचित प्रक्रिया का सख्ती से पालन करने के लिये भी कहा। मामले की सुनवाई अगले हफ़्ते के लिये निर्धारित की गयी है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-e-Hind) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह और अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन (Advocate Nitya Ramakrishnan) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यूपी के मुख्यमंत्री ने बुलडोजर का इस्तेमाल कर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी, जिसके बाद अधिकारियों ने बिना नोटिस दिये ही दंगा-आरोपियों के घरों को गिरा दिया।

जस्टिस एएस बोपन्ना (Justice AS Bopanna) और विक्रम नाथ की न्यायिक खंडपीठ (Judicial Bench) ने कहा कि “नागरिकों के बीच ये भावना होनी चाहिये कि देश में कानून का शासन है”।

इस बीच सॉलिसिटर जनरल (SG- Solicitor General) तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था। उन्होंने दावा किया कि ये “न्यायिक प्रक्रिया का उपहास होगा अगर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) जनहित याचिका के आधार पर फरमान देता है तो देश भर में कानून के शासन का पालन किया जाना चाहिये”।

एसजी मेहता ने बताया कि किसी भी पीड़ित व्यक्ति ने शीर्ष अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया है क्योंकि वो जानते हैं कि कानून की उचित प्रक्रिया के बाद ही उनके अवैध निर्माणों को तोड़ा गया। उन्होंने ये भी कहा, “पीड़ित व्यक्ति संपन्न हैं और अपने संपत्ति अधिकारों की रक्षा के लिये कोर्ट जा सकते हैं। उच्च न्यायालय राहत दे सकता है अगर उनकी संपत्ति कानूनी थी।”

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (PDA- Prayagraj Development Authority) के लिये पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Senior Advocate Harish Salve) ने कहा कि कानून के तहत जरूर नोटिस पहले अगस्त 2020 में विध्वंस किये जाने से पहले दिया गया था। उन्होंने कहा कि, “हम सब कुछ हलफनामे अपनी बात रखेंगे। जनहित याचिका दंगों के बाद फैली एक गलत धारणा पर आधारित है।”

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