Sex Life: कारगर नहीं ये बकवास सेक्स तकनीकें, पढ़े पूरा करे भ्रम दूर

लाइफ स्टाइल डेस्क (देविका चौधरी): कई दफ़ा हम लोग दिमाग में कुछ सेक्स तकनीकों (sex techniques) को लेकर कुछ गलतफहिमयां दिमाग में पाल लेते है। हमें ये लगने लगता कारगर होने के साथ वो काफी मजा देती है। भारत में ऐसी गलतफहिमयों की भरमार है। दोस्तों या करीबी लोग सेक्स करने से पहले सलाह देते हुए सेक्स से जुड़ी तरकीबें बताते है। साथ ही दावा करते है कि वो बेहतरीन होने के साथ कारगर भी है, जबकि ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर होती है। इसके अलावा कुछ अश्लील साहित्य और सेमी पोर्न (Pornography and Semi Porn) देखकर हमें लगने लगता है कि हां इन सेक्स तकनीकों में जान तो है। आज हम इन्हीं सेक्स तकनीकों का पोस्टमॉर्टम करते हुए बतायेगें कि ये उतनी भी असरदार नहीं है, जितना की इन्हें बताया जाता है।

जरूरत से ज़्यादा जीभ पर ना करें भरोसा

कुछ लोग भ्रम पाले रहते है कि उनकी जीभ की करामात बेड पर आग लगा देगी। इसके दम पर वो ओरल सेक्स में ही अपने पार्टनर को चारों खाने चित्त कर देगें। अगर आपने भी ये गलतफहमी पाली है तो इसे दिमाग से बाहर निकाल फेकें। ये बात मानी जा सकती है कि जीभ किस करते समय इस्तेमाल की जा सकती है। कुछ हद तक ये कमाल भी कर सकती है। अगर बेड परफॉर्मेंस का सारा दरोमदार इसी पर डाला दिया जाये तो? ज़वाब आसान है ये सारा मामला गड़बड़ कर देगी। ज़रा सोचिये आपकी पूरी बॉडी में सलाइवा लगा है तो आपको कैसा लगेगा? ऐसे में एन्जॉयमेंट कम और अज़ीब ज़्यादा लगेगा। इसलिए अपनी जीभ को एक हद तक काबू में रखना सीखें।

कार सेक्स, ना बाबा ना

ये वाला तो एकदम वाहियात है। कार में सेक्स करने को जो लोग एड़वेंचर मानते है, उनमें से ज़्यादातर लोग हॉलीवुड फिल्में देखते है। इसका मोटिवेशन वहीं से आता है। खासतौर से चलती कार में। ऐसा करके आप अपने पार्टनर की जान जोखिम में डालते है। ध्यान रहे ज़िन्दगी कोई पोर्न फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं है। हां एक जगह कार खड़ी करके डांसिग कार वाला एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है। ऐसे में आपको कमी ही इंटीमेंसी फील हो पायेगी। कार के लिमिटेड इंटीरियर एरिया (Limited Interior Area) में आप वो सबकुछ नहीं कर सकते, जितना की बेडरूम में कार सेक्सुअल एक्ट के बाद आप सेटिस्फिकेशन के कमी के कारण जरूर खीझ सकते है। इस मामले में ज़्यादा एक्सपेरिमेंटल होने का कोई तुक नहीं बनता।

हर बार अच्छा नहीं है वाइल्ड होना

सेक्स में जरूरत से ज़्यादा बेलगाम होने पर लोग वाइल्ड हो जाते है। अक्सर उन्हें ऐसा लगता है कि ऐसा करके वो पार्टनर को खुश कर देगें। बेदर्दी से बाल खींचना, नाखून चुभाना और खरोंचना भले ही मज़ेदार लगता हो लेकिन एकदम बेवकूफाना कदम है। ऐसे में इस बकवास सेक्स तकनीक का इस्तेमाल करने से बचे। भले ही आपके करीबी इस आजमाने के लिए इसे कहते हो। इसे करने से पार्टनर को नुकसान पहुँचता है। जिससे उनका मूड एकाएक ऑफ हो सकता है। जरूरत से ज़्यादा पागलपने के दायरे में आकर वाइल्ड होने से आपके निजी रिश्तों पर बेहद बुरा असर पड़ सकता है।

बेहतर सेक्स की ओर इशारा नहीं करती सिसकियां

ज़बरा पोर्न फैन ही इसकी दरकार अपने पार्टनर से रखता है। कई दफ़े दोस्त या सहेलियां सलाह देते है कि सेक्स के दौरान ज़ोर-ज़ोर चीखने की आवाज़े निकालना और बेरहम सिसिकियां निकालना अच्छे सैक्स की निशानी होता है। रियल ज़िन्दगी में आप कोई पॉर्न स्टार्स नहीं है। जो कि ऐसी हरकत को अंज़ाम दे। हां ऐसा जरूर है कि पेनिट्रेटिव सेक्स के दौरान क्लाइमेस पर पहुंचने के दौरान छोटी बहुत सिसिकियों की आवाज़ें आती है। वो आना लाज़िमी भी है, लेकिन ऐसी कोई भी बेवकूफाना हरकत ना करें जिससे कि चिल्लाहट पड़ोसियों के घर तक पहुंचे। स्क्रीन पर दिखने वाली चीखें और तेज सिसिकियां पूरी तरह फेक है। असल में ऐसा कुछ नहीं होता। अगर कोई आपको ऐसी तकनीक की सलाह देता है तो उसे दूर से ही नमस्कार कर लें।

कतई ना करें, पार्टनर को डोमिनेट करने की कोशिश

सेक्स में डोमिनेट करने जैसी कोई चीज़ नहीं होती है। ये फितूर ब्लू फिल्म इंडस्ट्री का तैयार किया हुआ है। सेक्स का असली मतलब है दोनों पार्टनर्स का इक्वल पार्टिस्पेशन (Equal participation)। अगर आपको लगता है कि कुछ खास टेक्निक्स का इस्तेमाल करके डोमिनेट सेक्स किया जा सकता है तो ये बेहद गलत परसेप्शन है। एकतरफा सेक्स कहीं ना कहीं रिश्तों में तनाव पैदा करता है। जानकारों का मानना है कि ये पॉर्न के शौक़ीनों दी देन है। ऐसे में डोमिनेट होने का ख्याल दिमाग से निकाल बाहर फेंक दे। कुल मिलाकर बेहतर सेक्स टेक्निक वहीं है, जिसमें दोनो पार्टनर्स फिजिकली और मेंटली इक्वल इन्वॉल्व होते है।

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