प्रेग्नेंसी में Sex? पूरा पढ़े और करे घबराहट दूर

लाइफ स्टाइल डेस्क (देविका चौधरी): गर्भावस्था के दौरान सैक्स (Sex During Pregnancy) को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की भ्रांतियां और गलतफहमी होती है। अमूमन ऐसा देखने में आता है कि प्रेगनेंसी का पता लगते ही कप्लस फिजिकल रिलेशन बनाना छोड़ देता है। खासतौर से पहली तिमाही के दौरान। इस दौरान लेडी पार्टनर के शरीर में कई हार्मोनल और रासायनिक बदलाव आते हैं। जिसकी वज़ह से उसे अपने साथी की नज़दीकियों की बेहद जरूरत होती है। डर और हिचकिचाहट के कारण दोनों ऐसा करने से काफी डरते हैं। अगर सही तरीके से दोनों का मार्गदर्शन किया तो इन हालातों से बचा जा सकता है।

मेडिकल पेशेवरों के मुताबिक इस दौरान महिला पार्टनर के शरीर में ब्लड फ्लो काफी तेजी से होता है। जिसकी वजह से सेक्स ड्राइव अपने चरम पर होती है। अगर पहले से कोई मेडिकल कॉम्पलिकेशन, मिसकैरेज या ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या ना हो तो काफी सहज तरीके से कुछ सावधानियों के साथ दोनों पार्टनर बेड पर अच्छा टाइम गुजार सकते हैं। हालांकि इस दौरान हाइजीन का ध्यान और कंडोम का इस्तेमाल बेहद जरूरी होता है।

पार्टनर का कम्फर्ट लेवल और पोजीशन का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। इस दौरान सैक्स करने से पुरूष पार्टनर अपने महिला पार्टनर और बच्चे के काफी करीबी खुद को पाते है। साथ ही काफी मजबूत भावनात्मक जुड़ाव बनता है आने वाले बच्चे को लेकर। सैक्स के दौरान रिलीज होने वाला एंडोर्फिन्स (Endorphins) गर्भवती महिला को खुश रहने में मदद करता है। इससे उसे ब्लड़ प्रेशर, तनाव और जोड़ों में दर्द की समस्या से मुक्ति मिलती है। साथ ही IGA लेवल भी बढ़ता है। जिसकी महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है।

संयमित सैक्स करने से पेल्विस की मांसपेशियों काफी मजबूत होती है। जिससे डिलीवरी में परेशानी आने की संभावना बेहद कम हो जाती है। सैक्स के दौरान निकलने वाला ऑक्सीटॉसिन हॉर्मोन काफी हद तक प्रेग्नेंसी से होने वाले चिड़चिड़ेपन को दूर करता है। गर्भ में पल रहे शिशु के आसपास एमनियोटिक फ्लूइड का घेरा बना होता है। जो कि शिशु के लिए कवच का काम करता है। पेनिट्रेशन वैजाइना में होता है, जबकि बच्चा इससे काफी दूर यूट्रेस (गर्भाशय) में सुरक्षित होता है। कोई भी ऐसी पॉजिशन ना बनाये जिससे कि पेट पर ज्यादा जोर पड़ता हो। आखिरी के तीन महीनों में प्लेसैंटा प्रिविया (Placenta praevia) नीचे आ जाती है। ऐसे में पेनिट्रेशन के दौरान म्यूकस प्लग फट सकता है। इस दौरान सैक्स से परहेज करना चाहिए।

बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने पर, level-1 या level-2 के अल्ट्रासाउंड में बच्चा कमजोर होने के हालात में और जुड़वा बच्चों की स्थिति में प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने से बचना चाहिए। इससे बड़ी मेडिकल कॉम्पिलिकेशंस पैदा हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान थोड़ी सी दिक्कत महसूस होने पर गॉयनोलॉजिस्ट से तुरन्त सम्पर्क करना चाहिए। वैजाइनल डिस्चार्ज और ल्यूब्रिकेशन (Vaginal discharge and lubrication) जरूरत से ज़्यादा होने पर भी डॉक्टर्स से सम्पर्क किया जा सकता है। आखिरी के तीन महीनों में इसका खास ख्याल रखना चाहिए।

नोट-

हर किसी शारीरिक दशा और गर्भावस्था अलग-अलग तरीके की होती है। ये आलेख General Phenomena के मद्देऩजर लिखा गया है। कृपया इस आलेख के किसी भी बिन्दु पर अमल करने से पहले डॉक्टरी सलाह और विवेक से काम ले।

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