देखिये पिछले पांच सालों में दिल्ली के विकास की एक तस्वीर

दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनावों की सुगबुगाहट के बीच सभी राजनैतिक पार्टियां सुशासन और विकास के अपने-अपने दावे ठोंक रही है। कांग्रेस शीला दीक्षित के किये कामों को भुनाने की कवायद में है, जिसमें दिल्ली मेट्रो और फ्लाईओवर शामिल है। आम आदमी पार्टी के पास तो जनता के सामने अपनी रिपोर्ट कार्ड ले जाने के लिए बहुत कुछ है, मोहल्ला क्लीनिक, मुफ़्त बिजली-मुफ़्त पानी, सरकारी स्कूलों के बेहतर हालात। भाजपा कहीं ना कहीं मोदी जी के चेहरे पर दांव लगा रही है। केन्द्रीय योजनाओं के नाम वोट मांगने की कवायद को लेकर भाजपा आगे बढ़ेगी।

अब बात करते है, केजरीवाल के विकास के दावों की कई मोर्चों पर भले ही वो दूसरी पार्टियों से काफी आगे है, लेकिन जिस तरह के विकास की उनसे उम्मीद की गयी थी, उस पर वो पूरी तरह से खरे नहीं उतरे। कैट्स कर्मियों का वेतन रोकना, अनुबंधित अध्यापकों की स्थायी भर्ती (जिसे लेकर वो अक्सर उपराज्यपाल पर ठीकरा फोड़ते है), दिल्ली सरकार के अन्तर्गत आने वाले अस्पतालों की बदहाली जैसे मुद्दों पर वो निल बट्टे सन्नाटा है।

कई इलाके तो अभी भी केजरीवाल के विकास की बाट जोह रहे है। जैसे करावल नगर, किराड़ी, नांगलोई, उत्तम नगर, गोकुलपुरी, पुराना जाफ़ाराबाद इन इलाकों में जायेगें तो टूटी सड़के, सीवर से रिसता पानी दिख ही जायेगा। सड़को पर वाहन चालक बिना गाड़ी स्टार्ट किये धक्का मारते दिख जायेगें।

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