Sadhguru Jaggi Vasudev ने तमिलनाडु सरकार सहित कई सियासी हस्तियों से की, ये भावुक अपील

न्यूज डेस्क (शिवेन्द्र व्यापुरी): ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव (Sadhguru Jaggi Vasudev) ने तमिलनाडु सरकार से मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने, मंदिर प्रशासन को सक्षम करने और दक्षिण भारतीय राज्यों में मंदिरों की पवित्रता से लगातार की जा रही छेड़छाड़ की घटनाओं में हुई बढ़ोत्तरी को बदलने की बात कही। उन्होनें इस खतरनाक हो रहे है हालातों को बदलने के लिए आग्रह किया।

सद्गुरू ने मुख्यमंत्री एडप्पादी पलानीसामी, विपक्ष के नेता एमके स्टालिन और अभिनेता रजनीकांत को टैग करते हुए ट्वीट कर लिखा कि-तमिलनाडु के हजारों मंदिरों को धीरे-धीरे बर्बाद होने से बचाने के लिए, तमिलनाडु सरकार को मंदिरों को अपने नियन्त्रण से छूट दे देनी चाहिए और उन्हें भक्तों को सौंपना चाहिए।

उन्होनें हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंधन विभाग द्वारा न्यायालय में दायर इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि- 11,999 मंदिर ऐसे है, जहां एक वक्त की भी पूजा नहीं हो रही है। 34,000 मंदिरों की वार्षिक आमदनी 10,000 रूपये से भी कम है। 37,000 मंदिरों राजस्व की कमी के बड़े संकट से जूझ रहे है। जहां पूजा, रखरखाव और सुरक्षा के लिए एक भी आदमी की तैनाती नहीं है। ट्वीट और वीडियो ट्विट के टैग का हिस्सा हैं जिसे सद्गुरु ने हाल ही में तमिलनाडु राज्य के  नियंत्रण में आने वाले मंदिरों की स्थिति को उजागर करने के लिए जारी किया।

इस वीडियो संदेश में सद्गुरु ने कहा कि, ये हमारी तमिल संस्कृति का स्रोत है। इनकी देखभाल और प्रबंधन भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए। जो मंदिरों को अपने जीवन से अधिक महत्व देते हैं। जिस तरह से मंदिरों की दुर्दशा की जा रही है, ये धीमे ज़हर की तरह है। पूजा के स्थल जीवंत ऊर्जा और भक्ति के प्रतीक स्रोत (Symbol source of vibrant energy and devotion) है। इनकी उपेक्षा और उदासीनता काफी पीड़ादायी है।

सद्गुरु ने कहा कि, ये बेहद शर्मिन्दगी का मामला है कि 300 साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा लालच के लिए कब्जायें गये मंदिर हमारी आजादी के 74 साल बाद भी पूरी तरह से उपेक्षित हैं। अगर यहीं हालत कायम रहे तो आने वाले सौ सालों में 100 महत्वपूर्ण मंदिर अपना अस्तित्व खो देगें।

धर्मनिरपेक्ष ’शब्द पर खास टिप्पणी करते हुए उन्होनें कहा कि इसका मतलब था कि राज्य और धर्म एक-दूसरे के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे- हिंदू धर्म को छोड़कर सभी धर्मों को ये हक़ हासिल है। संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहता है। हालांकि, सभी धर्म अपने स्वयं के पूजा स्थलों का प्रबंधन करते हैं, लेकिन विशेष हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ प्रबंधन अधिनियम हिंदू मंदिरों पर राज्य के नियंत्रण (State control over Hindu temples) को मंजूरी देता है।

आगामी चुनावों से पहले सद्गुरु ने राज्य में राजनीतिक दलों के लोगों से मंदिर पर राजकीय नियन्त्रण खत्म करने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करने की अपील की है। इस पर सद्गुरू ने कहा कि अगर हम इस पीढ़ी में मंदिरों की रक्षा नहीं करते हैं, तो वे अगले 50-100 वर्षों खात्मे के कगार पर पहुँच जायेगें। मंदिर जो इस संस्कृति के जीवनदायी स्रोत हैं, वे पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे।

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