Russia Ukraine War: अधर में लटकी 50 करोड़ डॉलर की भारतीय निर्यात क्रेडिट गारंटी

बिजनेस डेस्क (राजकुमार): यूक्रेन और रूस (Ukraine and Russia) के बीच भारत की ओर से किया जाने वाला 500 मिलियन डॉलर का निर्यात क्रेडिट गारंटी कॉर्प बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लड़ाई के चलते माल बड़ी तादाद में अटका हुआ है। यूक्रेन के आक्रमण के बाद रूसी बैंकों पर प्रतिबंध और बाल्टिक बंदरगाहों पर जंगी हलचल की वज़ह से ईसीजीसी को इस फैसले पर आने के लिये मजबूर होना पड़ा है। इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को भारी निराशा हुई है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021 में रूस को भारत का कारोबारी निर्यात 3.3 बिलियन डॉलर का था और इसके आयात का मूल्य 8.5 बिलियन डॉलर था, जिसमें 4.5 बिलियन डॉलर के पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल थे। भारत रूस को फार्मास्यूटिकल्स, दूरसंचार उपकरण, समुद्री उत्पाद, ऑटोमोबाइल कॉम्पोनेंट (Automobile Components) और चाय का निर्यात करता है।

कारोबारी आंकड़ों के मुताबिक भारत सीआईएस (स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल) को 1.5 अरब डॉलर के माल का निर्यात करता है। सीआईएस में ऐसे देश शामिल हैं, जो सोवियत संघ (Soviet Union) से अलग हो गये हैं, और इस इलाके में भारत का ज़्यादातर निर्यात रूस के जरिये होता है। ईसीजीसी बाल्टिक राज्यों (Baltic States) के लिये बाध्य शिपमेंट का लगभग 15 प्रतिशत कवर करता है।

पश्चिमी प्रतिबंधों ने भारतीय व्यापारियों के लिये डॉलर, पाउंड या यूरो में लेनदेन को काफी अनिश्चित बना दिया है। ऐसे में रूसी रूबल या भारतीय रुपये में कारोबार ही एकमात्र रास्ता बचता है। यूएस ऑफिस ऑफ फॉरेन एसेट्स कंट्रोल (US Office of Foreign Assets Control) ने कई रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगाये हैं, लेकिन इसमें भारत को रूसी निर्यात के लिये फार्मा, कृषि और ऊर्जा के बड़े हिस्से को छूट के दायरे में रखा गया।

ऊर्जा की बढ़ती लागत भारतीय निर्यातकों के लिये एक और गंभीर चिंता का विषय है। यूक्रेन संघर्ष और रूस पर उसके बाद के प्रतिबंधों ने कच्चे तेल की कीमतों को बढ़ा दिया है, क्योंकि मॉस्को (Moscow) दुनिया के लिये तेल और प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा सप्लायरों में से एक है। व्यापारियों को माल ढुलाई दरों में भी इज़ाफे का डर सता रहा है। बंदरगाह बंद होने के कारण सप्लाई चैन रूक गयी है। कंटेनर दरें एक साल पहले के मुकाबले 81 फीसदी बढ़ गयी है।

आज (28 फरवरी 2022) दोपहर करीब 12 बजे ब्रेंट क्रूड 102.50 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था, जो कि बीते कारोबारी दिन के मुकाबले 4.57 प्रतिशत ज्यादा है। वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) का भाव 4.89 प्रतिशत बढ़कर 96.48 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है और अपनी तेल मांग का 85 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस की 55 प्रतिशत जरूरतों को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है। भारत ने वित्त वर्ष 2011 में कच्चे तेल के आयात पर 62.71 बिलियन डॉलर, वित्त वर्ष 2010 में 101.4 बिलियन डॉलर और वित्त वर्ष 2019 में 111.9 बिलियन डॉलर खर्च किये। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि नई दिल्ली कारोबारी हितों के मद्देनज़र भी यूक्रेन के हालातों पर बेहद बारीकी से निगरानी कर रहा है।

भारत रूस के साथ अपने रक्षा सौदों पर पश्चिमी मुल्कों के प्रतिबंधों के असर का भी आकलन कर रहा है। हाल ही में भारत ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम (Air Defence System) की पांच रेजिमेंटों के लिये 5.4 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किये। रूस भारत के लिये रक्षा हार्डवेयर और प्रौद्योगिकी के मुख्य आपूर्तिकर्ताओं में से एक है, जबकि भारतीय एनर्जी फर्मों ने रूसी तेल और गैस ब्लॉकों में निवेश किया है। ओएनजीसी, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation), ऑयल इंडिया और भारत पेट्रो रिसोर्सेज ने रूसी तेल और गैस परियोजनाओं में 13.6 अरब डॉलर से ज़्यादा का निवेश किया हुआ है।

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