मिजोरम और असम सीमा विवाद के बीच शानदार रही CRPF की भूमिका, हालात बिगड़ने से पहले ही संभाल लिया मोर्चा

न्यूज डेस्क (दिगान्त बरूआ): केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) असम-मिजोरम के विवादित इलाके में हालात लगातार सामान्य करने की कोशिश कर रहा है जहां छह असम पुलिस कर्मियो ने आग की चपेट में आकर अपनी जान गवां दी थी। सीआरपीएफ महानिदेशक कुलदीप सिंह ने 3.5 लाख की तादाद वाली मजबूत पैरामिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आंतरिक बैठक (Internal Meeting) कर विवादित इलाके में कानून और व्यवस्था को बनाए रखने की रणनीतिक योजना पर चर्चा की। बैठक करीब एक घंटे तक सीआरपीएफ मुख्यालय में चली।

इस मुद्दे पर एडीजी एसएन ओझा ने कहा कि, विवादित इलाके में हालात पूरी तरह सामान्य बने हुए है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के त्वरित हस्तक्षेप और सीआरपीएफ की समय पर कार्रवाई ने असम में बड़ी वारदात की वक़्त रहते रोक दिया। सोमवार को हुए इस विवाद में दो पक्षों की पुलिस के बीच आगजनी के साथ गोलीबारी हुई जिसमें असम पुलिस के 6 ज़वान शहीद हो गये।

मौके की सूचना मिलते ही सोमवार (26 जुलाई 2021) को सीआरपीएफ की दो कंपनियां - असम में 119 बटालियन और मिजोरम में 225 बटालियन से ज़वानों को रवाना कर दिया गया। जिसके बाद हालातों पर काबू पाया जा सका। बल के महानिदेशक कुलदीप सिंह, गृह सचिव और गृह मंत्री अमित शाह की सीधी देखरेख में सीआरपीएफ ने मौके पर वाज़िब कार्रवाई (Caution action) करते हुए हालातों पर काबू पा लिया।

घटना के सिलसिले के बारे में सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो अलग-अलग बटालियनों की सीआरपीएफ कंपनियां पहले से ही असम और मिजोरम की पुलिस के साथ ही थी लेकिन मौके पर दोनों ही किसी पक्ष में कोई कार्रवाई नहीं की। मिजोरम पुलिस ऊंचाई पर थी और असम पुलिस मैदान पर थी। मामला अचानक हिंसा में तब्दील हो गया। आगजनी के बाद आंसू गैस के गोले छोड़े गये, उसके ऑटोमैटिक हथियारों की मदद से मोर्चा खोल दिया गया।

मौके पर सीआरपीएफ, मिजोरम पुलिस और असम पुलिस के अलावा इलाके के करीब 400 लोग इकट्ठा हो गये थे लेकिन सीआरपीएफ कंपनियां मौके पर शांति बनाए रखने में कामयाब रहीं। मिजोरम और असम के बीच शुरू हुए इस सीमा विवाद को लेकर मिजोरम मुख्यमंत्री ज़ोरम्थंगा और पड़ोसी के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के बीच तीखा ज़ुबानी हमला देखने को मिला।

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