RIP Dilip Kumar: अलविदा दिलीप साब, आप हमेशा मेरे हीरो रहोगे

डीसीपी अश्विनी कुमार को जे के वर्मा फोन करके बताता है कि उसने उसके बेटे विजय का अपहरण कर लिया है। बदले में डीसीपी को एक अपराधी को छोड़ना होगा। अश्विनी कुमार फोन पर अपने बेटे को बोलता है, “डैडी कुछ नहीं होने देंगे अपने बेटे को। घबराओ मत” बेटा बोलता है, ” डैडी ये लोग मुझे मार डालेंगे!” और फोन कट जाता है।

अश्विनी कुमार कुछ देर भर्राई आवाज़ में "हैलो, हैलो" बोलता है। फिर उसे एहसास होता है कि फोन कट गया है। वह दो सेकंड के लिए फोन के रिसीवर को देखता है और रख देता है। तभी उसकी पत्नी शीतल चाय लेकर आती है और पूछती है, "क्या हुआ? किसका फोन था?" अश्विनी कुमार स्तब्ध (Stunned) होकर खड़ा है। गहरी सोच में डूबा हुआ। दो सेकंड बाद वह अपनी पत्नी को देखता है। शीतल पूछती है "क्या हुआ?" और अश्विनी कुमार सहज होने की एक्टिंग करते हुए कहता है, "कमाल करती हो! किसी का फोन आ गया और... और तुम.. मान गई कि..." वह शीतल से नजरें नहीं मिला पता। मुंह फेर लेता है। शीतल को कुछ समझ नहीं आता वह कहती है, "क्या मतलब!! क्या हो गया है?" अश्विनी कुमार फिर गहरी सोच में चला गया है। फिर एकदम से शीतल की आवाज़ से चौंकता है। "हह? कुछ नहीं हुआ.. कुछ नहीं होगा अपने विजय को।" फिर हल्का सा झल्ला कर बोलता है, "मुझे सोचने दो शीतल।" शीतल भी घबरा जाती है। डीसीपी शीतल को सारी बात बताता है। शीतल बदहवास (Insanity) सा चिल्लाने लगती है। "बचा लो मेरे बेटे को!" अश्विनी कुमार उसे संभालने की कोशिश करता है। जब वह नहीं संभलती तो शीतल को शांत करने के लिए वह उसपर हाथ उठा देता है। शीतल रोने लगती है। गिल्ट से भरा रूआंसा अश्विनी कुमार शीतल को संभालता है और उसे गले से लगा कर कहता है, "सब ठीक हो जायेगा, कुछ नहीं होगा हमारे बेटे को।"

तकरीबन चार मिनट के इस सीन में अश्विनी कुमार के चेहरे पर अनगिनत भाव आते हैं। टीवी पर फ़िल्म का यह दृश्य देखते हुए मुझे जीवन में पहली बार, अभिनय क्या होता है, समझ आता है। 13-14 साल का मैं उससे पहले बस ऐसे ही फिल्में देख लेता था। लेकिन उस दिन इस दृश्य ने मुझे एहसास कराया कि अभिनय सिर्फ डायलॉग बोलना नहीं होता। किरदार में डूबकर और परिस्थिति को समझ कर रिएक्ट करना ही असली अभिनय है। उस दिन से अश्विनी कुमार का रोल करने वाले उस अधेड़ अभिनेता का मैं मुरीद हो गया।

फ़िल्म थी शक्ति और डीसीपी थे दिलीप कुमार (Dilip Kumar)!

अलविदा दिलीप साब!! आपको गले लगाकर तो बोल नहीं पाया लेकिन अभिनय से प्यार आपको देखकर ही हुआ। आप जैसा ना कोई नहीं हुआ है और न कभी होगा! आप हमेशा मेरे हीरो रहोगे!!

साभार – अभिनव सब्यासाची

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