Twitter को करना ही पड़ेगा कानूनों का पालन, गाजियाबाद मामले पर क्यों साधी चुप्पी- रविशंकर प्रसाद

न्यूज डेस्क (गंधर्विका वत्स): हाल ही में बने सोशल मीडिया के नये नियमों को लागू करने के मुद्दे पर मोदी सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार किया। मोदी सरकार के इस रवैये से ट्विटर (Twitter) के तेवर अब कुछ हद तक नरम पड़ते दिख रहे है। इसी मुद्दे को लेकर केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर ने एक बार फिर से ट्विटर को दो टूक नसीहत दी है।

उन्होनें कहा कि बनाये गये दिशानिर्देशों को एकाएक सामने नहीं आये है बल्कि इस पर पिछले तीन-चार सालों से काम चल रहा था। इन निर्देशों का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया के इस्तेमाल से किसी रोकना नहीं है। उन हालातों जब कोई सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर तो आम लोग इसकी शिकायत कर सकें। इसलिये इन कानूनों को अमली जामा पहनाया गया है।

रविशंकर प्रसाद ने दावा किया की 25 मई को 3 महीने का वक्त पूरा होने के बाद भी उनके कहने पर ट्विटर को एक बार फिर से ट्विटर को आखिरी नोटिस दिया गया। उन्होनें ने कहा कि जब दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इन नियमों को मान सकते हैं तो फिर ट्विटर को इन्हें लागू करने में क्या दिक्कत है? जवाबदेही तय (Fix Accountability) करने के लिये तीन अधिकारियों की नियुक्ति करना कोई मुश्किल कवायद नहीं है। ट्विटर व्यापार करें ये उसका काम है। यूजर उससे सवाल पूछे हम इसका भी स्वागत करते हैं, लेकिन भारत के संविधान और कानूनों का पालन ट्विटर को करना ही पड़ेगा।

अमेरिका और दूसरी विकसित देशों का उदाहरण देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, जब हिंदुस्तानी कंपनियां अमेरिका या दूसरे मुल्कों में सूचना प्रौद्योगिकी का व्यापार करने जाती है तो वो खुलकर दूसरे देशों के नियम कानूनों और दिशा निर्देशों का पालन करती है। ऐसे में अगर ट्विटर को भारत में काम करना है तो उन्हें नियम और कायदे मानने ही पड़ेंगे। प्रधानमंत्री सहित आप (ट्विटर) हम सभी की आलोचना करने के लिये स्वतंत्र हैं।

रविशंकर प्रसाद ने गाजियाबाद वाले मामले पर Twitter को घेरा

हाल ही में हुए गाजियाबाद प्रकरण के मुद्दे पर भी रविशंकर प्रसाद ने अपना पक्ष रखा। इस मामले पर काफी बवाल हुआ था। इस मसले पर ट्विटर से भी पूछताछ हुई। कुछ लोगों के खिलाफ कानूनी मामला भी दर्ज किया गया। इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बतौर कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते मैं इस विषय पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं रखना चाहता। मामले की जांच पुलिस के पास है लेकिन अगर टि्वटर ट्विटस को अनमैनिपुलेटेड या मैनिपुलेटेड ट्वीट (Manipulated Tweet) घोषित करता है तो उसने गाजियाबाद वाले मामले पर इस नियम को लागू क्यों नहीं किया। ये दोहरा रवैया क्यों?

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