Pregnancy: बिना अल्ट्रासाउंड किये जाने बेटी होगी या बेटा

प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान महिलाओं को ये जानने कि जल्दी होती है कि बेटा होगा या बेटी। आजकल दबे छिपे गैरकानूनी तरीके से लोग अल्ट्रासाउंड करवाकर ये जान लेते है, लेकिन इससे कई गुना ज़्यादा एडवांस हमारा वैदिक ज्ञान (Vedic knowledge) है। पौराणिक ज्ञान की मदद से बिना अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) किये ही ये बताया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु बेटी है या बेटा। इन विधियों का इस्तेमाल प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि और विद्वान करते आये है। इसके तहत कुछ ऐसे लक्षण खोज निकाले गये है, जिनकी मदद से महिला ये जान सकती है कि गर्भ में लड़का है या लड़की।

इस तरह जाने गर्भ में पल रहा शिशु लड़की है या लड़का

  • अगर पेट का झुकाव या फैलाव दायीं ओर है तो ये बेटा पैदा होने की ओर इशारा करता है। अगर बाँयी ओर फैलाव या झुकाव है तो ये बेटी होने का संकेत है। इसे यों भी समझ सकते हैं कि दाँया हिस्सा पुरूष का माना गया है तथा बाँया भाग स्त्री का माना गया है।

  • अगर बाँयी ओर सोना आरामदायक लगता हो तो महिला को बेटा पैदा होगा ओर अगर दाँयी ओर सोना आरामदायक लगता हो तो बेटी पैदा होगी।

  • अगर गर्भवती महिला को नींद ज़्यादा आती है तो बेटी पैदा होगी ओर अगर कम नींद आती है तो पुत्र उत्पन्न होगा।

  • गर्भधारण के बाद गर्भवती महिला (Pregnant Woman) का चेहरा ज्यादा चमक उठे या अत्यधिक सुंदर या आकर्षक हो जाये तो बेटी पैदा होगी। अगर चेहरा पहले के मुकाबले रूखा हो जाये या चेहरे का रंग फीका पड़ जाये तो बेटा पैदा होगा।

  • अगर दायें स्तन का आकार बाँये स्तन से बड़ा हो जाये तो बेटा पैदा होगा वरना बेटी पैदा होगी।

  • गर्भावस्था के दौरान अक्सर शरीर का वजन भी बढ़ने लगता है, लेकिन शरीर का वजन न बढ़े पर पेट ज़्यादा बढ़ जाये या बढ़ा हो तो बेटा पैदा होगा वरना बेटी पैदा होगी।

  • हाथ सूखे-सूखे रहते हों ओर पांव ठंडे ठंडे रहते हों तो बेटा पैदा होगा वरना बेटी पैदा होगी।

  • अगर स्वभाव में चिढ़चिढ़ापन या गुस्सा बढ़ा जाये तो बेटा पैदा होने की सम्भावना बनती है वरना बेटी पैदा होगी।

  • ज़्यादा खट्टा खाने को मन करता है तो बेटा पैदा होगा।

  • बार-बार उल्टियां हो रही हों तो पुत्र अन्यथा पुत्री उत्पन्न होगी।

गर्भावस्था के दौरान रखे जाने वाली खास सावधनियां

गर्भ धारण करते ही अथवा गर्भावस्था में महिलाओं बेहद सावधान और चौकन्ना रहने की जरूरत होती ह, क्योंकि ये गर्भ धारण के 9 महीन का वक़्त बेहद नाजुक होता है। यही वो समय होता है, जिसमें गर्भवती स्त्री पर तांत्रिक क्रिया बहुत जल्द प्रभावी होती है। ऐसे में खास सावधानी रखने की जरूरत होती है, अत: किसी भी प्रकार की लापरवाही न करते हुये, नीचे बताये गये नियमों का पालन गर्भवती महिला और उसकी संतान के लिये बेहद जरूरी है।

  • भूलकर भी अपने अंदरूनी एवं मासिक के कपड़ों को यहाँ-वहाँ मत फेंकिये, क्योंकि ईर्ष्याद्वेष से ग्रस्त व्यक्ति, खासकर नि:संतान स्त्रियाँ (Childless Women) इसी वस्त्र को हासिल करने की ताक में रहती हैं, और अगर ये कपड़े उनके हाथ लग जाता है तो गर्भवती स्त्री के लिये बहुत ज़्यादा परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं, ये परेशानियाँ अथवा बाधायें प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष किसी भी तरह की हो सकती हैं।

  • गर्भवती महिलायें अपने हाथ-पैरों के नाखूनों को गुप्त रूप से ही काटे और गुप्त रूप से ही किसी अज्ञात या गुप्त स्थान (जहाँ से इन्हें कोई हासिल न कर सके) पर फेंके। फैंकने का मतलब ये नहीं कि नाखूनों को एक साथ अथवा इक्ट्ठा ही एक ही जगह पर फेंक दें। कुछ एक-दो नाखून कहीं ओर 2-3 नाखून किसी ओर जगह पर, इस तरह से फेंके कि जिससे कोई इन्हें हासिल न कर सके।

  • किसी के द्वारा खासकर अन्जान लोगों या संदिग्ध व्यक्ति (स्त्री/पुरूष) खाने वाली कोई भी वस्तु विशेषकर सफेद वस्तु और पान, सुपारी, इलायची, फल और लौंग (लौंग को विशेषकर चायादि में ही डालकर दिया जाता है, जिससे कि शक न हो) आदि भूलकर भी ग्रहण न करें।

  • अपने बालों तथा रूमाल आदि का खास ध्यान रखिये। इन्हें लेकर जरा भी लापरवाही मत कीजिये, क्योंकि स्त्री के अंदरूनी और मासिक के कपड़ों तथा रूमाल एवं बालों द्वारा तांत्रिक क्रिया करके करके कोई भी मनचाहा काम आपसे करवा सकता है।

  • भूलकर भी मुख्य द्वार की चौखट पर न बैठें, खासतौर से संध्या समय ओर भूलकर भी किसी भी चौराहे पर न खड़ी रहें, अगर चौराहा पार करना ही पड़े तो एक दम बगल या किनारे से ही पार करें। जैसे मान लीजिये कि चौराहे के दोनो ओर पटरी है तो आप दायें या बांयें कुछ कदम चलकर पटरी के ऊपर से ही चौराह पार करें, वरना आप तांत्रिक (Tantric) अथवा ऊपरी बाधा का शिकार हो सकती हैं।

  • रात में गर्भावस्था में भूलकर भी अकेले न आये-जाये, खासतौर से बेहद सुनसान, ज़्यादा पेड़ो और झाड़झकड़ वाले इलाके में जाने से बचे। अगर जाना बेहद जरूरी हो तो चहल-पहल वाले रास्ते का इस्तेमाल करे। अपने साथ हमेशा माचिस की डिब्बी और लोहे का छोटा टुकड़ा अपने पास रखें।

  • प्रेग्नेंसी के दौरान जब भी स्नान करे तो कम से कम एक कपड़ा शरीर पर जरूर होना चाहिये, अन्यथा एक काला धागा तो कमर में अवश्य ही बंधा होना चाहिए, वरना आप अज्ञात बाधा का शिकार हो सकती हैं।

  • भूलकर भी बाल खुले न रखें। खासकर सोते वक़्त, अन्यथा अज्ञात बाधा की पकड़ में आ सकती हैं आप।

  • अगर आप शाकाहारी हैं और प्याज-लहसुन, अंडा और मांसाहार आदि भी नहीं खाती हैं तो गले में एक रूद्राक्ष या अपने आराध्य का लॉकेट आदि धारण कर लीजिये, लेकिन इन्हें धारण करते समय ब्रह्मचर्यादि (Celibacy) का पालन खासतौर से करे अन्यथा विपरीत प्रभाव होता है। इस नियम का पालन हरेक स्त्री/पुरूष को करना चाहिये। इन्हें धारण करने से किसी भी तरह की बाधादि त्रस्त नहीं कर पाती है।

  • गर्भवती स्त्री के लिये “पन्ना” (Emerald) धारण करना अति कल्याणकारी माना गया है, क्योंकि ये रत्न स्त्री के लिये अमोघ कवच है। पन्ना गर्भवती स्त्री की टोने-टोटके (Tone-Totke) तथा तांत्रिक बाधा से रक्षा करता है और लेबर पेन (Labor Pain) के दौरान होने वाली पीड़ा से राहत प्रदान करता है।

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