Mann ki Baat: पीएम नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ के 69वें एपिसोड द्वारा देश को किया संबोधित

न्यूज़ डेस्क (शौर्य यादव):आज पीएम मोदी ने मन की बात (Mann ki Baat) के 69 वें एपिसोड द्वारा देश को संबोधित किया। मन की बात के पिछले संस्करणों में (In previous versions of Mann Ki Baat) पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, कोरोना और किसानों के मुद्दों पर अपनी राय रखी थी। इस कार्यक्रम के बारे में एक दिन पहले ही पीएमओ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्विट कर लिखा गया कि, 27 सितंबर को 11 बजे शामिल हों। #MannKiBaat कार्यक्रम को सूचना और प्रसारण मंत्रालय, पीएमओ, डीडी न्यूज, और आकाशवाणी के यूट्यूब चैनलों पर भी लाइव स्ट्रीम (live stream) किया जाएगा।

मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कही ये अहम बातें

  • कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है। आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवारों के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है।
  • हमें, जरुर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थी, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है।
  • हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं।
  • कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई मां अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती हैं।
  • मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गाँव, नए लोग, नए परिवार।
  • भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सा-कोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है।
  • मैं कथा सुनाने वाले सभी से आग्रह करूंगा कि क्या हम हमारी कथाओं में पूरे गुलामी के कालखंड की जितनी प्रेरक घटनाएं हैं, उनको कथाओं में प्रचारित कर सकते हैं। विशेषकर, 1857 से 1947 तक, हर छोटी-मोटी घटना से, अब हमारी नयी पीढ़ी को कथाओं के द्वारा परिचित करा सकते हैं।
  • हमारे यहां कहा जाता है, जो जमीन से जितना जुड़ा होता है , वो बड़े से बड़े तूफानों में भी अडिग रहता है। कोरोना के इस कठिन समय में हमारा कृषि क्षेत्र, हमारा किसान इसका जीवंत उदाहरण है।
  • देश का कृषि क्षेत्र, हमारे किसान, हमारे गांव, आत्मनिर्भर भारत का आधार हैं। ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नीवं मजबूत होगी। बीते कुछ समय में इन क्षेत्रों ने खुद को अनेक बंदिशों से आजाद किया है, अनेक मिथकों को तोड़ने का प्रयास किया है।
  • हरियाणा के एक किसान भाई में मुझे बताया कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में दिक्कत आती थी। लेकिन 2014 में फल और सब्जियों को APMC Act से बाहर कर दिया गया, इसका उन्हें और आसपास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ।
  • आज, गांव के किसान sweet corn और baby corn की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं। इन किसानों के अपने फल – सब्जियों को कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की ताकत है और ये ताकत ही उनकी इस प्रगति का आधार है।
  • 3-4 साल पहले ही महाराष्ट्र में फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली है।
  • कल, 28 सितम्बर को हम शहीद वीर भगतसिंह की जयंती मनायेंगे। मैं, समस्त देशवासियों के साथ साहस और वीरता की प्रतिमूर्ति शहीद वीर भगतसिंह को नमन करता हूं। शहीद भगतसिंह पराक्रमी होने के साथ-साथ विद्वान भी थे और चिन्तक भी। अपने जीवन की चिंता किए भगतसिंह और उनके क्रांतिवीर साथियों ने ऐसे साहसिक कार्यों को अंजाम दिया, जिनका देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान रहा।
  • आने वाले दिनों में हम देशवासी कई महान लोगों को याद करेंगे, जिनका भारत के निर्माण में अमिट योगदान है। 2 अक्टूबर हम सबके लिए पवित्र और प्रेरक दिवस होता है। यह दिन मां भारती के दो महान सपूतों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करने का दिन है।
  • गांधी जी के आर्थिक चिंतन में भारत की नस – नस की समझ थी, भारत की खुश्बू थी। वहीं शास्त्री जी का जीवन हमें विनम्रता और सादगी का संदेश देता है। 11 अक्टूबर का दिन भी हमारे लिए बहुत विशेष होता है। इस दिन हम भारत रत्न लोक नायक जय प्रकाश जी को उनकी जयंती पर स्मरण करते हैं। भारत रत्न नानाजी देशमुख की भी जयंती 11 अक्टूबर को ही है। नानाजी देशमुख, जय प्रकाश नारायण जी के बहुत निकट के साथी थे।
  • जब जे पी भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ रहे थे तो पटना में उन पर प्राणघातक हमला किया गया था, तब नानाजी देशमुख ने वो वार अपने ऊपर ले लिया था। इस 12 अक्टूबर को राजमाता विजयाराजे सिंधिया की भी जयंती है, उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।
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