Pakistan के रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने माना एनएसए डोभाल का लोहा, कहा इस्लामाबाद को फंसाया

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): पाकिस्तान (Pakistan) में लगातार गृहयुद्ध की स्थिति बन हुई है। पुलिस और सेना के बीच झड़पें, ब्लूच रेजिमेंट में ब्लूचों के साथ होने वाला भेदभाव और नॉन स्टेट ऐक्टर्स की अतिसक्रियता (Hyperactivity of non state actors) इस्लामाबाद को लगातार खोखला कर रहे है। हाल ही में एक पाकिस्तानी अधिकारी ने ठीकरा भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के सिर फोड़ा। सैन्य अधिकारी के मुताबिक डोभाल ने पश्तूनों और बलूचिस्तान में विद्रोहियों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे से दूर किया। ताकि पाकिस्तानी हुक्मरान, सुरक्षा एजेंसिया और सैन्य बल आंतरिक सुरक्षा संभालने में ही लगे रहे।

पाकिस्तानी वायु सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी शहजाद चौधरी (Retired Officer Shahzad Choudhary) ने अपने एक लेख में इसका जिक्र किया। ट्रिब्यून डॉट कॉम में छपी इस रिपोर्ट में रॉ का हवाला दिया गया। जिसमें टीटीपी से जुड़े लोगों का जिक्र किया गया था। शहजाद चौधरी ने लिखा कि- कश्मीर मुद्दे को लेकर इस्लामाबाद पर काबू पाने को लिए डोभाल ने टीटीपी, अल्लाह नज़र और बीएलए का साझा इस्तेमाल किया। पूर्वी पाकिस्तान के अलगावादियों के साथ मिलकर भारतीय एनएसए छद्म युद्ध के अगले चरण की योजना अक्सर बनाते रहे है।

शहजाद चौधरी ने आगे लिखा कि, कश्मीर को पाकिस्तान से दूर करने की ये कोशिश डोभाल काफी पहले से अभी तक बिना किसी बाधा के करते आ रहे है। उनकी ये कवायद पाकिस्तान की भीतरी इलाकों में काफी सक्रिय देखी गयी है। पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी का ये बयान ऐसे वक़्त में सामने आया है, जब नवाज शरीफ जैसे राजनेता खुलेआम पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारियों पर चुनाव में धांधली करने और लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहे हैं।

डोभाल की रणनीति के बारे में विस्तार से बताते हुए शहजाद चौधरी ने लिखा कि- साल 2014 में भारतीय NSA बनने के बाद डोभाल ने पाकिस्तान में पनप रहे आंतकी ढांचे पर पलटवार किया। जिसमें डोभाल ने दो टूक कहा था कि अगर पाकिस्तान भारत दुखती कश्मीरी रग पर हाथ रखेगा तो उसे ब्लूचिस्तान में ठीक उसी तरह के हालातों का सामना करना पड़ेगा। धारा 370 और 35A को निरस्त करने में डोभाल का ही हाथ था। उनकी अगुवाई में पाकिस्तान को बड़ी ही चालाकी से पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर उलझाया गया। भारत ने काफी आक्रामक ढंग से सामरिक चालाकी और राजनीति का इस्तेमाल कर इस्लामाबाद के खिलाफ अंदरूनी मोर्चा खोला।

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