Gonda पुलिस की पकड़ में आया ऑनलाइन ड्रग ट्रैफिकिंग गिरोह, अमेरिका और इंग्लैंड में बेचते थे नशे का ज़हर

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): हाल ही में गोंडा पुलिस (Gonda Police) को बड़ी कामयाबी हाथ लगी, जब पुलिस ने अन्तर्राष्ट्रीय बाजार (USA, UK) में करोड़ों का नशीली दवाओं के कारोबार करने वाले (Online Drug Trafficking) साइबर अपराधियों के गिरोह को धरदबोचा। मामले को लेकर पुलिस को खुफ़िया जानकारी मिली कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ड्रग बेचने वाला गिरोह गोण्डा लखनऊ (Lucknow) रोड स्थित महिन्द्रा एजेन्सी के पास बीते रविवार (30 अक्टूबर 2022) को आने वाला है। पुलिस ने मौके पर पुख़्ता कार्रवाई करते हुए देर रात करीब 12.30 बजे हुण्डई वरना कार में बैठे अब्दुल हादी, अब्दुल बारी और विशाल श्रीवास्तव को नशीली गोलियों का लैपटॉप और मोबाइल के जरिये ऑनलाइन कारोबार करते समय गिरफ्तार किया गया।

मौके पर जिसमें अब्दुल हादी (Abdul Hadi) के पास से नशीली गोलियों का जखीरा बरामद हुआ, जिसे वो बतौर सैम्पल अपने पास रखकर उनकी फोटो अपने ग्राहकों को भेजता था। अब्दुल हादी के पकड़े जाने से नशीली गोलियों के अन्तर्राष्ट्रीय साइबर रैकेट की कई जानकारियां सामने आयी है। मामले की संजीदगी को भांपते हुए पुलिस ने तीनों अभियुक्तों के खिलाफ IPC की धारा 419,420, IT एक्ट की धारा 66 और एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) की धारा 12/24, 8/21 के तहत मामला दर्ज कर लिया। छानबीन में सामने आया कि अभियुक्त अब्दुल हादी और अब्दुल बारी जिला गोंडा के ही रहने वाले है और तीसरा अभियुक्त विशाल श्रीवास्तव रिसिहा पुरवा विभूतिखण्ड गोमती नगर (Vibhutikhand Gomti Nagar) लखनऊ का रहने वाला बताया जा रहा है।

पुलिस ने तीनों अभियुक्त के पास से नशीली गोली अल्प्रासेफ 54 पत्ते बरामद किये। इसके अलावा पुलिस ने सफेद कार नं0 UP 32 DN 9087 हुंडई वर्ना को भी जब़्त कर लिया। जांच पड़ताल, छानबीन और अभियुक्तों के इकबालिया बयान से सामने आया कि गिरफ्तार अभियुक्त अब्दुल हादी अमेरिका और यूरोपीय देशों (America and European countries) में प्रतिबंधित नशीली दवाओं को बेचने के लिये Skype App का इस्तेमाल करता था। ड्रग्स बायर और पिल्स प्रोवाइडर से कॉन्टैक्ट बनाकर वो इस काम का अंजाम देता था। तीनों ने ही तीन साल के भीतर 5 करोड़ रूपये की ड्रग्स बेची थी, इस दौरान उन्हें करीब 2 करोड़ रूपये का सीधा मुनाफा हुआ।

तीनों ने कई ऐप्स से वर्चुअल नम्बर क्रिएट कर अपनी पहचान छिपाते थे। जिसके बाद वो वर्चुअल नम्बरों की मदद व्हाट्सएप एकाउंट बनाकर व्हाइट पेज वेबसाइट से विदेशी कस्टमर्स का डेटा हासिल करते थे। हासिल किये गये डेटा के  जरिये वो कस्टमर्स/प्रोवाइडर से चैट कर मांग के मुताबिक लोकल वेण्डर्स से कस्टमर को प्रतिबंधित नशीली गोलियों की सप्लाई वहाँ के स्थानीय वेण्डर्स से कराते थे।

इस तरह से तीनों पिछले डेढ़ सालों में ऐसे विदेशी नागरिकों और लोकल वेण्डर्स जिनका प्रतिबंधित नशीली दवाओं का स्टाक अमेरिका में मौजूद था, उन सभी का इन्होनें डाटाबेस तैयार कर लिया गया था। इसी क्रम में बड़े पैमाने पर तीनों के कई रेगुलर कस्टमर इंग्लैंड, अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में बन गये थे। विदेशी कस्टमर्स ये तीनों PayPal, MoneyGram, Western Union और क्रिप्टो करेंसी (Crypto Currency) के जरिये ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अपने बैंक खातों में मंगवाते थे।

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