अब समझे आखिर क्या है SSC Scam, जिसमें फंसे है पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी

न्यूज डेस्क (शौर्य यादव): प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को स्कूल सेवा आयोग घोटाले (SSC Scam) के सिलसिले में गिरफ्तार किया। पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) ने हाल ही में दावा किया कि वो साजिश का शिकार हुए हैं। बता दे कि उनका ये बयान उनकी करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) के फ्लैटों से 50 करोड़ रूपये से ज़्यादा रकम बरामदगी के बाद सामने आया है। अब समझे डब्ल्यूबीएसएससी घोटाला क्या है? उसके खिलाफ क्या आरोप हैं?

साल 2016 में पार्थ चटर्जी राज्य के शिक्षा मंत्री थे। एसएससी के तहत टीचिंग और नॉन टीचिंग पदों के लिये भर्ती परीक्षा आयोजित की गयी थी। परीक्षा का आयोजन राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा किया गया। नतीज़े नवंबर 2017 में जारी किये गये। बबीता सरकार (Babita Sarkar) ने इस परीक्षा में टॉप किया। हालाँकि, WBSSC ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया और नई मेरिट लिस्ट में बबीता सरकार टॉप-20 कैडिंडेट में शामिल नहीं थी। लिस्ट में पश्चिम बंगाल के मंत्री परेश अधिकारी (Paresh Adhikari) की बेटी अंकिता (Ankita Adhikari) अधिकारी का नाम जोड़ा गया। ऐसा तब भी हुआ जब बबीता सरकार को 77 अंक मिले जबकि अंकिता अधिकारी को 61 अंक मिले।

बबीता सरकार ने इस नाइंसाफी के खिलाफ साल 2017 में कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) में मामला दर्ज कराया। कोर्ट ने मामले की जांच के लिये कमेटी का गठन किया। इस कमेटी की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजीत कुमार बाग (Justice Ranjit Kumar Bagh) ने की। पैनल ने बाद में पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग (West Bengal Education Department) के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की।

उच्च न्यायालय ने पैनल की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए अंकिता अधिकारी को नौकरी से हटाकर बबीता कुमारी को देने का फरमान जारी किया। ग्रुप डी भर्ती (Group D Recruitment) में भी इसी तरह की खामियां पायी गयी। घोटाले में पार्थ चटर्जी का नाम आने के बाद हाईकोर्ट ने सीबीआई (CBI) को मामले की जांच करने का आदेश दिया।

इसके बाद सीबीआई ने इस साल दो बार पार्थ चटर्जी से 18 मई और 25 मई को पूछताछ की। जब पैसों का मामला सामने आया तो ईडी ने 24 जून को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA- Prevention of Money Laundering Act) के तहत मामला दर्ज किया।

इसी क्रम में 22 जुलाई को 14 ठिकानों पर छापेमारी की गयी। इनमें से ज़्यादातर ठिकाने चटर्जी से जुड़े हुए थे। ईडी (ED) ने इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज बरामद किये। इनमें शिक्षकों की भर्ती से जुड़ी मेरिट लिस्ट भी शामिल थी। केंद्रीय एजेंसी को कई संपत्तियों के दस्तावेज भी मिले जिनमें अर्पिता मुखर्जी का नाम था।

इसके बाद ईडी ने मुखर्जी के घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की, जहां से 50.36 करोड़ रूपये नकद बरामद किये गये। ममता बनर्जी पार्थ चटर्जी को ‘पार्थ दा’ कहती हैं। चटर्जी तृणमूल कांग्रेस (TMC- Trinamool Congress) के बड़े नेताओं में से एक थे। उन्होंने 2001 में टीएमसी के टिकट पर चुनाव लड़ा और वो कोई भी विधानसभा चुनाव नहीं हारे। साल 2006 में वो विपक्ष के नेता थे। वो ममता बनर्जी के विश्वासपात्र करीबियों में से एक थे।

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