Maharashtra Crisis: एकनाथ शिंदे के पास दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिये हैं पर्याप्त विधायक?, समझे आंकड़ों की जुब़ानी

न्यूज डेस्क (मृत्युजंय झा): Maharashtra Crisis: शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे को समर्थन देने के लिये महाराष्ट्र के चार और विधायक बुधवार (22 जून 2022) देर रात गुवाहाटी पहुंचे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) के खिलाफ शिवसेना (Shiv Sena) विधायकों की बगावत की अगुवाई करने वाले नेता कल सूरत से करीब सात निर्दलीय समेत 39 विधायकों के साथ असम (Assam) की राजधानी पहुंचे थे। जिसके बाद ये तादाद बढ़ी। एकनाथ शिंदे के मुताबिक और भी विधायक बागी खेमे में शामिल होने को तैयार हैं।

एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और बाकी के बागी गुवाहाटी (Guwahati) के बाहरी इलाके में एक लग्जरी होटल में डेरा डाले हुए हैं। उन्होंने कहा, “उनतीस विधायक मेरे साथ थे। हम बालासाहेब ठाकरे (Balasaheb Thackeray) की ‘हिंदुत्व’ की विचारधारा के प्रति वफादार हैं और हम इसे आगे ले जाने के इच्छुक हैं।” शिंदे ने कहा कि अब उनके पास 6-7 निर्दलीय समेत 46 विधायकों का समर्थन है।

महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के 55 विधायक हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के पास 53 विधायक हैं जबकि कांग्रेस (Congress) के पास 44 हैं। एकनाथ शिंदे को दलबदल विरोधी कानून से बचने के लिये 38 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। दल-बदल विरोधी कानून एक पार्टी के 2/3 विधायकों को बिना किसी दंड के दूसरी पार्टी में बदलने की मंजूरी देता है। 38 से कम की संख्या का मतलब होगा कि विधायकों को विधानसभा से अयोग्य घोषित किये जाने का खतरा।

अगर एकनाथ शिंदे के पास 39 विधायकों का समर्थन है तो वो फ्लोर टेस्ट (Floor Test) के जरिये सरकार गिरा सकते हैं और अयोग्य ठहराये बिना नयी सरकार बनाने में मदद कर सकते हैं। एनडीए (NDA) के पास फिलहाल विधानसभा में 113 विधायक हैं। शिवसेना के इन विधायकों और निर्दलीय विधायकों की मदद से वो उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा सकती है और अपनी सरकार बना सकती है। शिवसेना के बागी या तो भाजपा में विलय कर सकते हैं या अल्पमत सरकार को बाहरी समर्थन दे सकते हैं।

एक और तस्वीर जो सामने आ सकती है वो ये है कि महाराष्ट्र सरकार विधानसभा को भंग कर सकती है और चुनावों का सामना करेगी। बागी विधायक मांग कर रहे हैं कि उद्धव ठाकरे कांग्रेस और राकांपा (NCP) के साथ शिवसेना के साथ गठबंधन को खत्म करें और भाजपा के साथ गठबंधन करें।

इसी बीच बुधवार की रात उद्धव ठाकरे ने अपना सरकारी बंग्ला खाली कर दिया और अपने निजी आवास ‘मातोश्री’ लौट गये। उन्होंने विद्रोहियों को संबोधित करने के बाद ये कदम उठाया और कहा कि अगर वो मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष के पदों को छोड़ने के लिये तैयार हैं, अगर वो उनसे मिलकर इसकी मांग करते है तो। कुछ रिपोर्ट्स में शिवसेना के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कई बागी विधायक ठाकरे खेमे में वापस लौटना चाहते हैं।

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