Jammu & Kashmir: गैर कश्मीरी भी घाटी में दे पायेगें वोट, मामले पर छिड़ा सियासी बवाल

न्यूज डेस्क (समरजीत अधिकारी): वोटर लिस्ट में एक नये संशोधन के मुताबिक जम्मू और कश्मीर (Jammu & Kashmir) में 25 लाख नये वोटर्स होने का दावा है, इस दावे में कहा गया है कि “गैर-स्थानीय लोगों” को घाटी में मतदाता के रूप में पंजीकरण करने की मंजूरी दी गयी है। नये संशोधनों के तुरंत बाद घाटी के विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने जम्मू-कश्मीर की मतदाता सूची में संशोधन के खिलाफ बात करते हुए आरोप लगाया कि ये केंद्र सरकार के पक्ष में समर्थन बढ़ाने के लिये किया गया है, चुनावों को प्रभावित करने के लिये ये खतरनाक कवायद है।

उम्मीद है कि जम्मू और कश्मीर में चुनाव अगले साल होंगे क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश अपने चौथे साल में भी सरकार के बिना बना हुआ है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इस विशेष संशोधन ने अब गैर-स्थानीय लोगों को घाटी में मतदाता के तौर पर पंजीकरण करने की इज़ाजत दी है।

2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जे को खत्म करने वाले अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद ये विशेष संशोधन हुआ है। अब गैर-स्थानीय लोगों को जमीन के मालिक होने और कश्मीर में मतदाता के तौर पर पंजीकरण करने की मंजूरी मिल चुका है।

मीडिया से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हिरदेश कुमार (J&K Chief Electoral Officer Hirdesh Kumar) ने खुलासा किया कि घाटी में पहले से पंजीकृत 76 लाख मतदाताओं के साथ 20 से 25 लाख वोटरों के अब प्रदेश की मतदाता सूची का हिस्सा बनने की उम्मीद है।

मोदी सरकार की आलोचना करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि, “क्या भाजपा (BJP) जम्मू-कश्मीर के असल मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिये अस्थायी मतदाताओं को इम्पोर्ट करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का मौका दिया जायेगा तो इनमें से कोई भी चीज भाजपा की मदद नहीं करेगी।

पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने ट्विटर पर कहा कि, “जम्मू-कश्मीर में चुनावों को टालने का भारत सरकार (Indian government) का फैसला, भाजपा के पक्ष में संतुलन को झुकाने और अब गैर-स्थानीय लोगों को वोट देने की मंजूरी देने से साफ हो जाता है कि मोदी सरकार सूबे में चुनावी नतीज़ों पर अपना नाजाय़ज असर डालना चाहती है। इसके पीछे मोदी सरकार का असली मकसद सूबे की आव़ाम की ताकत छीनकर जम्मू-कश्मीर पर सख्ती से राज करना जारी रखना है।”

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