India-China Border Issue: चीन का अड़ियल रवैया, सैनिकों की तैनाती रखेगा कायम

न्यूज डेस्क (विश्वरूप प्रियदर्शी): चीन लगातार भारत से लगी सीमा पर तनाव (India-China Border Issue) बढ़ता जा रहा है। बीजिंग अड़ियल रवैया अख़्तियार करते हुए पूर्वी लद्दाख के मोर्चे पर गोगरा, देपसांग और हॉट स्प्रिंग्स वाले इलाके में सैनिकों की तैनाती पर कायम है। बीते हफ्ते करीब 13 घंटे तक चली 11 वें दौर की सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद चीन ने सैनिकों की वापसी करने से सीधा इंकार कर दिया।

माना जा रहा है कि पीएलए ने गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे संवेदनशील इलाके में अप्रैल 2020 से पूर्ववत् स्थिति में जाने से साफ इंकार कर दिया है। वो चाहता है कि इन इलाकों से भारतीय सेना पीछे जाने पर विचार करें। इस इलाके में सैनिकों की वापसी पर अभी समय लगेगा। दूसरी ओर इंडियन ऑर्मी चाहती है कि चीनी पक्ष पट्रोलिंग पॉइंट 15 और 17ए भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को औपचारिक मंजूरी दे।

चीन इन पेट्रोलिंग प्वाइंट पर भी भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को नहीं मानना चाहता। यानि की पीएलए को मुखौटा बनाकर चीन अप्रैल 2020 से पहले के हालातों में जाने के लिए तैयार नहीं है। ‘गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाकों चीन की सैन्य तैनाती अप्रैल 2020 के तर्ज पर बनी हुई है। दोनों मुल्कों के बीच 11 दौरों के सैन्य कमांडरों की वार्ता के तहत अगर चीन इन इलाकों का खाली नहीं करता है तो समझौता प्रक्रिया पूरी नहीं मानी जायेगी।

अगर वो पीछे हटता है तो देपसांग इलाके में भारतीय सेना के सामरिक पकड़ काफी मजबूत हो जायेगी। जो कि बीजिंग को कतई मंजूर नहीं है। इस इलाके में ये हालात साल 2013 से बने हुए है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय सेना का पेट्रोलिंग के दस्ता द्वारा देपसांग में गश्त लगाने के मुद्दे भारतीय सैन्य वार्ताकार (Indian military negotiator) आगे काफी जोर शोर से उठा सकते है।

ये इलाका दोनों ही देशों के लिए काफी अहम है। गोगरा, हॉट स्प्रिंग और कोंगका ला इलाके का इस्तेमाल करके पीएलए अपने सैनिकों तक आसानी से गोला बारूद और राशन पहुँचाती है। ऐसे में वो कभी नहीं चाहेगी कि, इस रूट पर भारतीय सेना का दबदबा कायम हो। दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों की दसवें दौर की वार्ता (20 जनवरी) के बाद चीनी और भारतीय सैनिक पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से पीछे हटने के लिए तैयार हुए थे। इस दौरान दोनों देशों ने आर्टिलरी, आर्म्ड और होवित्ज़र दस्ते (Howitzer squad) को पीछे किया था। अब चीन नये सिर से इस कवायद को अंज़ाम देने में ना-नुकुर कर रहा है।

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