गृहमंत्रालय की तैयारी, बस एक क्लिक पर अपराधियों की चाल जान लेगी Police

नई दिल्ली (समरजीत अधिकारी): अपराध के बढ़ते हाइटेक तरीकों के साथ पुलिस (Police) को भी उन्नत तकनीकें इस्तेमाल करनी पड़ती है। बहुत जल्द ही गृहमंत्रालय की अगुवाई में एक खास मैकेनिज़्म विकसित किया जा रहा है। जिसकी मदद से पुलिस मात्र एक क्लिक करते ही अपराधी का कच्चा चिट्ठा सहित उसके अपराध करने के तौरतरीकों के बारे में वक़्त रहते जाने लेगी। इसके लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस एलॉगरिद्म और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग तकनीकों (Advanced Algorithm and Natural Language Processing Techniques) का संयुक्त इस्तेमाल कर रही है। इसमें अपराधी के डेटाबेस में उसके अपराध करने के तौर-तरीकों में अपलोड़ किया जाता है।

किसी अपराधी के पकड़े जाने पर अगर उसने अपराध के किसी नये तरीके का इस्तेमाल किया है तो उसे भी सिस्टम में अपलोड किया जायेगा। ताकि भविष्य में एक खास पैटर्न को फॉलो करते हुए अपराधी तक पहुँचा जा सके। इससे बड़ी मदद अन्तर्राज्जीय अपराधों (Interstate crimes) पर भी नकेल कसने में मदद मिलेगी। आमतौर पर स्थानीय बीट ऑफिसर अपने इलाके में होने वाले अपराधों और क्राइम के तौर-तरीके को देखते हुए क्रिमिनल की धरपकड़ करते है, लेकिन जब यहीं अपराधी दूसरे राज्यों में किसी वारदात को अन्ज़ाम देते है तो वहां के पुलिस वालों के लिए जांच करने में खासा दिक्कत हो जाती है।

इस व्यवस्था को CCTNS (Crime And Criminal Tracking Network System) नाम दिया गया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के हाथों इसे विकसित करने की कमान सौंपी गयी है। इस सुविधा का इस्तेमाल 16,000 पुलिस थाने कर पायेगें। इसमें नियमित तौर पर अपराधियों द्वारा इस्तेमाल होने वाले नयी तरकीबों का अपडेट किया जायेगा। इसमें अपराधियों पर दर्ज होने वाली प्राथमिकियों को भी एकीकृत किया गया है, जिसका भी कोई पुलिसकर्मी विश्लेषण कर सकता है। इस प्रणाली की मदद से ये जानना भी आसान हो जायेगा कि, कोई अपराधी भविष्य में किस तरह के अपराध कर सकता है। क्रिमिनल्स की आवाज़ जांच के लिए वॉयस सैंपल डेटाबेस (Voice sample database) तैयार किया गया है। धमकी या फिरौती के लिए आने कॉल्स की ऑडियो अपलोड करके अपराधी की पहचान करना बेहद आसान हो जायेगा। इसमें अपराधियों की सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक प्रोफाइलिंग भी की जायेगी।

पहले अपराध और अपराधियों के तौर तरीकों (मॉडस ऑपरेंडी) को मिलाने के लिए पुलिस कर्मियों को काफी मेहनत करनी पड़ती थी। जिसके लिए कार्ड सिस्टम बनाया गया था। सभी कामों को मैनुअली अन्ज़ाम दिया जाता था। कई बार तो इंवेस्टीगेशन अधिकारी (Investigation Officer) को इसके लिए दूसरे राज्य में जाकर काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। अब यहीं काम बस एक क्लिक की दूरी पर है।

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