Heart Condition: समझे कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच का अंतर, इलाज में काफी अहम है शुरूआती जानकारी

हेल्थ डेस्क (यामिनी गजपति): Heart Condition: कार्डिएक अरेस्ट और हार्ट अटैक दो गंभीर मेडिकल इमरर्जेंसी कंडीशन हैं, जो कि दिल पर सीधे असर डालती हैं, लेकिन दोनों कंडीशन एक ही चीज़ नहीं हैं। समय पर उपचार और पॉजिटिव रिजल्ट की संभावना के लिये दोनों के बीच के अंतरों को समझना और लक्षणों को पहचानना काफी अहम होता है।

कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) तब होता है जब दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है और बॉडी ब्लड़ पंप करना बंद कर देती है। ये जानलेवी स्थिति हो सकती है, इसके लिये तुरन्त मेडिकल ध्यान देने की जरूरत होती है। कार्डिएक अरेस्ट कई तरह की वज़हों से हो सकता है, जिसमें दिल में इलैक्ट्रिक सिग्नल की समस्यायें शामिल हैं, जैसे कि वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन या टैचीकार्डिया (Ventricular Fibrillation or Tachycardia), या ये बाहरी वजहों का नतीजा हो सकता है, जैसे कि डूबना या बिजली का झटका। कार्डिएक अरेस्ट किसी को भी हो सकता है, जिसमें वो लोग भी शामिल हैं जो कि पूरी तरह सेहतमंद स्वस्थ हैं, और ये अक्सर एकाएक होता है।

कार्डिएक अरेस्ट के लक्षणों में अचानक बेहोशी आना, धड़कन का न होना और सांस न लेना शामिल है। अगर किसी को कार्डियक अरेस्ट का अनुभव हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर या एम्बुलेंस को कॉल करना और सीपीआर (CPR) शुरू करना अहम हो जाता है। कार्डिएक अरेस्ट का अक्सर डीफिब्रिलेशन (Defibrillation) के साथ इलाज किया जाता है, ये एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें सामान्य दिल की धड़कन को बहाल करने की कोशिश में दिल को बिजली का झटका दिया जाता है।

दूसरी ओर दिल का दौरा (Heart Attack) तब होता है, जब दिल के एक हिस्से में खून का दौरा रूक जाता है, आमतौर इस मेडिकल कंडीशन में शरीर के अंदर खून का थक्का (Blood Clot) जम जाता है, जिसकी वजह से खून का दौरा रूक जाता है। इससे दिल के टिश्यू खराब होन के साथ ही मौत भी हो सकती है। दिल का दौरा आमतौर पर कोरोनरी धमनियों (Coronary Arteries) में प्लाक (Plaque) के बनने की वजह से होता है, जो आखिर में फट सकता है और थक्का बना सकता है। दिल के दौरे के जोखिम कारकों में हाई ब्लड़प्रेशर, उच्च कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह, धूम्रपान और हृदय रोग (Smoking and Heart Disease) का पारिवारिक इतिहास खासतौर पर शामिल हैं।

दिल के दौरे के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसमें सीने में दर्द या बेचैनी, सांस की तकलीफ, मतली, उल्टी के साथ बाहों, जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द शामिल हो सकते हैं। कार्डियक अरेस्ट के उलट दिल के दौरे में अक्सर चेतावनी के संकेत होते हैं और हो सकता है कि ये तुरंत ज़िन्दगी के लिये खतरा न हो। हालांकि दिल का दौरा पड़ने के हालातों में जल्द से जल्द मेडिकल मदद की तलाश करना अहम है, क्योंकि समय पर दिल के दौरे का इलाज और दिल को होने वाले नुकसान को कम करने में काफी अहम होता है।

कुल मिलाकर कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के बीच मुख्य अंतर ये है कि कार्डियक अरेस्ट दिल की कार्यक्षमता का अचानक हुआ नुकसान है, जबकि दिल का दौरा दिल में खून के दौरे में रूकावट के कारण होता है। दोनों ही गंभीर चिकित्सा आपात स्थिति हैं। लक्षणों को पहचानना और जितनी जल्दी हो सके मेडिकल इंटरवेंशन (Medical Intervention) की तलाश करना अहम है। दोनों के बीच के अंतर को समझकर और जोखिम कारकों को कम करने के लिये कदम उठाकर, आप इन चिकित्सकीय आपात स्थितियों को होने से रोकने में मदद कर सकते हैं।

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