Haryana Floor Test: कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव गिरा औंधे मुंह, सीएम खट्टर किसानों के मुद्दे हुए भावुक

न्यूज डेस्क (स्तुति महाजन): हरियाणा विधान सभा (Haryana Legislative Assembly) में कांग्रेस द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव और फ्लोर टेस्ट का मांग एक सिरे से औंधे मुंह गिर गयी। इसके साथ ही मनोहर खट्टर सरकार ने अपनी मजबूती का एहसास किसान आंदोलन के बावजूद करवा दिया। विपक्ष के हरियाणा नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ राज्य विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया था। जिस पर 23 कांग्रेसी विधायकों ने हस्ताक्षर कर मंजूरी दी थी। भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि तीनों केन्द्रीय कृषि कानूनों को लेकर 250 से ज्यादा किसान दिल्ली की सीमा पर मर गये।

विधानसभा में हुड्डा ने चल रहे किसानों के विरोधों पर टिप्पणी की और कहा: “250 से अधिक किसानों ने सीमा पर मृत्यु हो गई।” हुड्डा को जवाब दिया। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा: “विपक्ष के नेता बीएस हुड्डा ने ये मान लिया कि उनकी सरकार का कार्यकाल (साल 2014) कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के दोहरे मानकों को दिखाता है। हम असेंबली में इसका जवाब देंगे। अविश्वास प्रस्ताव पर गहन चर्चा के बाद हुई वोटिंग में प्रस्ताव के पक्ष में 32 वोट पड़े और इसके खिलाफ 55 वोट पड़े। इस दौरान सदन में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के विधायकों के बीच काफी गहमागहमी भरी बहस (Heated debate) देखने को मिली। 6 घंटे चली लंबी चर्चा के बाद करीब 5:02 पर वोटिंग की प्रक्रिया पूरी करवा ली गयी।

गौरतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में भाजपा के 40 विधायक, जजपा के 10 विधायक और निर्दलीय विधायकों ने वोट देकर अपना विरोध जाहिर किया। इसमें स्पीकर के वोट की गिनती शामिल नहीं की गयी। कांग्रेस विधायक दल के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार पर तीखे हमले कर भारी दबाव बनाने की कोशिश की। उनके जुबानी हमले (Verbal attack) का मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और डिप्टी चीफ मिनिस्टर दुष्यंत चौटाला ने जमकर सामना किया। सदन में किसानों के मुद्दे पर अपनी बात रखते हुये चीफ मिनिस्टर मनोहर लाल खट्टर कुछ देर के लिए भावुक हो गये और उनकी आंखे छलक आई।

इस बीच उन्होंने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि, मन मुताबिक काम ना होता देख कांग्रेस के मन में अविश्वास के भाव आ जाते हैं। दरअसल विश्वास को लेकर संकट कांग्रेस में है। साथ ही लाये गये अविश्वास प्रस्ताव से हमारा ही फायदा है। अगले आने वाले 6 महीनों के लिए सरकार के ऊपर से खतरा टल जाएगा। किसी भी सूरत में कृषि कानून को वापस नहीं लिया जायेगा। दिल्ली की सीमा पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों से किसानों का ही नुकसान हो रहा है। आंदोलनकारी आवेश में आकर अपनी खड़ी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। कुछ किसान ₹100 किलो दूध बेचने की बात कह रहे हैं। किसान ₹150 किलो दूध बेचें हमें खुशी होगी। इन सब कवायदों से किसानों का ही नुकसान हो रहा है। इससे किसी को कोई नफ़ा नहीं होने वाला। विपक्ष को चाहिये कि वो पहल करते हुये आगे बढ़े, किसानों को बरगलाना बंद करके आंदोलन खत्म करने में मदद करवाये।

विधानसभा सदन से बाहर निकलते हुए दीपेन्द्र हुड्डा ने मीडिया से कहा कि- हरियाणा सरकार बेनकाब हो गयी है। मैंने कहा था कि सत्तारूढ़ दल व्हिप जारी करते ही बहुमत हासिल कर लेंगे। मैंने स्पीकर को गुप्त मतदान के लिए गुज़ारिश की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर गुप्त मतदान होते तो नतीज़े कुछ और ही बाहर निकलकर आते। बहरहाल हमारी संख्या 30 से बढ़कर 32 हो गयी।

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