Farmers Protest Update: यूपी गेट पर दो प्रदर्शनकारियों की मौत, किसानों ने दी चेतावनी

नई दिल्ली (गौरांग यदुवंशी): तीन केन्द्रीय कृषि कानून के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) को आज 38 दिन पूरे हो गये है। कड़ाके की ठंड भी प्रदर्शनकारी किसानों पर बेअसर दिख रही है। किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि उनकी मांगे ना पूरी होने तक आंदोलन यूं ही जारी रहेगा। कृषि कानूनों की वापसी ही उनकी पहली और आखिरी मांग रहेगी। इस बीच यूपी गेट पर डटे बिलासपुर निवासी किसान कश्मीर सिंह कृषि कानूनों के विरोध में आत्महत्या कर ली। उनका मृत शरीर बाथरूम में पाया गया। शव के पास ही उनका गुरूमुखी में लिखा सुसाइड नोट बरामद किया गया। जिसमें उन्होनें यूपी गेट पर ही अंतिम संस्कार करने की इच्छा जाहिर की।

बीते शुक्रवार को दिल्ली गेट पर ही एक किसान हार्ट अटैक की चपेट में आ गया। जिससे उसकी मृत्यु हो गयी। बावजूद इसके किसानों के जत्थों का दिल्ली आना लगातार जारी है। कयास लगाये जा रहे है कि 4 जनवरी की वार्ता असफल होने पर किसान आंदोलन को बेहद उग्र रूप दे सकते है। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान सहित दूसरे राज्यों से आने वाले किसानों के समूह भरपूर रसद के साथ महिलायें और बच्चे भी लेकर आ रहे है। किसान संगठन ने पहले ही केन्द्र सरकार को चेतावनी जारी की है कि, अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और नए कृषि कानूनों की वापसी ना हुई तो हरियाणा के सभी मॉल और पेट्रोल पंप (Mall & Petrol Pump) बंद करवा दिये जायेगें।

किसान संगठनों के मुताबिक अब तक किसानों ने सरकार के सामने अपने मुद्दों पर सिर्फ पांच फीसदी ही चर्चा की है। किसान नेता युद्धवीर सिंह (Farmer leader Yudhveer Singh) ने मीडिया से कहा कि अगर सरकार की लगता है कि, किसान आंदोलन का हश्र शाहीन बाग के तर्ज पर होगा तो वो गलत सोचती है। सरकार हमें धरना स्थलों से शाहीन बाग की तरह नहीं हटा सकती है। अगर 4 जनवरी की बैठक के बाद हमारे पक्ष में फैसला नहीं आया तो हालातों की समीक्षा करते हुए, हमें कुछ कड़े कदम उठाने पड़ सकते है। ऐसे में आंदोलन की आग देश के हर कोने तक फैल सकती है।

40 किसान यूनियनों वाले संयुक्त किसान मोर्चा 4 जनवरी के बाद की वैकल्पिक रणनीति (Alternative strategy) तैयार कर रहा है। अगर किसान के हक़ में कोई फैसला ना आया तो। संयुक्त किसान मोर्चा का मानना है कि सरकार तीनों कानूनों की वापसी और MSP की गारन्टी को लेकर इंच भर भी नहीं हिली है। केन्द्र सरकार की हठधर्मिता के नतीज़े गंभीर हो सकते है। अगर फैसला पक्ष में ना आया तो, किसानों द्वारा शक्ति प्रदर्शन करने के लिए 6 जनवरी को कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। 6 से 20 जनवरी तक किसान आंदोलन को देश के हर जिले में ले जाया जायेगा। जिसमें धरना प्रदर्शन, चक्का जाम, प्रेस कॉन्फ्रेंस और रैलियों के कार्यक्रम सम्पन्न किये जायेगें।

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