Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, आंदोलन की दिशा होगी तय

नई दिल्ली (शौर्य यादव): दिल्ली की सीमाओं पर लगातार चल रहे आंदोलन (Farmers Protest) में लगातार उग्रता बढ़ती जा रही है। केन्द्र सरकार इस गतिरोध से निपटने के लिए लगातार कारगर कदम और विकल्पों के इस्तेमाल पर विचार कर रही है। तीनों केन्द्रीय कृषि कानून (Agriculture Laws) के विरोध के कारण दिल्ली-एनसीआर के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसके कारण दिल्ली से लगी हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर अमूमन लंबा जाम लगा रहता है। इसी संबंध में सुप्रीम कोर्ट में 3 याचिकाएं दायर की गई।

याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली बेंच ने की। जिसमें चीफ न्यायमूर्ति एसए बोबडे समेत न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम शामिल थे। न्यायिक पीठ ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि किसान और सरकार की कमेटी बनाई जाएगी जिसमें सरकार, बीकेयू और दूसरे किसान संगठन भी होंगे, court ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को भी नोटिस जारी किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को सहमति से सुलझाना चाहिए। किसान आंदोलन के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को नोटिस भेजकर कल तक जवाब मांगा है। इस मामले की कल फिर सुनवाई होगी।

याचिकाकर्ता ऋषभ शर्मा (Petitioner Rishabh Sharma) कानून की पढ़ाई कर रहे। जिसमें दलील दी गयी है कि, किसानों के विरोध प्रदर्शनों के कारण यातायात काफी बाधित हो रहा है। जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ रहा है और साथ ही इससे आपातकालीन मेडिकल सेवायें में रूकावटें आ रही है। ऐसे में किसानों को सड़कों से हटाया जाये। भारी तादाद में लोगों के इकट्ठा होने के कारण कोरोना संक्रमण की संभावनायें लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही धरना स्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना गाइडलाइन्स की जमकर धज़्जियां उड़ाई जा रही है। याचिका की दलील में ऋषभ शर्मा ने मांग की है कि- सभी प्रदर्शनकारियों को सरकार द्वारा निर्धारित स्थलों पर ही प्रदर्शन करना चाहिए।

दूसरी याचिका अधिवक्ता जीएस मणि द्वारा दाखिल की गयी थी। जिसमें कहा गया कि, सर्वोच्च न्यायालय केन्द्र सरकार को निर्देश जारी करे ताकि उनकी मांगों पर विचार हो सके और उन्हें बुनियादी सुविधायें उपलब्ध हो। सुरक्षा बलों द्वारा किसानों पर बल प्रयोग के मामले पर मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग न्यायालय (National Human Rights Commission) में दाखिल करे। इसके साथ ही पीड़ित किसानों को पर्याप्त मुआवज़े के प्रावधान भी सुनिश्चित किये जाये।

इस मामले में तीसरी याचिका अधिवक्ता वकील रीपक कंसल की ओर से दायर की गई। जिसमें उन्होनें कहा कि- आंदोलनकारी किसानों को दिल्ली में धरना-प्रदर्शन करने की इज़ाजत दी जाये। विरोध प्रदर्शन के लिए कोरोना के तयशुदा मानकों के तहत जंतर-मंतर पर आंदोलन करने की अनुमति दी जाये। न्यायालय किसानों के मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) और मानवाधिकारों के संरक्षण को सुनिश्चित करे।

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