Ram Mandir trust ने भूमि खरीद में भ्रष्टाचार के मामले को बताया राजनीतिक नफरत से प्रेरित

न्यूज़ डेस्क (उत्तर प्रदेश): राम मंदिर ट्रस्ट (Ram Mandir trust) ने अयोध्या में जमीन की खरीद में अनियमितता के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय के मुताबिक धोखाधड़ी के आरोप बुनियादी और राजनीतिक घृणा से प्रेरित हैं।

राय ने कहा कि नवंबर 2019 में श्री राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर से लोग जमीन खरीदने के लिए अयोध्या आने लगे और कीमतें बढ़ गयी। उन्होंने आगे कहा कि कथित जमीन रेलवे स्टेशन के पास एक बहुत ही प्रमुख स्थान पर है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अब तक जितनी भी जमीनें खरीदी हैं, उन्हें खुले बाजार भाव से काफी कम कीमत पर खरीदा है।

राम मंदिर के लिये ज़मीन खरीद की तयशुदा प्रक्रिया पर उन्होनें कहा कि, जमीन की खरीद-बिक्री पार्टियों की आपसी बातचीत पर निर्भर करती है। सभी तरह की अदालती फीस और स्टांप पेपर ऑनलाइन खरीदे जाते हैं। भूमि की खरीद सहमति पत्र (Agreement Letter) के आधार पर की जाती है। जिसके बाद पूरी रकम ज़मीन बेचने वाले के बैंक खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती है।

राम मंदिर के लिये जमीन खरीद की धांधलेबाज़ी पर उन्होनें कहा कि, कुछ राजनीतिक नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं। ये लोग समाज को बरगला रहे है। ये सभी लोग सियासी दांवपेंच खेल रहे है। इसलिये आरोप और दूसरी कवायदें पूरी तरह राजनीतिक नफरत से प्रेरित हैं।

Ram Mandir trust पर लगे ये सनसनीखेज़ इल्ज़ाम

बीते रविवार (13 जून 2021) को आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भगवान राम के नाम पर चंदा लेकर हो रहे घोटाले और चंपत राय पर राम मंदिर परिसर के लिए ऊंची कीमत पर जमीन का एक टुकड़ा खरीदने का आरोप लगाया। संजय सिंह ने दावा किया कि 2 करोड़ रुपये की जमीन 18.5 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई कीमत पर जानबूझकर खरीदी गयी। बतौर सबूत संजय सिंह ने अयोध्या में गाटा नंबर 243, 244 और 246 की खरीद फरोख़्त से जुड़े दस्तावेज़ मीडिया के सामने पेश किये थे।

कुछ इसी तर्ज़ पर समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री तेज नारायण पवन ने अयोध्या में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर जमीन खरीद के नाम पर करोड़ों रुपए की हेराफेरी करने का आरोप लगाया था। उनके मुताबिक ये मामला साफ तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) से जुड़ा हुआ है। इसीलिए इसकी जांच सीबीआई से करवायी जाये।

गौरतलब है कि कथित जमीन को कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने दो करोड़ रुपए में खरीदा जबकि जमीन की असल बाजार कीमत 5.80 करोड़ रूपये है। ठीक कुछ देर के बाद राम जन्म भूमि ट्रस्ट ने इसी जमीन को 18.5 करोड़ रुपए में खरीदा। दिलचस्प ये भी है कि दोनों बार हुई खरीद में अनिल मिश्र और अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय डील के गवाह बने।

मामले का दूसरा पक्ष ये भी है कि मंदिर ट्रस्ट ने जमीन खरीद के लिए एग्रीमेंट बनाने से जुड़ा ई-स्टाम्प पेपर 5 बजकर 11 मिनट पर खरीदा। दूसरी ओर कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी द्वारा जमीन खरीद के लिए ई-स्टाम्प पेपर 5 बजकर 22 मिनट पर खरीदा गया। सिलसिलेवार तरीके से देखा जाये तो पहले ई-स्टाम्प पेपर कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी वाली डील में पहले ई-स्टाम्प पेपर की बिक्री होनी चाहिये थी। ऐसे में ट्रस्ट ने पहले से ई-स्टाम्प पेपर कैसे खरीद लिया, ये भी बड़ा सवाल बना हुआ है?

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