Gau Mutra: अत्यंत लाभकारी है गौमूत्र का सेवन, दूर करता है कई स्वास्थ्य समस्यायें

Gau Mutra: गाय को बहुत ही पवित्र माना गया है। अनेक अवसरों पर गाय की पूजा भी हिंदू धर्म में की जाती है। गाय का दूध, गोबर और मूत्र को भी बहुत पवित्र माना गया है। प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वज गाय के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल विभिन्न कामों में करते आ रहे हैं। मान्यता है कि, नियमित रूप से गौमूत्र पीने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। गौमूत्र में ऐसी क्या खास बात है जो प्राचीन काल से ही इसका महत्व बना हुआ है।

गौमूत्र से होने वाले फायदे

– आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार गौमूत्र विष नाशक, जीवाणु नाशक और जल्‍द ही पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, कॉपर, फॉस्‍फेट, यूरिक एसिड, पोटैशियम, यूरिक एसिड, क्‍लोराइड और सोडियम पाया जाता है।

– गौमूत्र दर्दनिवारक, पेट के रोग, स्किन प्रॉब्लम, श्वास रोग (दमा), आंतों से जुड़ी बीमारियां, पीलिया, आंखों से संबंधित बीमारियां, अतिसार (दस्त) आदि के उपचार के लिये इस्तेमाल किया जाता है।

– आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीनों दोषों की गड़बड़ी की वजह से बीमारियां फैलती हैं, लेकिन गौमूत्र पीने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।

– दिमागी टेंशन की वजह से नर्व सिस्‍टम (Nervous System) पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन गौमूत्र पीने से दिमाग और दिल दोनों को ही ताकत मिलती है और उन्‍हें किसी भी किस्‍म की कोई बीमारी नहीं होती।

– शरीर में पाये जाने वाले विभिन्न विषैले पदार्थों को बाहर निकालने के लिये गौमूत्र पीना बहुत लाभदायक है। – अगर किसी गाय ने बछड़े को जन्म दिया है तो ऐसी गाय का दूध या गोमूत्र बहुत फ़ायदेमंद होता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होते हैं। वैज्ञानिक भाषा में बहुत स्वास्थ्यवर्धक हार्मोन और मिनिरल्स (Healthy Hormones and Minerals) होते हैं।

गोमूत्र के लाभ

1. जोड़ों का दर्द – जोड़ों में दर्द होने पर गोमूत्र का प्रयोग दो तरीकों से किया जा सकता है। इनमें से पहला तरीका है, दर्द वाले स्थान पर गोमूत्र से सेंक करें। और सर्दी में जोड़ों का दर्द होने पर 1 ग्राम सोंठ के चूर्ण के साथ गोमूत्र का सेवन करें।

2. मोटापा – गोमूत्र के माध्यम से आप मोटापे पर आसानी से नियं‍त्रण पा सकते हैं। आधे गिलास ताजे पानी में 4 चम्मच गोमूत्र, 2 चम्मच शहद तथा 1 चम्मच नींबू का रस मिलाकर नित्य सेवन करें।

3 दंत रोग – दांत दर्द एवं पायरिया में गोमूत्र से कुल्ला करने से लाभ होता है। इसके अलावा पुराना जुकाम, नजला, श्वास- गोमूत्र एक चौथाई में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी मिलाकर सेवन करें।

4 हृदयरोग – 4 चम्मच गोमूत्र का सुबह-शाम सेवन करना हृदय रोगियों के लिए लाभकारी होता है। इसके साथ ही मधुमेह रोगियों के लिये भी ये लाभकारी है। मधुमेह (Diabetes) के रोगियों को बिना ब्यायी गाय का गौमूत्र प्रतिदिन डेढ़ तोला सेवन करना चाहिये।

5 पीलिया – 200-250 मिली गोमूत्र 15 दिन तक पियें, उच्च रक्तचाप होने पर एक चौथाई प्याले गोमूत्र में एक चौथाई चम्मच फूली हुई फिटकरी डालकर सेवन करें और दमा के रोगी को छोटी बछड़ी का 1 तोला गोमूत्र नियमित पीना लाभकारी होता है।

6 यकृत, प्लीहा बढ़ना – 5 तोला गौमूत्र में 1 चुटकी नमक मिलाकर पि‍यें या पुनर्नवा के क्वाथ को समान भाग गोमूत्र मिलाकर लें। आप ये भी कर सकते हैं कि गर्म ईंट पर उससे गोमूत्र में कपड़ा भिगोकर लपेटें और प्रभावित स्थान पर हल्की-हल्की सिंकाई करें।

7 कब्ज या पेट फूलने पर – (क) 3 तोला ताजा गौमूत्र छानकर उसमें आधा चम्मच नमक मिलाकर पिलाएं।

(ख) बच्चे का पेट फूल जाए तो 1 चम्मच गोमूत्र पिलायें और गैस की समस्या में प्रात:काल आधे कप गौमूत्र में नमक तथा नींबू का रस मिलाकर पिलायें या फिर पुराने गैस के रोग के लिये गोमूत्र को पकाकर प्राप्त किया गया क्षार भी गुणकारी है।

8 गले का कैंसर – 100 मिली गोमूत्र तथा सुपारी के बराबर गाय का गोबर दोनों को मिलाकर स्वच्छ बर्तन में छान लें। सुबह नित्य कर्म से निवृत्त होकर निराहार 6 माह तक प्रयोग करें।

9 चर्मरोग – नीम गिलोय क्वाथ (Neem Giloy Kwath) के साथ सुबह-शाम गोमूत्र का सेवन करने से रक्तदोषजन्य चर्मरोग नष्ट हो जाता है। इसके अलावा चर्मरोग पर जीरे को महीन पीसकर गोमूत्र मिलाकर लेप करना भी लाभकारी है।

10 आंख के रोग – आंख के धुंधलेपन और रतौंधी में काली बछिया के मूत्र को तांबे के बर्तन (Copper Vessels) में गर्म करें। चौथाई भाग बचने पर छान लें और उसे कांच की शीशी में भर लें। उससे सुबह-शाम आंख धोयें।

11. पेट में कृमि – आधा चम्मच अजवाइन के चूर्ण के साथ 4 चम्मच गोमूत्र 1 सप्ताह सेवन करें। और कब्ज की समस्या होने पर हरड़ के चूर्ण के साथ गोमूत्र सेवन करें।

गोमूत्र सेवन में कुछ सावधानियां रखना भी बेहद आवश्यक है, जानिये ऐसी ही 7 जरूरी सावधानियां –

1 देशी गाय का गोमूत्र ही सेवन करें। गाय गर्भवती या रोगी न हो।

2 जंगल में चरने वाली गाय का मूत्र सर्वोत्तम है।

3  1 वर्ष से कम की बछिया का मूत्र सर्वोत्तम है।

4  मालिश के लिये 2 से 7 दिन पुराना गोमूत्र अच्‍छा रहता है।

5  पीने हेतु गौमूत्र को 4 से 8 बार कपड़े से छानकर प्रयोग करना चाहिए।

6  बच्चों को 5-5 ग्राम और बड़ों को 10 से 20 ग्राम की मात्रा में गोमूत्र सेवन करना चाहिए।

साभार- अनिल सुधांशु (ज्योतिषाचार्य)

सम्पर्क सूत्र – +919458064249

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