Jaipur Literature Festival: साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की हुई रंगारंग शुरूआत, साहित्य से लेकर संवेदनशील मुद्दों पर रखे गये कई सत्र

न्यूज डेस्क (जयपुर): Jaipur Literature Festival: दुनिया भर में भव्य साहित्यिक समारोह के तौर पर में मशहूर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 16वें संस्करण की शुरूआत काफी धूमधाम से होटल क्लार्क्स आमेर में लेखकों, वक्ताओं और ओपिनयन मेकर्स के साथ हुई। इस महोत्‍सव की पहली सुबह शानदार और पुरस्‍कृत कर्नाटक गायिका सुषमा सोमा (Singer Sushma Soma) के दिल को छू लेने वाली परफोर्मेंस के साथ शुरू हुई। सोमा मधुर आवाज ने फ्रंट लॉन में प्रशंसकों का दिल छू लिया।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 16वें संस्करण का उद्घाटन सत्र लेखक विलियम डेलरिम्पल (William Dalrymple), नमिता गोखले और संजय के. रॉय समेत कई नामचीन हस्तियों के भाषणों के साथ शुरू हुआ। समारोह के दौरान रॉय ने साझा किया कि कैसे – 2020 में 25 वर्ष से कम आयु के 80% से ज्यादा मौजूद लोगों के साथ इस साहित्य महोत्सव ने भारत के युवाओं के बीच अपनी खास जगह बनायी है। उन्होंने कहा कि महोत्सव ने कार्बन न्यूट्रन होने का प्रयास करके इस युवा जनसांख्यिकीय के भविष्य को ध्यान में रखने की कोशिश की है। रॉय ने आर्थिक रूप से कमजोर के छात्रों के लिये महोत्सव की पहुंच बढ़ाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता का भी जिक्र किया और कहा कि इस बार तीन जगहों से कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण किया जायेगा। इसके अलावा प्रथम बुक्स के साथ अपनी साझेदारी के माध्यम से वो आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 50 स्कूलों में पुस्तकालय स्थापित करेंगे।

बता दे कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल इस संस्करण में 21 से ज्यादा भारतीय भाषाओं और 14 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं के वक्ता होंगे, जो कि इसे एक ऐसा कार्यक्रम बनाते हैं जो विविधता का प्रतिनिधित्व करता है। डेलरिम्पल ने बातचीत के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस संस्करण में दुनिया भर के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों के विजेता शामिल होंगे, जिनमें नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुलराज़क गुरनाह, मैन बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि श्री और डेज़ी रॉकवेल (Daisy Rockwell) खासतौर से शामिल हैं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की लेखिका, संस्थापक एवं सह-निदेशक नमिता गोखले (Namita Gokhale) ने कहा, “पिछले 16 सालों में ये वार्षिक साहित्यिक तीर्थयात्रा, पाठकों और लेखकों का ये महाकुंभ, ये कथा सरित-सागर, कहानियों का ये समुद्र- इतने सारे लोगों के लिये परिवर्तनकारी। हमारा प्रोग्रामिंग फोकस स्वाभाविक रूप से अनुवादों और नई अनसुनी आवाजों को सामने लाने की ओर आकर्षित हुआ… हर जनवरी में दुनिया जयपुर आती है और जयपुर दुनिया का दौरा करता है। भू-राजनीति से लेकर ग्रहों की चेतना, इतिहास, धर्म, आध्यात्मिकता, गद्य-कविता, तर्क-वितर्क सभी इसमें शामिल है। हम साहित्य प्रेमियों के लिये धरती पर सबसे बड़े साहित्यिक शो से कई नज़रियों से लाते हैं।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के लेखक, इतिहासकार और संस्थापक और सह-निदेशक विलियम डेलरिम्पल ने कहा, “…इस साल हमारे पास दुनिया के लगभग सभी प्रमुख पुस्तक पुरस्कार विजेता मौजूद है, नोबेल, बुकर, इंटरनेशनल बुकर, जेसीबी… महिला पुरस्कार वगैरह … ये बेहद शानदार दावत होने जा रहा है। सेंट स्टीफंस से महान दिमाग वाले, हार्वर्ड से, येल से – सभी नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ साहित्य प्रेमी नजदीकी रब़्ता कर पायेगें।”

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के प्रोड्यूसर, टीमवर्क आर्ट्स के प्रबंध निदेशक, संजय के. रॉय ने कहा, “शुरुआत से ही हमारा मकसद और फोकस रहा है – क्या हम एक ऐसा मंच बना सकते हैं जहां युवा लेखकों के एक साथ जुड़ने के लिये आयें? हमारा मानना है कि यही वो पीढ़ी है जो दुनिया में बदलाव लायेगी। जलवायु के मुद्दों को संबोधित करते हुए, रॉय ने कहा, “आज, जलवायु संकट सबसे बड़े मुद्दों में से एक है जिसका हम सामना कर रहे हैं। कल संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शोम्बी शार्प और राधिका कौल बत्रा के साथ, हमने यह सुनिश्चित करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये कि हमारे सभी त्योहार, सम्मेलन और कार्यक्रम … हरे-भरे हों।”

श्रोताओं को संबोधित करते हुए इस साल के मुख्य वक्ता, साहित्य में 2021 के नोबेल पुरस्कार के विजेता अब्दुलराज़क गुरनाह ने कहा, “लेखन सबसे ऊपर उन विचारों और विश्वासों को बनाये रखने के बारे में है जो कि हमें लगता है कि अहम हैं और जिन्हें हम महत्व देते हैं। जब कोई कहता है कि ‘प्रतिरोध के रूप में लेखन’, तो मैं इस तरह की चीजों के बारे में सोचता हूं बजाय इसके कि अत्याचारियों से लड़ें या मंच पर खड़े होकर लोगों को ऊर्जावान बनाने के लिये शक्तिशाली भाषण दें।”

महोत्सव में पत्रकार और लेखिका नंदिनी नायर के साथ बुकर पुरस्कार विजेता बर्नार्डिन एवरिस्टो (Bernardine Evaristo) की बातचीत का खास सत्र हुआ, जिसमें अपने संस्मरण मेनिफेस्टो के बारे में बात करते हुए, एवरिस्टो ने कहा, “एक तरह से मैं रातों-रात कामयाब नहीं हुई, लेकिन मैं रातों-रात सफल भी हो गयी क्योंकि सचमुच मेरा जीवन बुकर की शाम से बुकर के बाद की सुबह में पूरी तरह से बदल गया था क्योंकि अचानक वो सब कुछ हुआ जो मैं अपने करियर के लिये चाहती थी।” उन्होनें आगे कहा कि, “लेकिन फिर मैंने सोचा कि मैं अपने जीवन के बारे में लिखना चाहूंगी मेरी रचनात्मकता और उस स्तर पर ऐसा करना एकदम सही लगा। क्योंकि लोग संस्मरण की तुलना उपन्यास से नहीं कर सकते।”

 एक सत्र में अकादमिक मुकुलिका बनर्जी (Academic Mukulika Banerjee) नीति अनुसंधान केंद्र की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी यामिनी अय्यर (Yamini Iyer) और अकादमिक और लेखक रोनोजॉय सेन को मशहूर पत्रकार सीमा सिरोही के साथ बातचीत करते देखा गया। इस सत्र में दुनिया भर के लोकतंत्रों के भीतर कैसे दोष की लकीरें उभरती हैं, इस बारे में सिरोही ने चर्चा की। लोकतांत्रिक जवाबदेही पर प्रकाश डालते हुए बनर्जी ने कहा कि, “लोकतंत्र असल में राजनीतिक लोकतंत्र के बारे में है; ये इस बारे में है कि नागरिक और प्रतिनिधि के बीच रिश्तों कैसे परिभाषित किया जाता है”। सेन ने भारतीय संसद और हमारे लोकतंत्र के मौजूद हालातों के बारे में जानकारी दी। अय्यर ने लोकतंत्र के लाभ और कमियों पर जोर दिया और गहरी लोकतांत्रिक संस्कृति में निहित मजबूत संस्थानों की आवश्यकता पर बल दिया।

एक अन्य सत्र में मशहूर विद्वान और अनुवादक बिबेक देबरॉय (Bibek Debroy) और ख्यातिलब्ध लेखक पुष्पेश पंत (Pushpesh Pant) के साथ बातचीत कर रहे थे। बातचीत के दौरान देबरॉय ने चर्चा की कि कैसे पुराणों को पंच लक्षण की पांच विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करने वाला माना जाता है। देबरॉय ने श्रोताओं को श्लोक और पुराणों की दुनिया में अधिक अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिये अपनी बातचीत की शुरूआत भगवद पुराण और मार्कंडेय पुराण (Bhagavad Purana and Markandeya Purana) के श्लोकों से की।

सबसे अधिक बिकने वाले उपन्यासकार दुर्जोय दत्ता ने एक लेखक के रूप में 21 साल की उम्र में प्रकाशित होने से लेकर अपना नवीनतम उपन्यास व्हेन आई एम विद यू लिखने तक की अपनी यात्रा के बारे में बात की। लेखक किरण मनराल के साथ बातचीत में, दत्ता ने अपने पात्रों की गहराई और पृष्ठभूमि पर चर्चा की और बताया कि कैसे वे उन्हें लिखते हैं और उनके कई पात्रों की खामियां हैं।

मशहूर लेखक और राजनेता शशि थरूर ने पुलित्जर पुरस्कार विजेता इतिहासकार कैरोलिन एल्किंस के साथ एल्किंस की नई किताब, लिगेसी ऑफ वायलेंस: ए हिस्ट्री ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर पर बातचीत कर की। साथ में एल्किन्स और थरूर ने कई मुद्दों पर चर्चा की, जिसमें साम्राज्य का वैश्विक इतिहास, इसके हिंसक अध्याय और दक्षिण एशिया में इसकी अभिव्यक्तियाँ शामिल हैं। पुस्तक के माध्यम से एल्किन्स को उम्मीद है कि 1857 भारत और 1954 केन्या में हिंसा की औपनिवेशिक घटनाओं में जो कुछ हुआ, उसके बिंदुओं को जोड़ा जा सके।  सत्र के दौरान, थरूर ने कहा, “हिंसा औपनिवेशिक परियोजना का अभिन्न अंग था … 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, वे (ब्रिटिश) एक औचित्य के साथ आये- सभ्यता मिशन- जिसका इस्तेमाल इससे पहले तक नहीं किया गया था.. बड़े पैमाने पर हत्यायें हुई थीं। जलियांवाला बाग किसी चीज की पराकाष्ठा थी, लेकिन जब आप दिल्ली में 100,000 लोगों का नरसंहार करते हैं, जलियांवाला बाग में 2000-3000 लोग मारे जाते हैं, तो तादाद उन लोगों के लिये एक छोटे से बदलाव की तरह दिखती होगी जिन्होंने ऐसा किया था।

एक अन्य सत्र के दौरान उपन्यासकार, फिल्म निर्माता और ज़ेन बौद्ध पुजारी रूथ ओज़ेक ने लेखक और पत्रकार बी रोलेट ने उपन्यास द बुक ऑफ़ फॉर्म एंड एम्प्टीनेस पर चर्चा की, जो बेनी ओह की कहानी बताता है, लेखकों ने इस बात पर चर्चा की कि कैसे कहानी भारी नुकसान के साथ आने से जुड़ी हुई है।

परोपकारी और उद्यमी सुरीना नरूला ने दिग्गज अभिनेत्री दीप्ति नवल के साथ बातचीत की। नवल का संस्मरण, ए कंट्री कॉल्ड चाइल्डहुड, अमृतसर में उनके बचपन के इर्द-गिर्द घूमती है और फिल्म जगत में उन्हें अलग बनाने वाले प्रभावों के बारे में बात करती है। सत्र के दौरान नवल ने अपनी नज़रिया साझा किया, और कैसे मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर वो काम कर रही है, इस बारे में भी लोगों के साथ जानकारी साझा की।

लेखक और रैपर सुमित समोस ने लेखक और राजनीतिज्ञ शशि थरूर के साथ बातचीत की दोनों ने इस बारे में बात की कि कैसे बीआर अंबेडकर को भारतीय पॉलिटिकल नैरेटिव में लंबे समय तक उपेक्षित किया गया है। सामोस ने भारत के कई हिस्सों में इतिहास के पुनर्निर्माण की जरूरतों का हवाला देते हुए और हाशिये के इतिहास को दुबारा हासिल करने के लिये नियोजित जरूरतों का हवाला दिया।

अकादमिक मुकुलिका बनर्जी के साथ विख्यात इतिहासकारों डेविड ओलुसोगा और एलेक्स वॉन टुनज़ेलमैन के बीच बातचीत इस बात पर केंद्रित थी कि इतिहास को जनता द्वारा कैसे याद किया जाता है, और मूर्तियाँ हमें अतीत को याद रखने में मदद करती हैं या नहीं। ये बातचीत ब्रिटेन और भारत में मूर्तियों के इर्द-गिर्द थी। कैसे मूर्तियाँ “महापुरुषों” की भूमिका को दर्शाती हैं, इस बात को भी उठाया गया। इतिहास को रिकॉर्ड करने के वैकल्पिक तरीकों का अवलोकन करते हुए, टुनज़ेलमैन ने कहा, “इतिहास को याद रखने के कई तरीके हैं- किताबें, वृत्तचित्र, और त्यौहार जैसे आज – ये इंटरैक्टिव तरीके हैं जिनके जरिये हम इतिहास को याद कर सकते हैं… स्मारक बनाने के कई तरीके हैं जो हैं मूर्तियाँ नहीं … वे सभी इतिहास को महापुरुषों में निहित हैं, और ये एक समस्या है कि हम इतिहास को कैसे देखते हैं … क्योंकि इतिहास सिर्फ इन महापुरुषों नहीं बनाया है।”

महोत्सव के पहले दिन के समापन पर पॉप आइकन और पार्श्व गायिकाओं में शुमार उषा उथुप ने फिल्म 7 खून माफ से फिल्मफेयर विजेता गीत ‘डार्लिंग’ गाकर लोगों का दिल जीत लिया।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More