Unrest on Solomon Islands: चीन की वज़ह से टूट के कगार पर पहुँचा सोलोमन द्वीप

एजेंसियां/न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): सोलोमन द्वीप (Solomon Islands) में हिंसक अशांति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। द्वीप राष्ट्र के नेता मनश्शे सोगावरे (Manasseh Sogaware) ने देश में अशांति को बढ़ाने के लिए “विदेशी ताकतों” को दोषी ठहराया है, जो प्रशांत क्षेत्र में जंगी मैदान में बदल रहा है।

प्रशांत देश की राजधानी होनियारा (Capital Honiara) में संसद, चीनी कारोबारियों और अन्य इमारतों को निशाना बनाकर किये गये हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया (Papua New Guinea and Australia) ने पुलिस अधिकारियों को विवादित इलाके में भेजा। विशेषज्ञों का कहना है कि अशांति की जड़ें गहरी हैं और सोगावरे को सरकार गिराने की लगातार धमकी मिल रही है।

सोलोमन द्वीप के प्रधान मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अभी भी सत्ता पर काब़िज है, लेकिन उन्होनें ऑस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनी से सुरक्षा मुहैया कराने के लिये मदद मांगी है। अमेरिकी ब्रॉडकास्टर्स वॉयस ऑफ अमेरिका (वीओए) ने बताया कि मौजूदा तनाव का कारण लंबे समय से चले आ रहे जातीय तनाव, भ्रष्टाचार के आरोप और चीन के साथ संबंध बढ़ाने के सरकार के कदम विवाद की मुख्य जड़ हैं।

साल 2019 में सोलोमन द्वीप समूह ने अपनी राजनयिक निष्ठा (Diplomatic Allegiance) को ताइवान से चीन में वापस बदल दिया। सोलोमन द्वीप समूह में ऑस्ट्रेलिया के पूर्व उच्चायुक्त जेम्स बैटल (Former High Commissioner of Australia James Battle) ने कहा कि चीन के साथ संबंधों को लेकर सामुदायिक तनाव ने अशांति को काफी बढ़ावा दिया है।

जेम्स बैटल ने आगे कहा कि- ये खुद विदेश नीति नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि इस राजनयिक बदलाव ने उन पूर्व-मौजूदा शिकायतों में और विशेष तौर पर इस मायने में कि चीन ने सोलोमन द्वीप में सियासत में छेड़छाड़ की है। इसके तहत चीनी पैसे भारी पैमाने पर सोलोमन द्वीप समूह में भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है, और राज्य व्यवस्था को अपंग कर दिया है। जिससे कि राजनीतिक ढ़ांचा बुरी तरह चरमरा गया है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन विरोधी दंगों में इमारतों में आग लगने और दुकानों को लूटने के बाद ऑस्ट्रेलियाई शांति सैनिकों (Australian Peacekeepers) ने अब सोलोमन द्वीप समूह में कानून संभालकर शांति व्यवस्था बहाल कर दी है। ताइवान से चीन में राजनयिक संबंधों को बदलने के सरकार के फैसले पर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए, प्रदर्शनकारियों ने पिछले तीन दिनों में भारी तोड़फोड़ की है। जिसके निशान पूरे देश में साफ देखे जा सकते है।

चीन और ताइवान दशकों से दक्षिण प्रशांत (South Pacific) क्षेत्र में प्रतिद्वंद्वी रहे हैं, कुछ द्वीप राष्ट्रों इसे देखते हुए अपनी राजनयिक निष्ठा बदल ली है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसे अपने प्रांत के तौर पर देखता है। इसी मुद्दे को लेकर ताइपे में सरकार से उसकी गहमागहमी बनी रहती है। सिर्फ 15 देश ताइवान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध (Formal Diplomatic Relations) बनाये हुए हैं। आखिरी बार बीजिंग के पक्ष में ताइपे (Taipei) का साथ सोलोमन द्वीप और किरिबाती (kiribati) ने दो सितंबर 2019 को छोड़ा था।

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