#JaagoDilli: दिल्ली तू अब जाग ले, हर द्रोही तू पहचान रे..BJP ने जारी किया नया विडियो

दिल्ली विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र भाजपा की सक्रियता हर प्लेटफॉर्म पर देखने को मिल रही है। हाल ही में भाजपा ने ट्विटर पर अपना नया गाना लॉन्च किया। इस गाने की खास़ बात ये है कि इसमें भाजपा ने दिल्ली वालों से राष्ट्रीय मुद्दों की ओर खींचने की कोशिश की है। जिसके केन्द्र में सीएए,एनपीआर और एनसीआर की कवायदों को शामिल किया गया है। इसमें आरोप-प्रत्यारोप तो काफी है लेकिन जो चीज़ों चुनावी प्रचार में होती है, उसका सरासर अभाव है। अगर यहीं रणनीति लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल करनी होती तो शायद ये करागर होती।

04:28 के इस गाने से कई मुद्दों पर भाजपा का पक्ष साफ होता दिख रहा है। गाने में अरविंद केजरीवाल को ढोंगी बताया गया है। साथ ही कई ऐसे विजुअल्स है जिनसे पता लगता है कि बीजेपी और उसकी नीतियों को लेकर कौन-कौन मुखर है। कन्हैया कुमार, उमर खालिद, आइशी घोष के चेहरे भी इस्तेमाल किये गये है। मनीष सिसौदिया और केजरीवाल को फरेबी बताया गया है। सीएए, एनपीआर और एनसीआर का विरोध करने वालों को देशद्रोही करार दिया गया है। शाहीन बाग हिंसा के दृश्यों को दिखाया गया है। ग्राफिक्स के माध्यम से अखंड भारत कैसे टूटा ये भी देखा जा सकता है। दिलचस्प ये भी है कि गाने के एक सीन में बॉलीवुड की उस ज़मात को भी दिखाया गया है, जो सीएए की खिल़ाफ आव़ाज बुलन्द कर रहे थे। इस सीन में तापसी पुन्नू, ऋचा चड्ढा, अनुभव सिन्हा, दीया मिर्जा, जोया अख़्तर, अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज और सौरभ शुक्ला साफ देखे जा सकते है। तनाव और हिंसा के बीच कश्मीर, दिल्ली और आसाम की एकता के बारे में बताया गया है। चन्द्रशेखर रावण का जामा मस्जिद में संविधान की प्रस्तावना के स्टिल्स का भी प्रयोग किया गया है। हालिया सुर्खियों में आये शरजील इमाम को देश तोड़ने वाला और मुगलिया के तौर पर दिखाया गया है। सबसे ज़्यादा दिलचस्प तो ये है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को फिरंगी बताया गया है।

Courtesy by-BJP

कुल मिलाकर इस गाने में राष्ट्रीय स्तर के मुद्दो को जगह दी गयी है। लेकिन शायद भाजपा ये भूल कर रही है कि चुनाव दिल्ली विधानसभा का है। विधानसभा चुनावों में स्थानीय स्तर के मुद्दों को जगह देनी चाहिए थी। अगर इसी तर्ज पर भाजपा आगे बढ़ी तो, ये जुआ खेलने वाली बात होगी। अब 11 फरवरी को ये देखना होगा कि, दिल्ली के लोगों को राष्ट्रीय मुद्दे ज़्यादा प्रभावित करते है या स्थानीय मुद्दे जो फिलहाल भाजपा के चुनावी प्रचार से गायब दिख रहे है।

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