गुजरात उच्च न्यायालय के हीरक जंयती समारोह में PM Modi ने दिया न्यायमूलं सुराज्यं स्यात् का मंत्र

न्यूज डेस्क (गौरांग यदुवंशी): आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने गुजरात उच्च न्यायालय के डायमंड जुबली कार्यक्रम को संबोधित किया। गुजरात हाई कोर्ट 1 मई 1960 को वजूद में आया। जब बंबई से गुजरात अलग हुआ तो इसे पहले नारौल स्थापित किया गया, जिसके बाद इसे अहमदाबाद में इनकम टैक्स सर्किल में स्थानान्तरित किया गया। इसका मौजूदा अहमदाबाद के सोला में है। जहां से ये साल 1998 से चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में गुजरात के सीएम विजय रुपाणी ने भी शिरकत की। इस मौके पर एक डाक टिकट का भी अनावरण किया गया। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मेहमानों को संबोधित किया।

गुजरात हाई कोर्ट के डायमंड जुबली कार्यक्रम में पीएम मोदी संबोधन के मुख्य अंश:

  • गुजरात हाईकोर्ट की डायमंड जुबली के अवसर पर सभी को बहुत-बहुत बधाई। पिछले वर्षों में अपनी कानूनी समझ, अपनी विद्वत्ता और बौद्धिकता से गुजरात हाईकोर्ट और बार ने एक विशिष्ट पहचान बनाई है।
  • गुजरात हाईकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्य और निष्ठा से काम किया है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई है उसने भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतंत्र दोनों को ही मजबूत किया है।
  • हमारे संविधान में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को दी गई जिम्मेदारी, हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। हमारी न्यायपालिका ने संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है।
  • भारतीय समाज में रूल ऑफ लॉ, सदियों से सभ्यता और सामाजिक ताने-बाने का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है- न्यायमूलं सुराज्यं स्यात्। यानी, सुराज्य की जड़ ही न्याय में है।
  • न्यायपालिका के प्रति भरोसे ने सामान्य नागरिक के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है। सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। आजादी से अब तक देश की यात्रा में हम न्यायपालिका के योगदान की चर्चा करते हैं, तो बार के योगदान के भी चर्चा करते हैं।

  • हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो और समय से न्याय की गारंटी हो। सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
  • न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का जो हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। इसलिए ज्यूडिशरी और सरकार दोनों का ही दायित्व है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मिलकर वर्ल्ड क्लास जस्टिस सिस्टम (World class justice system) खड़ा करे।
  • डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट कम्प्यूटराइज्ड हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट से वीडियो कांफ्रेंसिंग और टेली कांफ्रेंसिंग को लीगल सेंटिटी मिलने के बाद ही सभी अदालतों में ई-प्रोसिडिंग (E-Proceedings’) में तेजी आई है।
  • ये सुनकर सभी को गौरव बढ़ता है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट खुद भी आज दुनिया में वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा सबसे ज्यादा सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More