Amul vs Nandini Milk: दूध की वजह कर्नाटक में सियासी उबाल, कांग्रेस ने की अमूल के खिलाफ घेरेबंदी

न्यूज डेस्क (समर्थ गौड़): कर्नाटक में बड़े पैमाने पर अमूल बनाम नंदिनी मिल्क (Amul vs Nandini Milk) जंग ने राजनीतिक मोड़ ले लिया है, विपक्ष और भाजपा ने राष्ट्रीय दुग्ध कंपनी अमूल के बेंगलुरू दूध बाजार में घुसपैठ करने पर एक-दूसरे पर कटाक्ष किया, जहां स्थानीय ब्रांड नंदिनी का दबदबा है।

अमूल और नंदिनी दूध ब्रांडों के बीच जंग तब शुरू हुई जब अमूल ने ऐलान किया कि वो कर्नाटक (Karnataka) में अपने बाजार का विस्तार करेगी और अपने डेयरी प्रोडक्ट्स को ऑनलाइन और ई-कॉमर्स मार्केट के जरिये बेचेगी, इस बीच नंदिनी ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो बेंगलुरु (Bangalore) में उसका बाजार खत्म हो जायेगा।

अमूल बनाम नंदिनी दुग्ध जंग ने कर्नाटक चुनाव 2023 से ठीक पहले चुनावी मुहाने पर खड़े सूबे में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है, जहां विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर अमूल के पक्ष में घेरेबंदी करने का आरोप लगाया है ताकि राज्य में अमूल की घुसपैठ करवायी जा सके। कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाने की भरसक कोशिश कर रहा है।

अमूल बनाम नंदिनी दूध विवाद: कौन सा ब्रांड है सस्ता?

जैसा कि दोनों दूध ब्रांडों के बीच जंग जारी है, नंदिनी डेयरी की दूध की कीमतें सिर्फ 39 रुपये प्रति लीटर पर सबसे कम हैं, जबकि राष्ट्रीय दूध ब्रांड अमूल अपना दूध 54 रुपये प्रति लीटर बेचता है, दोनों के बीच बड़ा भारी अंतर है।  दोनों के बीच कीमत में भारी अंतर के बावजूद विपक्षी पार्टियां जोर देकर कहती हैं कि अमूल के कर्नाटक में आने से स्वदेशी नंदिनी ब्रांड के बाजार को बड़ा खतरा होगा।

अमूल नंदिनी को मिल्क मार्केट में खतरा क्यों?

अमूल ने घोषणा किया है कि वो बेंगलुरु में दूध बाजार में उतरेगें। विपक्षी दलों ने स्वदेशी ब्रांड नंदिनी के समर्थन में एकजुट हो गए। जहां अमूल की एन्ट्री को सत्तारूढ़ भाजपा का समर्थन हासिल है, वहीं कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (Karnataka Milk Federation-KMF) के मालिकाना हक वाली नंदिनी दूध को विपक्ष का समर्थन हासिल है।

दूसरी अमूल ने ये साफ कर दिया है कि वो फिलहाल सिर्फ ऑनलाइन और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिये अपने डेयरी प्रोक्डट्स की बिक्री करेगा, इन प्लेटफार्मों की मदद से समय पर डिलीवरी और डोर स्टेप सुविधा की वज़ह से नंदिनी की बिक्री को खतरा है।

इसके अलावा कर्नाटक में अमूल की घुसपैठ को विपक्ष की ओर से कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को रौंदने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है, जो कि स्वदेशी नंदिनी ब्रांड के लिये बड़े पैमाने पर समर्थन जुटा रहा है।

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