Allahabad High Court ने Amazon Prime को फटकारते हुए, साउथ इंडियन फिल्मों को बताया बेहतर

न्यूज डेस्क (प्रियंवदा गोप): इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने बीते गुरुवार (25 फरवरी) को वेबसीरीज़ तांडव में पुलिस, प्रधान मंत्री और हिंदू देवी-देवता को गलत तरीके से दिखाये जाने में मामले में सुनवाई करते हुए अमेजन प्राइम की अपर्णा पुरोहित को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया। इस मामले की सुनवाई नोएडा में दर्ज करवायी गयी थी।

मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने कहा कि-“हिंदू देवी-देवताओं का अनादर करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।” रचनात्मक स्वतंत्रता के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं को वेबसीरीज़ में गलत तरीके से दिखाना कहीं ना कहीं सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाने के नज़रिये से किया गया था।

इस केस में अपर्णा पुरोहित सहित छह अन्य लोगों को प्रतिवादी (Defendant) बनाया गया है। जिनके खिलाफ एफआईआर और छानबीन नोएडा पुलिस कर रही है। पुलिस को प्रथम दृष्टया वेबसीरीज़ का कॉन्टेंट आपत्तिजनक और साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाला लगा।

अपर्णा पुरोहित के वकील ने दलील देते हुए कहा कि, विवादित वेब सीरीज़ पूरी तरह से कल्पनात्मक है। सभी जगहें, घटनायें, किरदार सबकुछ कल्पनात्मक सृजन (Imaginative creation) का हिस्सा है। इस संबंध वेबसीरीज़ में शुरूआत में ही डिस्कलेमर दिखाया गया है। वेब सीरीज़ टंडव के कलाकारों और क्रू मेम्बर्स ने पहले ही बिना शर्त माफी जारी कर दी है और आपत्तिजनक दृश्यों को तुरन्त हटा दिया गया। गौरतलब है कि इस वेबसीरीज़ का निर्देशन अली अब्बास ज़फर ने किया। जो कि खुद इस कोर्ट केस में नामजद है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहीं ये अहम बातें

  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देवी-देवताओं का अपमान किया जा रहा है।
  • जातीय, साम्प्रदायिक और धार्मिक भावनाओं को उकसाने का प्रयास किया गया और ऐसा लगता है कि देवी-देवताओं के अपमान के पीछे एक निश्चित योजना काम कर रही है।
  • धर्म का अपमान करना आमदनी का जरिया बन गया है।
  • वेबसीरीज़ देश की छवि को खराब करने के साथ पुलिस, प्रशासन और संवैधानिक पदों को गलत तरीके से पेश करना चाहती है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
  • सामाजिक समरसता को बाधित करने वालों के खिलाफ सख्ती जरूरी है।
  • फिल्म या वेबसीरीज़ की शुरुआत में डिस्क्लेमर देने से जवाबदेही खत्म नहीं होती है।
  • अगर इस के चलन पर लगाम नहीं लगायी गयी तो फिल्म और वेब सीरीज में जो भी दिखाया जा रहा है, उसे देश की युवा पीढ़ी सच मान लेगी।

कोर्ट ने कहा, “पश्चिमी देशों के फिल्म निर्माताओं ने भगवान यीशु या पैगंबर की खिल्ली उड़ाने से परहेज किया है। लेकिन हिंदी फिल्म निर्माताओं ने ऐसा बार-बार किया है और अभी भी हिंदू देवी-देवताओं के साथ ये अनाचार सबसे ज़्यादा हो रहा है। यहां तक कि दक्षिण भारत में बनी फिल्में धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखती हैं”

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More