A Promised Land: सोनिया ने मनमोहन सिंह को पीएम इसलिए बनाया क्योंकि राहुल को उनसे कोई खतरा नहीं था

न्यूज़ डेस्क (नई दिल्ली): पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उनकी जीवनी (A Promised Land) के पहले खंड में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की शिष्टता (sagacity) और नीतियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सिंह को कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) द्वारा इसलिए चुना गया क्योंकि वो राहुल गांधी के राजनीतिक करियर के लिए कोई खतरा नही थे, राहुल को उस समय भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा था।

ओबामा ने अपनी किताब में लिखा कि “(सिंह) उस पद के लिए सोनिया गांधी के आभारी थे… राजनीतिक विश्लेषकों का मानना ​​था कि उन्होंने सिंह को ठीक ही चुना था क्योंकि एक बुजुर्ग सिख के रूप में जिनका कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था, और वो राहुल गाँधी, जिसे सोनिया गाँधी एक नेता के रूप में तैयार कर रही थी, के लिए कोई राजनीतिक रूप से कोई खतरा नही थे।”

ओबामा की पुस्तक, “A Promised Land”, उनके राष्ट्रपति के वर्षों का लेखा-जोखा है और भारत में इस बात पर बहुत ध्यान दिया है कि उन्होंने भारतीय नेताओं के साथ अपनी बातचीत के बारे में क्या कहा है। उन्होंने रामायण और महाभारत के साथ अपने बचपन की लगाव के बारे में कहा है साथ ही कहा कि वह दाल और कीमा बना सकते हैं और बॉलीवुड फिल्मों का आनंद भी उठाते हैं।

पुस्तक में भारत-अमेरिका संबंधों के कुछ ट्विस्ट और मोड़ पर प्रकाश डाला गया है। उदाहरण के लिए, 2006 में सीनेटर के रूप में, ओबामा ने लिखा की किस तरह भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को “killer amendment” का नाम दिया गया, जिसे बाद में Hyde Act का नाम दिया गया। उन्होंने तत्कालीन राजदूत रोनेन सेन, तत्कालीन विदेश सचिव श्याम सरन, संयुक्त सचिव एस जयशंकर और रामिंदर जस्सल के साथ वाशिंगटन में अपने कार्यालयों का दौरा किया।

2009 में चीन की अपनी पहली यात्रा पर, ओबामा ने सूडान से ईरान तक और वैश्विक अर्थव्यवस्था से अफगानिस्तान तक दुनिया की बड़ी चुनौतियों के रूप में जो देखा, उसे चीन के साथ बराबरी के तौर पर संबोधित करने के लिए एक दृढ़ इच्छा प्रदर्शित की। भारत ने इन घटनाक्रमों पर चिंता व्यक्त की।

ओबामा ने पाकिस्तान पर भी कुछ खुलकर कहा। ओबामा ने लिखा कि “हालांकि, पाकिस्तान की सरकार ने आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए हमारे साथ सहयोग किया … यह एक खुला रहस्य था कि देश (पाकिस्तान) की सेना के अंदर कुछ तत्व, और विशेष रूप से इसकी खुफिया सेवाओं (intelligence services) ने तालिबान (Taliban) और यहां तक ​​कि शायद अलकायदा (Al Qaeda) से भी संपर्क बनाए रखा था जिसे वो अफगान सरकार के खिलाफ उन्हें करजोर करने के लिए इस्तेमाल कर रही थी।

Leave a comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More