Janmashtami 2020: जानिये जन्माष्टमी का मुहूर्त, तिथि और विधि

न्यूज़ डेस्क (यर्थाथ गोस्वामी): सभी देवगणों में अनतंकोटि श्री कृष्ण (Sri Krishna) विष्णु के एकमात्र ऐसे अवतार हैं, जिनकी लीलाओं में जीवन के हर पड़ाव के अलग-अलग रंग परिलक्षित होते हैं। उनका बचपन साख्य-बाल्य और वात्सल्यपूर्ण लीलाओं से भरा पड़ा है। उनका यौवन औदात्य पूर्ण रासलीलाओं की कथा कहता है। एक प्रशासक और मित्र के तौर पर लीलाधर, भगवद् भक्तों और गरीबों के दुखहर्ता बनते हैं, तो दूसरी और युद्धभूमि में कुशल रणनीतिकार (Skilled strategist in battlefield) । महाभारत में मुरलीधर ने कर्म-प्रधान विश्व और कर्तव्यनिष्ठा का संदेश समस्त विश्व को दिया। 16 कलाओं से परिपूर्ण कृष्ण अवतार के प्रत्येक प्रसंग भक्तों का मनमोह लेते है। सनातन परम्परा में आस्थावान लोग अपने आराध्य का जन्मदिन यानि कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की अनन्य कृपा प्राप्त करने के लिये भक्तजन निराहार-फलाहार व्रत रखते हैं, और श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। इस वर्ष ज्योतिषीय गणना के मुताबिक जन्माष्टमी (Janmashtami) के दिन कृतिका नक्षत्र रहेगा। चंद्रमा इस दिन मेष राशि में विराजमान रहेगं तो वहीं सूर्य कर्क राशि में होगें। इस दिन वृद्धि योग भी बन रहा है। पंचांगों के अनुसार 11 और 12 अगस्त को जन्माष्टमी बताई गई है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 12 अगस्त को जन्माष्टमी मानना उचित होगा। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा। जबकि जगन्नाथ पुरी, काशी और उज्जैन में 11 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी।

जन्माष्टमी पर्व तिथि व मुहूर्त 2020

जन्माष्टमी 11 अगस्त 2020

निशिथ पूजा– 00:04 से 00:48

पारायण– 11:15 (12 अगस्त) के बाद

रोहिणी समाप्त- रोहिणी नक्षत्र रहित जन्माष्टमी

अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 09:06 (11 अगस्त)

अष्टमी तिथि समाप्त – 11:15 (12 अगस्त)

पूजा विधि

चौकी में लाल वस्त्र/पीताबंरी बिछाएं और भगवान कृष्ण (लड्डू गोपाल) के बालस्वरूप को पात्र में रखें। तत्पश्चात भगवान के बालस्वरूप को पंचामृत और गंगाजल से स्नान करवाएं। भगवान को नए वस्त्र धारण करवाये। इसके बाद ठाकुर जी को रोली और अक्षत से तिलक करें। उसके बाद लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री अर्पित करे। श्रीकृष्ण को तुलसी का पत्ता भी चढायें। भोग लगने के बाद श्रीकृष्ण को गंगाजल भी अर्पित करें। तत्पश्चात् सपरिवार हाथ जोड़कर भगवान के बाल स्वरूप से ध्यान करें। आरती कर व्रत का पारायण करे।

मन्त्र विधान

इस दिन कुछ मंत्रों का जाप करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है।

समस्त विद्यायायें प्राप्त करने के लिए इस मंत्र का जाप करे-

‘ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे

वाणी सिद्धि के लिए इस मंत्र का जाप करे-

ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो

जीवन में आ रही बाधाओं के शमन के लिए इस मंत्र का जाप करे-

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री

मनोवांछित वर प्राप्ति और विवाह बाधा दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करे-

ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा

नोट: इस मंत्र के जाप के साथ माँ कात्यायनी के तांबा जटित श्रीयन्त्र और उनके चरणों का चित्र समक्ष रखे। इससे मंत्र जल्दी फलित होता है।

घर और व्यापार में लक्ष्मी की स्थिरता के लिए इस मंत्र का जाप करे-

लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा

इस मन्त्र में श्री ठाकुर जी आह्लदिनी शक्ति उनकी आराध्या स्निग्धता से परिपूर्ण श्रीमति राधारानी का नाम सम्मिलित है। प्रेम-प्रसंग में सफलता के लिए इस मात्र का जाप अत्यन्त फलदायी है।

ओम प्रेमधनरूपिण्यै प्रेमप्रदायिन्यै श्रीराधायै स्वाहा।

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