Jagannath Puri: online Delivery के कानूनी पचड़े फंसा भगवान का महाप्रसाद

न्यूज़ डेस्क (समरजीत अधिकारी): श्रद्धालु और भक्तजन Jagannath Puri मंदिर का महाप्रसाद पाने के लिए लालयित रहते है। जिस तरह से online Delivery का कारोबार तेजी से पूरे देश में पांव पसार रहा है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि, अब कारोबारियों की नज़रे मुनाफा कमाने के लिए महाप्रसाद की ओर लगी हुई है। लॉकडाउन का फायदा उठाकर कुछ व्यापारिक प्रतिष्ठानों (Business establishments) ने महाप्रभु जगन्नाथ के महाप्रसाद की ऑनलाइन बिक्री (Online sale of Mahaprasad) की। महाप्रसाद की ऑनलाइन बुकिंग और डिलीवरी करवाने के एवज़ में मोटा पैसा वसूला जा रहा था। जैसे ही ये जानकारी सामने आयी तो स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन (Local Administration and Temple Management) में हड़कंप मच गया।

गौरतलब है कि पुरी मंदिर के प्रबंधन की ओर से पूरे साल महाप्रभु के महाप्रसाद की बिक्री मंदिर परिसर के अन्दर ही होती है। मंदिर परिसर के बाहर प्रबंधन की ओर से श्रद्धालु और भक्तजन के लिए महाप्रसाद की सुविधा का कोई प्रावधान नहीं है। 25 मार्च 2020 से देशव्यापी लॉकडाउन (Nationwide lockdown) लगने के कारण महाप्रसाद स्थानीय लोगों सहित दूसरे राज्यों के लोगों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इन्हीं हालातों का कारोबारी फायदा उठाकर http://soquick.in/ वेबसाइट पुरी, कटक और भुवनेश्वर में महाप्रसाद की ऑनलाइन होम डिलीवरी (Mahaprasad’s online home delivery in Puri, Cuttack and Bhubaneswar) करने के नाम पर लोगों से मोटा पैसा वसूल रही है। साथ ही ओड़िशा से बाहर दूसरे राज्य में प्रसाद की डिलीवरी करने के लिए कंपनी ने व्हाट्सएप नंबर भी साझा किया है।

जैसे ही ये जानकारी लोगों के संज्ञान में आयी तो श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर प्रबंधन के आला अधिकारियों ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और ओड़िशा पुलिस (Chief Minister Naveen Patnaik and Odisha Police) से की। मंदिर प्रबंधन के मुताबिक बिना जानकारी के महाप्रसाद का इस तरह व्यवसायीकरण गलत है। इसके लिए किसी तरह की पूर्व अनुमति भी नहीं ली गयी है। ठीक इसी तर्ज पर भारतीय डाक विभाग (Indian Postal Department) ने मंदिर प्रबंधन से महाप्रसाद डिलीवरी करने का प्रस्ताव दिया था। प्रसाद की गरिमा और दिव्यता (Prasad’s dignity and divinity) को देखते हुए मंदिर प्रबंधन ने डाक विभाग की पेशकश को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। मामले के खुलासे के साथ अब मंदिर प्रशासन http://soquick.in/ के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की बात कर रहा है।

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