Covid-19: #TrendyNews की खबर पर SC की मोहर, कम टैस्टिंग और बदइंतज़ामी पर लगी केजरीवाल को फटकार

नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की 3 सदस्यों वाली न्यायिक खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए, केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अशोक भूषण की खंड पीठ ने केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) को दिल्ली में लचर स्वस्थ्य सेवा और लगातार आ रही ख़बरों को लेकर लताड़ा। इस दौरान न्यायिक खंडपीठ ने दिल्ली सरकार द्वारा वायरस इन्फेक्शन टेस्ट कम किए जाने को लेकर जवाब तलब भी किया।

बीते 9 जून को Trendy News ने दिल्ली सरकार द्वारा कम किए जा रहे हैं, वायरस इन्फेक्शन टेस्ट के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। जिस पर आज माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मोहर लगा दी। जांच-पड़ताल के दौरान Trendy News ने पाया था कि, 5 दिनों के तुलनात्मक अध्ययन के मुताबिक दिल्ली सरकार ने कोरोना टेस्ट करने की रफ्तार में 38 फ़ीसदी की कमी की है।

खबर का असर होते ही सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यों वाली न्यायिक खंठपीठ ने मामले का स्वत संज्ञान लिया और इस पर गंभीर चिंता जाहिर की। न्यायिक कार्यवाही के दौरान खंडपीठ ने कहा- जिस तरह से संक्रमण के मामलों में तेजी आ रही है, उसकी तुलना में टेस्ट कम करने का फैसला किसी भी तरह से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता। हमें मीडिया से मरीजों के बदतर हालातों के बारे में खबरें मिल रही है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि, मरीजों को मृत शवों के साथ रखा जा रहा है।

इस दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु को नोटिस जारी कर जवाब-दाखिल करने को कहा। संक्रमित मरीजों की देखभाल के मसले पर खंडपीठ ने कहा- कई राज्य, केंद्र सरकार द्वारा 15 मार्च को जारी उन आदेशों का पालन नहीं कर रहे, जिनमें शवों के उचित प्रबंधन से जुड़े नियम है। कई कोविड अस्पताल संक्रमण से मरे मरीजों की जानकारी उनके परिजनों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। कुछ मामलों में तो मृतक के परिजनों को अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं होने दिया जा रहा है।

संक्रमण से मरे मृतकों के मुद्दे पर न्यायिक खंडपीठ ने दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल समेत कई सरकारी अस्पतालों को जवाब तलब करने के लिए नोटिस जारी किया। साथ ही सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश भी जारी किए। इस दौरान न्यायिक खंडपीठ ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में कामकाज करने के तरीकों को भयानक बताया।

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