नई दिल्ली (शौर्य यादव): बीजिंग (Beijing) ने अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) में 11 जगहों का नाम बदलकर एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है। चीन का हमेशा से दावा रहा है कि ये दक्षिण तिब्बत (South Tibet) है, जबकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में कई सैन्य तनातनी वाले इलाकों में गतिरोध में उलझे हुए हैं। बदले हुए नामों में पहाड़ की चोटियाँ, नदियाँ और कई रिहायशी इलाके शामिल हैं। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स (Global Times) के मुताबिक, चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने कथित तौर पर “चीनी अक्षरों में ज़ंगनान (दक्षिण-पश्चिम चीन के ज़िज़ांग स्वायत्त क्षेत्र का दक्षिणी हिस्सा) में 11 जगहों के नाम बदले है”।
इसका मतलब ये है कि आज (4 अप्रैल 2023) से चीनी नक्शे पर इन इलाकों के नाम पिनयिन में भी उपलब्ध होंगे, जो कि मंदारिन (Mandarin) अक्षरों का सामान्य रोमनीकरण है। नई दिल्ली ने जोर देकर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अखंड और अक्षुण्ण हिस्सा है, माना जा रहा है कि नई दिल्ली (New Delhi) चीन की इस हालिया कार्रवाई पर जोरदार जवाब दे सकती है।
लद्दाख में विवाद की वज़ह
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA- People’s Liberation Army) ने स्थानीय यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया, भारत और चीन (China) मई 2020 से पूर्वी लद्दाख में उच्च तनाव वाले सीमा विवाद में शामिल हैं। गलवान संघर्ष (Galwan Clash) जिसमें भारत ने 20 बहादुर योद्धाओं को खो दिया था, ने दोनों एशियाई महाशक्तियाँ के बीच तनाव को खासा बढ़ा दिया था।
गलवान में संघर्ष के बाद चीन और भारत ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करने के लिये कई उच्च-स्तरीय सैन्य और राजनयिक बैठकें कीं। लंबी चर्चा के बाद दोनों देशों ने इस इलाके में कई भारी सैन्य तनाव वाले इलाकों से अपने सैनिकों को वापस लेने का संकल्प लिया।
परमाणु-सशस्त्र राष्ट्रों के मुताबिक, “राजनयिक और सैन्य चैनलों के जरिये सीमा संबंधी समस्याओं पर गहन बातचीत होने के बावजूद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में कुछ इलाकों पर समझौते कर पाने में नाकाम रहे हैं।