#Covid-19: Donald Trump के अड़ियल रवैये से, खतरनाक हालातों की ओर बढ़ता अमेरिका

वाशिंगटन (एजेंसियां/वि.सं.): वायरस संक्रमण के प्रकोप से पूरा यूरोप थर्रा उठा है। स्पेन, इटली, जर्मनी और पुर्तगाल जैसे देशों की अर्थव्यवस्था की टूट चुकी है। यूरोप के ज्यादातर देशों में कारोबारी गतिविधियां ठप्प पड़ी हुई है। मौके की नजाकत को भांपते हुए मॉस्को ने भी लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। चीन से मिले सबक को तकरीबन सभी देश फॉलो कर रहे हैं। इन नाजुक हालातों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला अमेरिका के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकता है। अमेरिकी मीडिया की हालिया रिपोर्टों के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका में कोरोना संक्रमण तेजी से पांव पसार रहा है। अभी तक वहां 1,39,700 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं। साथ ही 2400 अमेरिकी लोग इस वायरस के कारण बेमौत मारे गये है। आने वाले वक्त में महामारी के हालात वहां और भी गंभीर हो सकते हैं।

दूसरी ओर राष्ट्रपति ट्रंप का अड़ियल रवैया, अमेरिका के लिए नई मुसीबतें खड़ी कर सकता है। अभी तक एहतियातन कदम के तौर पर ट्रंप प्रशासन की ओर से 2 हफ्ते तक लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के फरमान जारी किए गए हैं। लेकिन लॉक डाउन के लिए किसी भी तरह के प्रावधान सुनिश्चित नहीं किए गये। अगर लॉक डाउन नहीं किया गया, तो संक्रमण की दर में बेतहाशा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने माना है कि आने वाले दो हफ्तों में संक्रमण से होने वाली मौतें अपने उच्चतम स्तर पर होगी। बावजूद इसके राष्ट्रपति लॉकडाउन का आदेश देने से बचते नजर आ रहे है। दिलचस्प है कि अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी बिगड़ रहे हालातों के बीच राष्ट्रपति से आशंका जता चुके हैं कि, वाशिंगटन ने अगर कुछ ठोस कार्यवाही ना कि, तो तकरीबन एक लाख से ज्यादा मौतें हो सकती है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शन डिसीज़ के निदेशक डॉक्टर एंथनी फौसी के अनुमान के मुताबिक 30 मार्च तक वायरस तकरीबन एक लाख अमेरिकियों को बीमार कर चुका होगा।

विदेशी मामलों के जानकारों की माने तो, अमेरिका लॉकडाउन करने के फैसले से इसलिए बच रहा है ताकि प्रोडक्शन, मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक सेक्टर की गतिविधियां ना रुके। आर्थिक महाशक्ति बने रहने की होड़ में अमेरिका अर्थव्यवस्था से किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहता। फिलहाल ट्रम्प का यह फैसला ताश की बाजी की तरह है, जहां एक तरफ आर्थिक रफ्तार है और दूसरी ओर वायरस इंफेक्शन का बढ़ता खतरा।

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