Immunity Passport से होगा मेल-मिलाप?

न्यूज़ डेस्क (श्रेयसी श्रीधरा): वायरस इन्फेक्शन (Virus infection) के चलते तकरीबन सभी तरह की सामाजिक गतिविधियां (Social Activities) रुकी हुई है। लॉकडाउन गाइडलाइंस और सोशल डिस्टेंसिंग (Lockdown Guidelines and Social Distancing) के चलते लोगों के बीच मेल मिलाप ना के बराबर है। ऐसे में कुछ देशों की सरकारें लोगों के बीच मेल मिलाप कायम रखने के लिए Immunity Passport जारी करने पर चर्चा कर रही है। ये सरकारी दस्तावेज (Official documents) होगा, इसकी मदद से किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को सरकारी संस्थाएं (Governmental organizations) प्रमाणित करेंगी। ये एक तरह से सामाजिक संबंधों के दौरान मेल मिलाप करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (no objection certificate) के तौर पर काम करेगा। फिलहाल इसे लेकर अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में चर्चा चल रही है। इसके तहत सरकारी मेडिकल प्रतिष्ठान (Medical establishment) किसी भी व्यक्ति की SARS Cov-2 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का आकलन कर प्रमाणित करेंगे। प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद व्यक्ति को सोशल डिस्टेंसिंग में छूट दी जा सकती है।

इस कवायद में नई चर्चा को जन्म दे दिया है। कई विशेषज्ञों के मुताबिक इससे भेदभाव बढ़ेगा। प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण कई आधारों पर होता है। जिनमें खानपान, पर्यावरण, शारीरिक सक्रियता (Physical activity) और अनुवांशिकी (Genetics) खास तौर पर शामिल है। ऐसे हालातों में विकासशील देशों (Developing Countries) के साथ भारी भेदभाव हो सकता है। खासतौर से अफ्रीकी देशों (African countries) में जहां पोषण की दशाएं (Nutritional conditions) बेहद निम्नस्तरीय हैं। कई देशों में ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां वायरस इन्फेक्शन को‌ प्रतिरोधक क्षमता से हरा देने वाले मरीज के शरीर में संक्रमण दोबारा पनपा है। ऐसे में ये पहल नए अंतर्राष्ट्रीय विवाद (International dispute) को भी जन्म दे सकती है। इस तरह के हालात Immunity Passport की व्यवहारिकता (Practicality) को लेकर सवालिया निशान लगाते हैं।

प्रत्येक देश की जीवन प्रत्याशा (Life expectancy), संसाधनों का वितरण, मेडिकल सुविधायें और मानवीय शारीरिक संरचना (Human anatomy) अलग अलग तरीके की होती है। इन सबके बीच Immunity Passport की परिकल्पना नागरिकों पर बनावटी पाबंदियां (Artificial restrictions) लगाएगी। ये प्रणाली तय करेगी कि, व्यक्ति विशेष सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले या नहीं। इस पहल से सामाजिक खाई (Social gap) और भी चौड़ी होगी।

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