Vivo Mobile में निकली बड़ी गड़बड़, Police हुई सतर्क

नई दिल्ली (दिगान्त बरूआ): मेरठ पुलिस ने Chinese Mobile Company Vivo में बड़ी खामी का पता लगाया। जिससे डेटा सहित यूजर की निजता को बड़ा खतरा है। जांच में सामने आया कि, Vivo Company के तकरीबन 13000 मोबाइलों में एक ही International Mobile Equipment Identity का इस्तेमाल किया जा रहा है। IMEI नंबर एक तरह से किसी भी मोबाइल की खास पहचान होती है। किसी भी तरह की आपराधिक/आतंकवादी कार्रवाई की जांच पड़ताल के दौरान सुरक्षा या जांच एजेंसियां इसी नंबर का इस्तेमाल करके अहम सूचनाएं इकट्ठा करती हैं। इस लिहाज से Vivo Company की ओर से, ये देश की आंतरिक सुरक्षा में भारी चूक है।

मामले का खुलासा बेहद नाटकीय अंदाज में हुआ। मेरठ में यूपी पुलिस (UP Police) के जवान आसाराम के Vivo मोबाइल की स्क्रीन टूट गई। उन्होंने अपना मोबाइल रिपेयर कराने के लिए सर्विस सेंटर में जमा करा दिया। मोबाइल ठीक होने के कुछ ही दिनों बाद उनकी मोबाइल स्क्रीन पर एरर प्रॉम्ट (Error prompt) आने लगे। जवान ने जब अपना IMEI जांचा तो पाया कि, वो पहले वाले नंबर से अलग था। मामले पर सर्विस सेंटर (Service Center) के मैनेजर ने दावा किया कि, रिपेयरिंग के दौरान आईएमईआई नंबर नहीं बदला गया। पुलिस की ओर से मामले की जांच पड़ताल साइबर क्राइम सेल प्रभारी (Cyber crime cell in charge) प्रबल कुमार पंकज और‌ साइबर अपराध मामलों के विशेषज्ञ विजय कुमार को  सौंप दी गई। जवान आसाराम अपने मोबाइल में जियो टेलीकॉम (Jio Telecom) की सिम इस्तेमाल करता था। इस वजह से जांच में लगे अधिकारियों ने उस IMEI का डाटा जियो टेलीकॉम से मांगा। जियो टेलीकॉम के मुताबिक, 24 सितंबर 2019 को 11 बजे से 11:30 के दौरान ठीक यहीं आईएमईआई नंबर देश के अलग-अलग हिस्सों में 13557 मोबाइल्स में सक्रिय था।

फिलहाल साइबर क्राइम सेल ने वीवो इंडिया (Vivo India) के खिलाफ मामला दर्ज कर पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर दिया। पुलिस ने नोटिस में पूछा कि, ट्राई (TRAI) के किन प्रावधानों के तहत एक ही आईएमईआई नंबर इतने मोबाइल फोनों में सक्रिय था। पुलिस वीवो इंडिया के जवाब से संतुष्ट नहीं है। शुरुआती दौर से ही चाइनीस मोबाइल (Chinese mobile) फोन इस तरह के मामले देखे जाते रहे हैं। अगर ऐसा ही जारी रहा तो भविष्य में अपराधियों और दहशतगर्दों को पकड़ना मुश्किल हो जाएगा। शिकायत पर दीवानी मामला दर्ज कर लिया गया है, अब मोबाइल कंपनी (Mobile company) न्यायालय में ही जवाब देगी ऐसा कैसे संभव हुआ?

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